नई दिल्ली। केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ बुधवार, 9 जुलाई 2025 को दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों (CTUs) द्वारा बुलाए गए भारत बंद का देश के विभिन्न राज्यों में व्यापक असर देखने को मिला। मजदूर संगठनों के साथ-साथ किसान, छात्र, और युवा संगठनों ने भी इस बंद का समर्थन करते हुए सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया। भारत बंद के कारण देश के विभिन्न हिस्सों में सार्वजनिक परिवहन बुरी तरह प्रभावित हुआ। यूनियन नेताओं ने कहा कि श्रमिकों ने हड़ताल के 17-सूत्रीय मांगपत्र का समर्थन किया।
बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण (SIR) के विरोध में महागठबंधन सड़कों पर उतरा, वहीं ट्रेड यूनियनों और किसान संगठनों के बंद से दक्षिण भारत के कई हिस्सों में जनजीवन प्रभावित हुआ। बिहार में RJD, कांग्रेस, वाम दलों और पप्पू यादव की पार्टी समेत कुल छह विपक्षी दलों ने बंद बुलाया था।

हड़ताल का सबसे ज्यादा असर बिहार, केरल, पुदुटेरी और पश्चिम बंगाल में देखने को मिला। केरल में हड़ताल ने बंद जैसा रूप ले लिया, जहां निजी और सार्वजनिक बसों तथा लंबी दूरी की सेवाओं के ठप होने से सैकड़ों यात्रियों को परेशानी हुई। पश्चिम बंगाल के कई जिलों में वामपंथी कार्यकर्ताओं और पुलिस व टीएमसी समर्थकों के बीच झड़पों के बाद हिंसा की खबरें आईं, हालांकि सामान्य जीवन सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए गए।
पश्चिम बंगाल में सिलीगुड़ी में सरकारी बस सेवाएं प्रभावित हुईं, और डायमंड हार्बर व श्यामनगर में रेल सेवाएं बाधित हुईं। जलपाईगुड़ी, आसनसोल, और बांकुरा में सड़क जाम करने की कोशिशें हुईं। ओडिशा के भुवनेश्वर में CITU सदस्यों ने राष्ट्रीय राजमार्ग को अवरुद्ध किया, जिससे सड़क परिवहन प्रभावित हुआ। हैदराबाद में लाखों श्रमिकों ने बंद के समर्थन में सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया। बेंगलुरु में, हालांकि BMTC और KSRTC ने सेवा बंद की पुष्टि नहीं की, यात्रियों को देरी या रद्द होने की संभावना के लिए तैयार रहने की सलाह दी गई।
ऑल इंडिया बैंक एम्प्लॉइज एसोसिएशन (AIBEA) और बंगाल प्रांतीय बैंक एम्प्लॉइज एसोसिएशन जैसी यूनियनों के समर्थन के कारण बैंकिंग सेवाएं बाधित हुईं। चेक क्लीयरेंस, ग्राहक सहायता, और शाखा संचालन में व्यवधान की संभावना थी, हालांकि कोई आधिकारिक बैंक अवकाश घोषित नहीं हुआ।
27 लाख से अधिक बिजली क्षेत्र के कर्मचारियों ने हड़ताल में भाग लिया, जिससे बिजली आपूर्ति में व्यवधान या रखरखाव और शिकायत निवारण में देरी की संभावना थी।
वहीं, दिल्ली में बंद का ज्यादा असर नहीं रहा। दिल्ली में बाजार, जैसे कि कनॉट प्लेस और खान मार्केट, बुधवार, 9 जुलाई 2025 को खुले रहे और सामान्य रूप से संचालित हुए, भले ही ट्रेड यूनियनों ने श्रम अधिकारों और सामाजिक सुरक्षा सुधारों सहित 17-सूत्रीय मांगों के लिए राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया था।
