Friday, March 29, 2024

किसके कहने पर पीयूष जैन को बचाने के लिये डीजीजीआई ने बनाया गलियारा

भाजपा के सत्ता में आने के बाद से एक आम चलन जो देखने को मिला है वो यह कि यदि कोई भाजपा का आदमी है तो पुलिस से लेकर तमाम जांच और टैक्स एजेंसियां उसका बाल तक बांका नहीं कर पाती हैं। हत्या और दंगा करने तक के आरोप में पहले तो वो धरा नहीं जाता और अगर जन दबाव में पकड़ भी लिया गया तो वो जल्द ही बाहर आ जाता है और खुद मंत्री उसका माला मिठाई लेकर स्वागत करते हैं। दूसरी ओर यदि कोई भाजपा विरोधी है तो वो बिना किसी ठोस आधार के भी बरसों बरस तक जेल में सड़ता है।

ताजा मामला गुटखा कारोबारियों के कंपाउंड विक्रेता पीयूष जैन का है। ग़लती से पकड़ लिया गया पीयूष जैन के ख़िलाफ़ एजेंसियों ने केस को इतना कमज़ोर कर दिया है कि टैक्स देकर आसानी से छूट जायेगा।      

पीयूष जैन को छुड़ाने की तैयारी

कंपाउंड कारोबारी पीयूष जैन के आनंदपुरी स्थित आवास से मिले 177.45 करोड़ रुपये की नकदी को डीजीजीआई (महानिदेशालय जीएसटी इंटेलिजेंस) अहमदाबाद टर्नओवर की रक़म माना है। डीजीजीआई की ओर से कोर्ट में दाखिल दस्तावेजों से इसकी पुष्टि हुई है। टैक्स विशेषज्ञों का कहना है कि जानबूझ कर या अनजाने में अफ़सरों ने केस को कमज़ोर कर दिया है। ऐसे में पीयूष जैन सिर्फ़ पेनाल्टी की रक़म अदा करके जमानत हासिल कर सकता है। इससे आयकर विभाग भी काली कमाई मामले में कार्रवाई नहीं कर पाएगा।

डीजीजीआई ने इसके पीछे तर्क दिया है कि शिखर पान मसाला के मालिक ने इत्र कारोबारी पीयूष जैन की कंपनी से बिना बिल के बड़े पैमाने पर कंपाउंड खरीदा था। गुजरात में पकड़े गए चार ट्रकों से इसकी पुष्टि हुई। इसके बाद कार्रवाई को अंजाम दिया गया।

दरअसल डीजीजीआई टीम को पान मसाला कारोबारी के बही खातों में भी मिली है कि शिखर पान मसाला को पीयूष जैन अपने कारोबार का 85 फीसदी कंपाउंड सप्लाई करता था। हालांकि, पीयूष ने अपने बयान में बताया है कि वह किस-किसको कंपाउंड सप्लाई करता है, उसे याद नहीं है।

वहीं पूछताछ के दौरान दौरान पीयूष जैन ने बताया था कि जो नकदी उसके आनंदपुरी स्थित आवास से मिली है, वह चार-पांच साल में कंपाउंड कारोबार से कमाई गई है। उसने यह भी स्वीकार किया कि 177 करोड़ की नकदी पर उसने टैक्स नहीं अदा किया। डीजीजीआई ने पीयूष का ट्रांजिट रिमांड भी नहीं मांगा। ऐसे में पीयूष आसानी से बाहर आ सकता है। वहीं इस मामले में शिखर पान मसाला पर केवल 3.09 करोड़ की कर चोरी का ही मामला बनाया गया है। इसकी देनदारी स्वीकार करके भुगतान भी कर दिया गया है।

हालांकि, आय किससे और कहां से हुई, इस संबंध में वह कोई दस्तावेज डीजीजीआई के सामने प्रस्तुत नहीं कर सका। इसके बाद भी अफ़सरों ने उसके बयान को आधार बनाकर कर चोरी का केस बनाकर कोर्ट में पेश कर दिया। इसमें 31.50 करोड़ टैक्स चोरी की बात कही गई। टैक्स पेनाल्टी और ब्याज मिलाकर यह रकम 52 करोड़ रुपये बैठती है।

