अंबेडकर जयंती पर विशेष : समकालीन दलित राजनीति- विकल्प की त्रासदी

हमारे समय के सर्वकालिक महान विचारक कार्ल मार्क्स का कथन है, “इतिहास अपने को दोहराता ज़रूर है, पर पहली बार…

टैरिफ वॉर: एक दोधारी तलवार, संकट में पड़ सकता है अमेरिका और भारत का दवा उद्योग

आज अमेरिका में “अमेरिका फर्स्ट” नीति के तहत एक प्रकार का टैरिफ अंधराष्ट्रवाद चल रहा है। इसके अंतर्गत अमेरिकी राष्ट्रपति…

भारतीय छात्रा का वीजा रद्द होने से उजागर हुई अमेरिकी जनतंत्र की वास्तविकता

अभिव्यक्ति की आज़ादी को लेकर अकसर उदारवादी लोग अमेरिका तथा पश्चिमी दुनिया की प्रशंसा करते रहे हैं, कि वहाँ पर…

नेपाल में राजतंत्र बहाली आंदोलन क्यों?

महान विचारक कार्ल मार्क्स की एक‌ महत्वपूर्ण और क्लासिक पुस्तक ‘लुई बोनापार्ट की अट्ठारहवीं ब्रूमेर’ है, जिसकी भूमिका में वे…

प्रेम, सौंदर्य और संघर्ष के नये प्रतिमान गढ़ती भाषा सिंह की कविताएं

कवयित्री के रूप में भाषा सिंह को अनेक बार सुना है, कभी मंडी हाउस में श्रीराम सेंटर के बाहर फुटपाथ…

क्या उदारवादी वैश्विक व्यवस्था समाप्त हो गई है?

ट्रम्प-जेलेंस्की विवाद में एकाएक कुछ समय के लिए जेलेंस्की उदारवादी सामाजिक जनवादियों के लिए एक हीरो बनकर उभरे। कुछ लोग…

एक अरब भारतीय हो गए हैं उपभोक्ता वर्ग से बाहर

भारत के शासक भले ही ‌दुनिया की पाँचवी अर्थव्यवस्था होने का दावा करें, परन्तु सच्चाई यह है कि एक अरब…

पर्यावरण बचाने के नाम पर जंगलों को कॉरपोरेट को सौंपने की तैयारी

सारे देश में निजीकरण की आँधी चल रही है, उससे अब जंगल भी अछूते नहीं हैं। अनेक देसी-विदेशी कॉरपोरेट घरानों…

दक्षिणपंथ और नव उदारवादी नीतियों के खिलाफ़ यूरोप-अमेरिका में बढ़ रहे हैं मज़दूर आन्दोलन

नव उदारवादी नीतियों की असफलता के कारण केवल तीसरी दुनिया में ही नहीं अमेरिका और यूरोप में भी आर्थिक संकट…

भारत के श्रमिक पूरे विश्व के मुक़ाबले सबसे ज़्यादा घंटे काम करते हैं

सौ साल से ज़्यादा हो गए, जब मज़दूरों ने बेशुमार कुर्बानियाँ देकर काम के आठ घंटे का अधिकार हासिल किया…