Friday, March 29, 2024

प्रेम कुमार

हरियाणा से उम्मीदवार क्यों नहीं बने सुरजेवाला? छत्तीसगढ़, राजस्थान, महाराष्ट्र से हकमारी क्यों?

कांग्रेस ने राज्यसभा उम्मीदवारों की जो सूची जारी की है उसे देखकर खुद कांग्रेसी हैरान हैं। ऐसा नहीं है कि इनमें से कोई नाम नया है या कोई उम्मीदवार अयोग्य है। बल्कि, हैरानी की वजह है कि राजनीतिक नजरिए...

‘इत्तफ़ाक-ए-आज़म’ की रिहाई से आगे क्यों नहीं बढ़ा सुप्रीम कोर्ट?

27 महीने बाद आज़म ख़ां सीतापुर जेल से रिहा हो गये। इससे पहले बारंबार रिहाई की स्थितियां बनीं, लेकिन रिहाई के एन वक्त पहले नया केस दर्ज करा दिया जाता और आज़म ख़ान जेल में रहने को विवश हो...

क्षेत्रीय दलों पर हमला कर राहुल गांधी ने बीजेपी को मजबूत किया है!

राहुल गांधी लड़ना बीजेपी से चाहते हैं लेकिन लड़ते हुए दिख रहे हैं क्षेत्रीय दलों से। उदयपुर के नव चिन्तन शिविर के बाद राहुल गांधी ने राजनीतिक लड़ाई में कांग्रेस ही नहीं, संभावित सहयोगियों को भी उलझन में डाल...

कम बच्चा पैदा करने में सबसे आगे निकलीं मुस्लिम महिलाएं ! NHFS-5 की रिपोर्ट में खुलासा

आम धारणा यह है कि मुसलमान सबसे ज्यादा बच्चे पैदा करते हैं। अक्सर मुसलमानों को इस बात के लिए निशाने पर लिया जाता है कि वे ‘जनसंख्या जेहाद’ कर रहे हैं। मगर, क्या यह सच है? सच्चाई इसके उलट...

दीदी नहीं, अब बीजेपी गयी का बंगाल से निकल रहा है संदेश

2 मई की तारीख भारतीय राजनीति में अहम है। इस दिन पश्चिम बंगाल के चुनाव नतीजे आए थे। जनता ने बीजेपी के उस नारे को उलट दिया था- ‘2 मई दीदी गयी’। ‘2 मई दीदी आ गयी’- का संदेश...

गोदी नज़र में ‘सेकुलर’ बना बुल्डोजर!

अतिक्रमण मुक्ति अभियान राष्ट्रीय मुद्दा बन चुका है। नगर निगम और नगरपालिकाएं मजबूत दिख रही हैं। केंद्र-राज्य सरकारें खामोश हैं। क्या स्थानीय निकायों का स्वर्ण काल आ गया है? क्या देश का लोकतंत्र इतना उदार हो गया है कि...

पीके-कांग्रेस जुदा-जुदा: तू भी खुश मैं भी, पर बीजेपी क्यों ज्यादा खुश?

कांग्रेस खुश है कि पीके ने उसके ऑफर को ठुकरा दिया। यह खुशी कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला के ट्वीट में नज़र आती है जिसमें वे पीके का आभार भी जताते हैं और यह भी बताते हैं कि...

जेएनयू हिंसा में दोषी जेल में होते तो क्या होता दोबारा हिंसक संघर्ष?

जेएनयू में 5 जनवरी 2020 में हुई हिंसा की जांच अभी पूरी नहीं हुई है, गिरफ्तारी नहीं हुई है लेकिन दो साल बाद एक और हिंसा सामने है। हिंसा का स्वभाव एक जैसा है। हिंसक समूह वही है। वैचारिक...

राजनीति की रोटी बन गयी हिजाब

पांच राज्यों में चुनाव की प्रक्रिया चल रही है और वोट की रोटी सेंकने के लिए हिजाब विवाद की आंच को सुलगाया गया है। देश के अलग-अलग राज्यों में इस आंच से पैदा हुई चिनगारी फैलने लगी है। हिजाब...

नसीरुद्दीन शाह ने क्यों बोला – तालिबान के लिए हिन्दुस्तान में जश्न मनाने वाले ज्यादा ख़तरनाक?

नसीरुद्दीन शाह ने हिन्दुस्तान के मुसलमानों के लिए बहुत अहम बात कह दी है जिसे नज़रअंदाज करना न तो आसान रह गया है और न ही नज़रअंदाज करके उस चिंता को दबाया जा सकता है जिसने शाह को यह...

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बहुसंख्यकवादी नैरेटिव को टेका लगाती फिल्में: स्वातंत्र्यवीर सावरकर

फिल्म जनसंचार का एक शक्तिशाली माध्यम है जो सामाजिक समझ को कई तरह से प्रभावित करता है। कई दशकों...