वहीं तमाम टैक्स विशेषज्ञों का कहना है कि 177 करोड़ कैश बरामदगी मामले में डीजीजीआई को केस न बनाकर आयकर को कार्रवाई करने और सीज करने के लिए बुलाना चाहिए था। इससे यह काली कमाई का मामला बनता और पूरी रक़म पर टैक्स, पेनाल्टी और ब्याज लगता, जो सौ करोड़ से ज्यादा का होता। डीजीजीआई की चूक ने केस को बहुत कमजोर कर दिया है।

वहीं दूसरी ओर सूत्रों का दावा है कि पीयूष जैन के कंपाउंड उपयोग में लाने के बाद शिखर गुटखा कंपनी का कारोबार नई ऊंचाइयों पर पहुंच गया। इसके बाद दोनों के बीच फॉर्मूले की डील हुई। पीयूष जैन ने शिखर पान मसाला में उपयोग में लाए जाने वाले कंपाउंड का फार्मूला सौ करोड़ रुपये लेकर बेचा। बहुत मुमकिन है कि 177 करोड़ की नक़दी उसी रक़म का बड़ा हिस्सा हो। और फिर पीयूष जैन से फार्मूला मिलने के बाद शिखर गुटखा कारोबारी ने पीयूष जैन को खुन्नस के चलते उसे फंसाने का खेल रचा। जिसमें कुछ अफ़सर भी शामिल हों।

ट्रक पकड़ने के ढाई महीने बाद छापा मारने की बात हज़म नहीं हुई

कंपाउंड कारोबारी पीयूष जैन के यहां जीएसटी विभाग की छापामारी के बाद जो कहानी निकलकर सामने आई वो यह कि क़रीब ढाई महीने पहले अहमदाबाद में डीजीजीआई (DGGI) की टीम ने चेकिंग के दौरान चार ट्रक पकड़े थे।

और ट्रक पकड़कर टीम सो गई। फिर ढाई महीने बाद डीजीजीआई जागी तो अहमदाबाद में पकड़े गए ट्रकों की याद आई जिस पर पान मसाला लदा हुआ था, वो शिखर पान मसाला कानपुर से ही भेजा गया था और ट्रांसपोर्टर भी कानपुर का ही था।

और फिर ढाई महीने बाद 22 दिसंबर की रात क़रीब 8 बजे डीजीजीआई की टीम ने कानपुर के ट्रांसपोर्ट नगर में मौजूद शिखर मसाला की फैक्ट्री पर छापा मारकर जीएसटी चोरी पकड़ी। फिर डीजीजीआई की एक टीम ने वहीं गणेश ट्रांसपोर्ट पर छापेमारी की। जिसमें गणेश ट्रांसपोर्ट के मालिक प्रवीण जैन के ठिकाने से एक करोड़ रुपये बरामद हुए।

फिर DGGI की टीम को पता चला कि टैक्स की चोरी में सिर्फ़ शिखर पान मसाला और गणेश ट्रांसपोर्ट ही शामिल नहीं हैं, बल्कि गणेश ट्रांसपोर्ट के मालिक यानी प्रवीण जैन के बहनोई अंबरीश और उनके भाई पीयूष जैन भी शामिल हैं।

समाजवादी पार्टी नेताओं के यहां कर छापामारी की कड़ी में देखा जाना चाहिये इत्र कारोबारी के यहां हुई छापामारी

अब सवाल पैदा होता है कि पीयूष जैन के यहां हुई छापेमारी को किस तरह से देखा जाये। दरअसल नरेंद्र मोदी-शाह के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु से एक ट्रेंड सेट किया है कि तमाम राज्यों में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले वो मुक़ाबले वाली मुख्य पार्टी से जुड़े लोगों के यहां आयकर, प्रवर्तन और सीबीआई जैसी केंद्रीय एजेंसियों द्वारा छापामारी करवाकर चुनाव से ठीक पहले प्रतिद्वंदी पार्टी की छवि को जनता के बीच बिगाड़ने की साजिश करते हैं।

इसी कड़ी में 18 दिसंबर को समाजवादी पार्टी से जुड़े मऊ के सपा प्रवक्ता राजीव राय, और मैनपुरी के मनोज यादव के घर पर आयकर विभाग ने छापामारी की थी।

