सशक्त बिहारी बेटी : प्रचार बनाम सच्चाई

क्या बिहार में महिला सशक्तिकरण और नारी उत्थान के भाजपा के चमकीले प्रचार के पीछे बिहारी महिलाओं की वास्तविक स्थिति को छिपाने का प्रयास किया जा रहा है? भाजपा लगातार चमकदार विज्ञापन और पोस्टरों में बिहार में महिलाओं के सशक्तिकरण के बड़े-बड़े दावे कर रही है। प्रचार में बड़ी-बड़ी बातें हो रही हैं, महिलाओं को लोकतंत्र की झंडाबरदार बताया जा रहा है। भाजपा ये तो बता रही है कि बिहार की बेटियां सशक्त हो रही हैं, लेकिन ये नहीं बता रही कि बेटियां पैदा कितनी हो रही है, बिहार में लिंगानुपात की क्या स्थिति है? क्या पिछले दस सालों में बिहार में लिंगानुपात में कोई सुधार हुआ या स्थित बदतर हुई है? आइये विस्तार से समझते हैं कि बिहार में लिंगानुपात की क्या स्थिति है?

लिंगानुपात में जबरदस्त गिरावट

लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने 4 अप्रैल को, राज्यवार स्त्री-पुरुष लिंगानुपात के आंकड़े सदन के सामने रखे। आंकड़े जहां बाकि राज्यों में लिंगानुपात की स्थिति में सुधार दिखा रहे हैं, वहीं बिहार में जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई है। बिहार में वर्ष 2014-15 में जन्म के समय लिंगानुपात 936 था जो वर्ष 2023-24 में घटकर मात्र 882 रह गया। ये गिरावट चिंताजनक है और बिहार में महिलाओं और बच्चियों की स्थिति की वास्तविक तस्वीर हमारे सामने पेश कर रही है। 

गौरतलब है कि बिहार उन चुनिंदा राज्यों में है जिनमें पिछले दस सालों में लिंगानुपात में गिरावट आई है। सदन में रखे गए इन आंकड़ों के हिसाब से लिंगानुपात में गिरावट के मामले में बिहार राज्य देश में पहले स्थान पर है। जहां पिछले दस साल में लिंगानुपात का आंकड़ा 936 से घटकर 882 पर पहुंच गया। ऐसी ही स्थिति केंद्र शासित प्रदेश अंडमान और निकोबार की है, जहां पिछले दस सालों में लिंगानुपात 967 से 832 पर आ गया है।

राष्ट्रीय स्तर पर भी लिंगानुपात में सुधार देखने को मिला है। वर्ष 2014-15 में देश का लिंगानुपात 918 था, जो 2023-24 में बढ़कर 930 हो गया। देश में 22 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ऐसे हैं जिनका लिंगानुपात राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है, लेकिन बिहार का लिंगानुपात राष्ट्रीय औसत से काफी ज्यादा पिछड़ा हुआ है।

निष्कर्ष

अगर बिहार में महिलाओं की स्थिति के बारे में जानना है, तो लिंगानुपात का ये अकेला आंकड़ा काफी कुछ बता रहा है। क्योंकि ये आंकड़ा बच्चियों के सबसे बुनियादी अधिकार, जन्म लेने के अधिकार से जुड़ा हुआ है। बेटियां तभी तो सशक्त होंगी जब जन्म लेंगी। कायदे से भाजपा को अपनी रैलियों और प्रचार सामग्री में बताना चाहिए कि बिहार में लिंगानुपात में इतनी भारी गिरावट क्यों आई है?

(राज कुमार स्वतंत्र पत्रकार एवं फ़ैक्ट-चेकर हैं।)

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