सियासत भी अजीब खेल होता है। अक्सर इस बात का अंदाज़ा भी नहीं लग सकता कि कैसे वह शैतानों के…
भारत में मैकार्थीवाद: अर्बन नक्सल के हौवे की वापसी !
‘मुझे पंडित नेहरू का भाषण याद आ रहा है-“आधी रात को भारत स्वाधीन होगा” 1 जुलाई की मध्यरात्रि भारत में…
जब मानवाधिकार आयोग भी पढ़ने लगा मनुस्मृति के कसीदे!
पिछले एक दशक से जातिगत पदानुक्रम को वैध बनाने और जातिगत उत्पीड़न को पवित्र मानने की प्रवृत्ति बढ़ रही है,…
हिन्दी पट्टी की हृदयस्थली में हिन्दुत्व को मिली शिकस्त के क्या मायने हैं!
‘जोर का झटका धीरे से लगे’- किसी विज्ञापन की या किसी गाने में इस्तेमाल यह बात फिलवक्त़ भाजपा को मिले…
बढ़ती जनसंख्या का डर: असलियत और फसाना
आधा ज्ञान या आधी जानकारी हमेशा ही खतरनाक साबित होती है। 2021 की जनगणना तक करने में फिसड्डी साबित हो…
इस संविधान के प्रति आरएसएस की इतनी हिकारत क्यों है?
(वाजपेयी सरकार ने संविधान को बदलने की कोशिश की थी, लेकिन 2004 के चुनाव में हार गई। हमें सतर्क रहना…
स्वागत न्यू इंडिया: जहां अम्बेडकर की रचनाओं का सार्वजनिक अध्ययन ‘अशांति फैला सकता है’
किस तरह एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय को डॉ अम्बेडकर को अपमाानित करने दिया जा रहा है और चौतरफा खामोशी का षड्यंत्र…
दिमागों का सैन्यीकरण और राष्ट्र का हिन्दुत्वकरण: भविष्य के सैन्य अधिकारियों को हिन्दू वर्चस्ववाद का प्रशिक्षण!
(एक बेहद विवादास्पद निर्णय के तहत प्रधानमंत्री के अगुआई वाली केन्द्र सरकार ने सैनिक स्कूलों को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल के…
हेगड़े के ‘मन की बात’ नहीं, भाजपा के ‘दिल की बात’
‘बिल्ली आंख मूंद कर दूध पीती है और सोचती है कि दुनिया देख नहीं रही है’ – संस्कृत सुभाषित जनाब…
हल्द्वानी हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को खुला पत्र
उत्तराखंड के हल्द्वानी में 8 फरवरी को घटित हिंसा का मसला, जब पुलिस ‘अवैध मस्जिद और मदरसे’ के ध्वस्तीकरण के…