ऐसे में पीयूष जैन के यहां छापामारी को भी उसी कड़ी में जोड़कर देखा जाना चाहिये। दरअसल बहुत मुमकिन है कि डीजीजीआई को छापा मारना था समाजवादी पार्टी वाले इत्र कारोबारी व एमएलसी पुष्पराज पम्पी जैन के यहां लेकिन वो चले गये दूसरे पीयूष जैन के यहां। 

क्या पुष्पराज जैन के यहां छापामारी की स्क्रिप्ट लिखकर ही लिखा गया था शाह का भाषण

गृहमंत्री अमित शाह द्वारा कल हरदोई में और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा परसों कानपुर में दिए भाषण का यदि विश्लेषण किया जाये तो लगता है कि वो सपा एमएलसी व इत्र कारोबारी पुष्पराज जैन के यहां प्रस्तावित छापामारी को ध्यान में रखकर ही लिखी गई थी। जिसे बावजूद डीजीजीआई की गलती (पुष्पराज जैन के बजाय पीयूष जैन का पकड़ना) के नहीं बदला गया। अमित शाह और नरेंद्र मोदी ने वही भाषण पढ़ डाला।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी मंगलवार को हरदोई की सभा में कहा कि कुछ दिन पहले आयकर विभाग ने छापा मारा तो भाई अखिलेश के पेट के अंदर मरोड़ होने लगा। कहने लगे कि राजनीतिक द्वेष के कारण छापा मारा गया है और आज उन्हें जवाब सूझ नहीं रहा है कि समाजवादी इत्र बनाने वाले के यहां से छापे (कन्नौज और कानपुर में इत्र व्यापारी के यहां छापा) में ढाई सौ करोड़ रुपये मिला है।

जबकि कानपुर में बगैर नाम लिए पीएम मोदी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार का इत्र जो उन लोगों ने छिड़क रखा था, वह सब अब बाहर आ गया है। इसी वजह से अब ये लोग मुंह पर ताला लगाकर बैठे हैं। कोई क्रेडिट लेने तक नहीं आ रहा है। नोटों का जो पहाड़, पूरे देश ने देखा, वही उनकी उपलब्धि है और यही उनकी सच्चाई है। यूपी के लोग सब देख रहे हैं।

गौरतलब है कि नोटबंदी की पांचवीं बरसी पर 9 नवंबर 2021 को कन्नौज के इत्र कारोबारी व सपा एमएलसी पुष्पराज जैन ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के हाथों समाजवादी इत्र की लांचिंग करवाई थी। तब समाजवादी इत्र लांच करते हुये पुष्पराज जैन ने कहा था कि समाजवादी इत्र से साल 2022 में नफ़रत (योगीराज) खत्म हो जायेगी। इस इत्र को बनाने के लिये कश्मीर से कन्याकुमारी तक 22 तरह के प्राकृतिक इत्र का इस्तेमाल किया है।

इसके बाद सपा एमएलसी व इत्र कारोबारी पुष्पराज जैन ने नरेंद्र मोदी सरकार को निशाने पर लेते हुये कहा था कि – इसी तरह 2024 में देश से नफ़रत हटाने के लिये 24तरह के इत्र का प्रयोग कर परफ्यूम बनाया जायेगा। यह इत्र सामाजिक समरसता का प्रतीक है।  

पीयूष जैन मामले पर प्रतिक्रिया देते हुये सपा एमएलसी पुष्पराज पम्पी जैन ने कहा है कि मेरा दूर दूर तक पीयूष जैन से कोई लेना देना नहीं है। बेवजह ही यह कहा जा रहा है कि वह मेरे करीबी रिश्तेदार हैं। पीयूष भी जैन हैं और मैं भी जैन हूं। और हम दोनों एक ही कॉलोनी में रहते हैं इसलिए हम दोनों का नाम जोड़ा जा रहा है। हां, यह सही है कि मैंने समाजवादी इत्र लॉन्च किया था। मैं दो बार यह समाजवादी इत्र लॉन्च कर चुका हूं। बाकायदा अखिलेश यादव ने लखनऊ में इसकी लॉचिंग की थी। इस अवसर पर सपा के कई नेता शामिल थे। लेकिन पीयूष जैन नाम का कोई शख्स वहां मौजूद नहीं था।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles