Tuesday, April 23, 2024

केंद्र के निशाने पर पंजाब के नामवर सूफी गायक, दो के यहां छापा  

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के सीमांत इलाकों, पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लेकर सुदूर दक्षिणी प्रदेशों में डेढ़ साल तक जारी रहे ऐतिहासिक किसान मोर्चे से सक्रिय तौर पर जुड़े रहे जगप्रसिद्ध पंजाबी गायक अब केंद्रीय एजेंसियों के रडार पर आ गए हैं। ऐसे दो गायकों कंवर ग्रेवाल और रंजीत बावा के विभिन्न ठिकानों पर आयकर विभाग (आईटी) ने जबरदस्त छापेमारी की। आयकर विभाग केंद्र सरकार के अधीन आता है। छापेमारी के वक्त केंद्रीय सुरक्षा बल सीआरपीएफ और सीआईएसएफ को घेराबंदी के लिए साथ रखा गया। पंजाब पुलिस को कमोबेश पूरी प्रक्रिया से परे ही रखा गया।

छापेमारी की कोई जानकारी कार्रवाई होने से पहले राज्य सरकार के किसी विभाग को नहीं दी गई। खुफिया विभाग को भी तब खबर मिली जब सूफी गायक कंवर ग्रेवाल और रंजीत बावा के घरों तथा अन्य ठिकानों को आयकर विभाग द्वारा एकाएक खंगाला जाने लगा। आईटी टीम की अगुवाई दिल्ली से आए उच्चाधिकारियों ने की और बाद में राज्य में तैनात आयकर विभाग के अधिकारियों को भी छापेमारी में शामिल किया गया।

36 घंटे तक चली इस आकस्मिक छापामारी ने सूबे के आम और खास लोगों को हतप्रभ कर दिया। इसलिए भी कि दोनों गायक साफ-सुथरी छवि रखते हैं और दोनों ने ही बहुचर्चित ऐतिहासिक किसान आंदोलन में काफी ज्यादा सक्रियता दिखाई थी और अब भी पंजाब में चल रहे किसान आंदोलनों तथा बेरोजगारों व अपने अधिकारों के हक के लिए लड़ रहे सरकारी कर्मचारियों के मंचों से जुझारू गीत गा रहे थे। इस लिहाज से वे मौजूदा पंजाब सरकार की आंखों की किरकिरी भी बने हुए थे और केंद्रीय एजेंसियों के रडार पर तो पहले से ही थे।                         

दोनों गायकों के राज्य स्थित ठिकानों पर आयकर विभाग की कार्रवाई बुधवार को खत्म हुई। आयकर विभाग की ओर से अपनी छापेमारी की बाबत कुछ नहीं कहा जा रहा। हालांकि गायकों के घर से अधिकारियों ने कई दस्तावेज जब्त किए हैं। फिलवक्त यह नहीं मालूम कि नकदी कितनी मिली है। भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक कुछ आयकर अधिकारी और हथियारबंद केंद्रीय सुरक्षा बल के जवान अभी भी गायकों के घरों पर मौजूद हैं। गौरतलब है कि सोमवार को आयकर विभाग की टीम दिल्ली, जालंधर और लुधियाना नंबर की गाड़ियों में करीब 25 आला अफसरों के नेतृत्व में कंवर ग्रेवाल व रंजीत बावा के तमाम ठिकानों पर, सीआरपीएफ और सीआईएसएफ के साथ पहुंची।

आते ही इलाकों को सील कर दिया गया। जहां-जहां छापेमारी की गई, वहां-वहां किसी को भी बाहर जाने और अंदर आने की अनुमति नहीं थी। दोनों गायकों के पुश्तैनी घरों में भी छापेमारी की गई। आईटी टीम ग्रेवाल तथा बावा के रिश्तेदारों तथा कारोबारी सहायकों के घरों में भी गई। जानकारों के मुताबिक जिस अंदाज में आईटी सेल कार्रवाई की, उससे दहशत का माहौल कायम हो गया। इन पंक्तियों को लिखे जाने तक दोनों गायक और उनके परिजन खामोशी अख्तियार किए हुए हैं। अलबत्ता समर्थकों तथा कुछ किसान जत्थेबंदियों की ओर से जरूर कहा जा रहा है कि दोनों गायकों ने किसान आंदोलन में मुतवातर शिरकत की थी, इसलिए अब केंद्र की ओर से उन्हें परेशान किया जा रहा है और उनकी छवि को धूमिल करने की कोशिशें हो रही हैं। यह भी कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में ऐसी कुछ और कार्रवाईयां कुछ ऐसे अन्य कलाकारों-गायकों पर हो सकती हैं, जिन्होंने आंदोलन के वक्त अपने फन और पैसे से किसान आंदोलन को सशक्त किया था।           

गायक कंवर ग्रेवाल को पंजाबी सूफी गायक कहा-माना जाता है। इससे पहले यह मुकाम अब लगभग गायकी छोड़ चुके और भाजपा की टिकट पर सांसद बन गए हंसराज हंस को हासिल था। ग्रेवाल की सादगी और मौलिक लोक गायकी दुनिया भर के पंजाबियों में लोकप्रिय है। उनका पहनावा तक सादगी की अद्भुत मिसाल है। वह शुरू से ही किसानी बनाने में अंतरराष्ट्रीय स्तर के मंचों पर गाते रहे हैं। रंजीत बावा की छवि भी किसान समर्थक गायकी की है। उन्हें एक बेहतरीन लोक गायक माना जाता है। कंवर ग्रेवाल और रंजीत बावा ऐतिहासिक किसान आंदोलन का पहले से आखरी दिन तक सक्रिय हिस्सा बने रहे। अब भी वे देश-विदेश में किसान हितों से संबंधित गीत गाते और लिखते हैं। दोनों के कुछ लोकपक्षीय गीतों को सरकारी शिकायत के बाद, इसी अगस्त में यूट्यूब ने भारत में बैन कर दिया था।                                   

पंजाब में सरगोशियां हैं कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार साल भर पहले आंदोलनरत किसानों के आगे झुकने को मजबूर हुई थी और इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी निजी फजीहत माना था। अब धीरे-धीरे उस किसान आंदोलन के समर्थकों की घेराबंदी केंद्रीय एजेंसियों द्वारा की जा रही है। आशंका है कि आने वाले दिनों में यह सिलसिला रफ्तार पकड़ेगा। बेशक इनमें से ज्यादातर वे हैं जो पंजाबियों में बेहद साफ-सुथरी छवि रखते हैं। खासतौर से कंवर ग्रेवाल सरीखे गायक, जिन्हें सूफी परंपरा का नायाब गायक माना जाता है। लेकिन सच यह भी है कि हुकूमतें सिर्फ ठेठ ‘दरबारी’ गायकों को पसंद करती हैं! खैर, पंजाब और विदेश में कंवर ग्रेवाल और रंजीत बावा पर आयकर विभाग की छापेमारी को बहुत बुरा मना जा रहा है। इस समूचे प्रकरण को लोगबाग संदेह और विरोध की निगाह से देख रहे हैं।  

(पंजाब से वरिष्ठ पत्रकार अमरीक सिंह की रिपोर्ट।)              

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