चुनाव आयोग बिहार की जनता की आवाज सुने: दीपंकर भट्टाचार्य
इंडिया गठबंधन द्वारा आहूत वोटबंदी के खिलाफ राज्यव्यापी चक्का जाम के तहत आज पटना में भाकपा-माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने इंडिया गठबंधन के शीर्ष नेताओं-राहुल गांधी, तेजस्वी यादव, एम.ए. बेबी, डी. राजा, और मुकेश सहनी के साथ मिलकर मार्च का नेतृत्व किया। यह विशाल प्रदर्शन इनकम टैक्स गोलंबर से शुरू हुआ और वीरचंद पटेल पथ होते हुए मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय की ओर बढ़ा। प्रदर्शन में शामिल हजारों कार्यकर्ताओं को पुलिस द्वारा बैरिकेड लगाकर रोका गया।
भाकपा-माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने सत्तमूर्ति के समीप प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि आज का राज्यव्यापी चक्का जाम ऐतिहासिक है। बिहार की जनता ने साफ कर दिया है कि उसे एसआईआर (विशेष निवेश क्षेत्र) नहीं चाहिए। हमें अपने सार्वभौमिक मताधिकार और श्रम अधिकारों की रक्षा पूरी ताकत से करनी होगी।
उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग गरीबों को उनके मताधिकार से वंचित करना चाहता है, लेकिन आज का चक्का जाम स्पष्ट संदेश दे रहा है कि बिहार की जनता अपनी लोकतांत्रिक आवाज को कुचलने नहीं देगी। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से भी अपील की कि वह इस जनभावना को गंभीरता से सुने, जहां इस मुद्दे पर कल सुनवाई होनी है।
दीपंकर ने कहा कि बिहार की जनता इस बार 20 वर्षों की भाजपा-नीतीश सरकार को सबक सिखाने के मूड में है। लेकिन चुनाव आयोग जनता को भ्रमित करने और मतदाता चयन की साजिश में लगा हुआ है। यह लोकतंत्र पर हमला है। जिस पटना से 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हुआ, वहीं से आज एक बार फिर लोकतंत्र की रक्षा का बिगुल बज चुका है। जब-जब बिहार बोलता है, देश बदलता है। लोकतंत्र और संविधान की रक्षा हर कीमत पर की जाएगी।
दीपंकर ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा लागू किए गए चार श्रम संहिताएं मजदूरों को गुलाम बनाने की साजिश हैं। उन्होंने कहा कि आज संगठित और असंगठित क्षेत्र के श्रमिक, स्कीम वर्कर, कर्मचारी, और ट्रेड यूनियन एकजुट होकर सड़कों पर हैं। हम इस एकता को सलाम करते हैं और उनके संघर्ष में पूरी ताकत से साथ खड़े हैं।
पटना विश्वविद्यालय में आइसा के नेतृत्व में छात्रों ने भी अशोक राजपथ जाम किया। सैकड़ों की तादाद में माले के कार्यकर्ता मार्च करते हुए इनकम टैक्स चौराहा पहुंचे, जहां इंडिया गठबंधन के सभी घटक दलों के नेता-कार्यकर्ता उपस्थित थे। वहां से एकजुट होकर यह मार्च सीईओ कार्यालय की ओर बढ़ा।
माले कार्यकर्ताओं ने पूरे राज्य में किया सड़क जाम, सुबह से प्रदर्शन
इंडिया गठबंधन के आह्वान पर बिहार में वोटबंदी की साजिश के खिलाफ आज का बिहार बंद-चक्का जाम ऐतिहासिक रहा। बिहार की जनता ने साफ संदेश दे दिया है कि उसे एसआईआर नहीं चाहिए। इसे अविलंब वापस लेना होगा। इस आह्वान पर इंडिया गठबंधन के अन्य दलों के साथ माले कार्यकर्ता सुबह से ही सड़कों पर उतर आए और एनएच तथा अन्य सड़कों को जाम कर दिया। आरा सहित कई स्थानों से ट्रेनों को रोके जाने की भी खबर है।
आरा में माले व इंडिया गठबंधन के कार्यकर्ताओं ने सुबह ही आरा बस स्टैंड को जाम कर यातायात पूरी तरह बाधित कर दिया। स्टेशन परिसर से एक विशाल मार्च निकाला गया, जो नवादा मठिया, शिवगंज, जेल रोड, गोपाली चौक, टाउन थाना होते हुए अंबेडकर चौक पहुंचा। मार्च में आरा सांसद सुदामा प्रसाद, अगिआंव विधायक शिवप्रकाश रंजन सहित सैकड़ों छात्र-युवा शामिल थे।

माले कार्यकर्ताओं ने भोजपुर, अरवल, जहानाबाद, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, गया, बांका, पूर्णिया, बक्सर, मधुबनी, मधेपुरा, नालंदा, बिहारशरीफ, एकंगरसाराय, हिलसा, राजगीर में चक्का जाम किया। जमुई, बेगूसराय, दाउदनगर, ओबरा, विभूतिपुर, मोतिहारी, सीतामढ़ी आदि जगहों पर भी बंद का व्यापक असर रहा।
कॉर्पोरेट-परस्त नीतियों पर लगे लगाम, AIPF और वर्कर्स फ्रंट ने हड़ताल में की भागीदारी
देश की प्राकृतिक संपदा, सार्वजनिक संपत्ति, आर्थिक संसाधनों, और श्रम शक्ति की देशी-विदेशी कॉर्पोरेट घरानों द्वारा की जा रही लूट पर लगाम लगाने के लिए और लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के सवाल पर राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित हड़ताल में ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट (AIPF) और वर्कर्स फ्रंट के कार्यकर्ता पूरे प्रदेश में जगह-जगह शामिल हुए। इस कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि मोदी सरकार कॉर्पोरेट घरानों और अमेरिका की एजेंट बन गई है। आज ही अमेरिका के साथ हमारे देश की कृषि को बर्बाद करने वाले समझौते को मोदी सरकार करने जा रही है। देश को गुलाम बनाने और आर्थिक संप्रभुता पर हमले की नीतियों के खिलाफ पूरे देश का मजदूर, कर्मचारी, किसान, छात्र, और नौजवान एक साथ आया है और हड़ताल को सफल बनाया है।

बिजली के निजीकरण के सवाल पर बोलते हुए वक्ताओं ने कहा कि अहमदाबाद की प्लेन दुर्घटना निजीकरण के दुष्परिणाम का जीवंत उदाहरण है, जिसमें एयर इंडिया को टाटा कंपनी को देने के बाद सिर्फ एक व्यक्ति को छोड़कर सभी लोगों की अकाल मृत्यु हुई। बीएसएनएल को बर्बाद कर बढ़ाए गए अंबानी के जियो और भारती समूह के एयरटेल ने देश की सुरक्षा तक से समझौता कर अमेरिका की स्टारलिंक से हाथ मिला लिया है। यही नहीं, ये मनमाने ढंग से टैरिफ बढ़ा रहे हैं। यदि बिजली का निजीकरण हुआ तो प्रदेश में गरीबों और किसानों के हाथ से बिजली छीन ली जाएगी।
वक्ताओं ने कहा कि पूरे देश में चार लेबर कोड के जरिए काम के घंटे बढ़ाने और मजदूरी दर को न्यूनतम स्तर पर रखने की साजिश हो रही है। इसके जरिए सामाजिक सुरक्षा के जो अधिकार थे, उन्हें भी खत्म किया जा रहा है। बिहार में मतदाता पुनरीक्षण कुछ और नहीं, बल्कि लोकतंत्र के दायरे को सीमित करने और वोट देने के अधिकार को छीनने की कोशिश है।
(जनचौक की रिपोर्ट)