Wednesday, April 24, 2024

जिग्नेश मेवानी ने बिल्किस मुद्दे पर जीता वडगाम विधानसभा का चुनाव

अहमदाबाद। गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड, एंटी रेडिकलाइजेशन फोर्स, वक्फ और मदरसों पर निगरानी को मुद्दा बनाकर चुनाव लड़ा। मुस्लिम विरोधी मैनिफेस्टो ने बीजेपी को पेपर लीक, सरकारी और ठेके पर कार्यरत कर्मचारियों की नाराज़गी, महंगाई के खिलाफ जनता के गुस्से से बचा लिया। गुजरात की जनता ने बचाया ही नहीं बल्कि रिकॉर्ड तोड़ वोट भी दिया। बीजेपी के पास मुस्लिम विरोधी एजेंडा ऐसा मुद्दा है। जिस पर कांग्रेस के पास मौन रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं रहता। पूरे चुनाव में बीजेपी मुस्लिम विरोधी प्रचार से बहुसंख्यक वोटों का ध्रुवीकरण करती रही और कांग्रेस मौन धारण कर ध्रुवीकरण से बचती दिखी। 

बीजेपी ने वडगाम विधानसभा में दलित नेता जिग्नेश मेवानी को हराने के लिए असदुद्दीन ओवैसी के साथ मिलकर चक्रव्यूह रचा। वडगाम विधानसभा सुरक्षित सीट है। जहां लगभग 27 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं। मेवानी को हराने के लिए मुस्लिम वोटों को तितर बितर करना जरूरी था। मुस्लिम वोटों का बिखराव करने के लिए असदुद्दीन ओवैसी ने मेवानी के खिलाफ तीन बड़ी जनसभाएं की। मालेगांव से विधायक मुफ्ती इस्माइल ने जमीयत उलेमा ए हिंद सहित कई मुस्लिम संगठनों के अलावा उलेमाओं से मीटिंग कर ओवैसी का साथ देने की अपील की। बीजेपी समर्थित मुस्लिमों ने वडगाम के मुस्लिमों में मेवानी के खिलाफ भ्रम पैदा करने की कोशिश की।

एक तरफ कांग्रेस मुसलमानों और उनके मुद्दों से बचती दिखी तो दूसरी तरफ कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष जिग्नेश मेवानी अपने चुनाव में बिल्किस बानो के साथ हुए अन्याय और दोषियों की रिहाई को बड़ा मुद्दा बनाते हैं। ओवैसी ने भी बिल्किस बानो के साथ हुए अन्याय को ही चुनावी मुद्दा बनाया था। लेकिन गुजरात के मुस्लिम मेवानी के साथ खड़े दिखे। वडगाम में बीजेपी के चक्रव्यूह को भेदते हुए मेवानी 4828 वोट से विजयी हुए। एआईएमआईएम के उम्मीदवार को 2328 वोट मिले।

मेवानी बताते हैं, “यह गलत धारणा है कि बिल्किस बानो के नाम से हिंदू मुस्लिम ध्रुवीकरण होगा। मैंने पूरे चुनाव में 125 से अधिक सभाएं की और 125 से अधिक बार जनता के सामने बिल्किस बानो के मुद्दे को उठाया। मैंने चौधरी समाज जिसे परंपरागत तौर पर बीजेपी का वोटर कहा जाता है। उस समाज के गांव में उनके बीच बिल्किस बानो के साथ हुए अन्याय का ज़िक्र किया तो चौधरी समाज की महिलाओं की आंखों में आंसू आ गए। बिल्किस बानो का मुद्दा एक महिला का मुद्दा है। इसे हिंदू मुस्लिम के चश्मे से नहीं बल्कि एक महिला के तौर पर महिला के साथ हुए अत्याचार को देखना चाहिए। बिल्किस गुजरात और भारत की बेटी है।”

बिल्किस बानो के पति जनचौक संवाददाता को बताते हैं, “हम उन सभी लोगों के आभारी हैं जो हमारे दुख में हमारे साथ खड़े हैं। जिन्होंने हमारे दर्द को अपना दर्द समझा। हम उन सभी लोगों का शुक्रिया अदा करते हैं। हम विशेष कर जिग्नेश मेवानी का शुक्रिया अदा करते हैं। जिन्होंने सबसे अधिक हमारे दुख को समझा। जिग्नेश भाई लगातार हमारे साथ राब्ते में भी हैं।”

एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने विधानसभा चुनाव में बीजेपी विधायक सीके राउल की मदद की जिसने बिल्किस के अपराधियों को संस्कारी बताया। ओवैसी की पार्टी ने गोधरा में मुस्लिम वोटों को काटने के अलावा हिंदू मोहल्लों में नारे तकबीर अल्लाहु अकबर के नारे से बहुसंख्यक हिंदुओं को भाजपा के खेमे में भेजने का भी काम किया। 

आप को बता दें कि राउल गुजरात सरकार की उस समिति का हिस्सा भी थे, जिसने सर्वसम्मति से 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिल्किस बानो सहित परिवार की कई महिलाओं के साथ बलात्कार करने और उनकी तीन साल की बेटी सहित उनके परिवार के नौ सदस्यों की हत्या करने के दोषी 11 अपराधियों को रिहा करने का फैसला किया था।  

उन्होंने बेहद विवादास्पद टिप्पणी के साथ फैसले का बचाव किया था। इन सबके बावजूद बीजेपी ने उन्हें दोबारा गोधरा से उम्मीदवार बनाया था। गोधरा विधानसभा सीट पर 60 हज़ार से अधिक मतदाता मुस्लिम हैं। 2007 और 2012 में इस सीट से कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। 2002 में दंगे के बाद ध्रुवीकरण के कारण वीएचपी के हरेश भट्ट ने बीजेपी के चुनाव चिन्ह पर विजय का पताका फहराया था। इस सीट पर हमेशा कांटे की टक्कर होती रही है। 2017 में बीजेपी के सीके राउल ने कांग्रेस के राजेंद्र सिंह परमार को मात्र 258 वोटों से पराजित किया था। 2022 में एआईएमआईएम ने बीजेपी की राह को आसान कर दिया। एआईएमआईएम ने गोधरा की एक मस्जिद के इमाम मुफ्ती हसन शब्बीर काचबा को उम्मीदवार बनाया था। काचबा को 9508 वोट मिले। ओवैसी ने वोटिंग से पहले गोधरा में हुई जनसभा के दिन कई कांग्रेस के मुस्लिम कार्यकर्ताओं को मजलिस में शामिल किया था। 

ओवैसी गुजरात चुनाव के दरमियान आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पर आरोप लगाते रहे कि बिल्किस बानो पर दोनों पार्टियां खामोश हैं। इसी भ्रम के चलते गोधरा में एआईएमआईएम के उम्मीदवार काचबा को 9508 वोट मिल गए। जबकि कांग्रेस ने अपने मैनिफेस्टो में बिल्किस बानो के अपराधियों को फिर से जेल भेजने का वादा किया था। कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष जिग्नेश मेवानी ने राहुल गांधी की उपस्थिति में बिल्किस बानो का मुद्दा उठाया था। यही नहीं मेवानी ने इस अन्याय के खिलाफ पदयात्रा की घोषणा और अपना चुनाव भी इसी मुद्दे पर लड़ा। ओवैसी की तरफ से बिल्किस बानो के परिवार से मिलकर संवेदना व्यक्त करने का कोई प्रयत्न भले ही न हुआ हो लेकिन ओवैसी ने बिल्किस बानो के मुद्दे को विधानसभा चुनाव में खूब भुनाया। आम आदमी ने इस मुद्दे से अपने आप को दूर रखा। कांग्रेस बिल्किस मुद्दे को सही ढंग से जनता के बीच नहीं रख पाई। कांग्रेस इस मुद्दे को न ही निगल पाई और न ही उगल पाई।

(अहमदाबाद से कलीम सिद्दीकी की रिपोर्ट।)

जनचौक से जुड़े

1 COMMENT

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
1 Comment
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
Anonymous
Anonymous
Guest
1 year ago

अभी जीगनेश की जीत हुई है,, उस मुद्दे पर सही मायने में काम करना होगा, यह जीम्मेवारी उन सभी की है जो अन्याय के खिलाफ है
जय हीन्द जय भारत

Latest Updates

Latest

Related Articles