सागर, मध्यप्रदेश। वर्तमान में बदलते पर्यावरण से जैव-विविधता पर खतरा नजर आ रहा है। ऐसे में पर्यावरण के दुष्परिणाम का खामियाजा सबसे अधिक पक्षियों को भी भुगतना पड़ रहा है। वनों की कटाई, जलवायु परिवर्तन और बढ़ते तापमान से पक्षियों का जीवन सिकुड़ रहा है।
तब विभिन्न तरीकों से पक्षियों को बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं। ऐसे ही एक अनूठे प्रयास की पेशकश मध्यप्रदेश के किसान धनीराम गुप्ता कर रहें हैं। जिन्होंने 3 एकड़ भूमि पर लगा अपना बगीचा पक्षियों के हवाले कर दिया। ताकि पक्षी बगीचे के पेड़-पौधों में लगे फलों से अपनी भूख मिटा सकें।
एक शिक्षित किसान और सामाजिक कार्यकर्ता धनीराम गुप्ता प्रदेश के सागर जिले में केवलारी कलां (सागर से दूरी करीबन 60 किमी) से ताल्लुक रखते हैं। वे जैविक खेती को बढ़ावा देते हैं। धनीराम ने काफी मेहनत-मशक्कत के बाद अपना बगीचा तैयार किया है। उनके बगीचे में 200 आम, 300 नींबू, 75 अमरूद, कुछ अनार सहित अन्य पेड़ भी लगे हुए हैं। इन पेड़ों की ऊंचाई सामान्यतः 8 से 10 फीट या इससे अधिक है।
जब हमने किसान धनीराम गुप्ता का हाल-चाल जानते हुए पक्षियों को बचाने की पहल पर संवाद किया तब वे कहते हैं कि, “पक्षियों के पेट भरने हेतु बगीचा लगाने जैसे कार्य में हमारा कोई आर्थिक स्वार्थ नहीं है। पेड़ लगाना हमारा जुनून है। जो हमने साकार किया है। जब हम बगीचे में शांति से पक्षियों को फल खाते देखते हैं तब हमारा मन प्रफुल्लित हो उठता है।”

हमारे इस सवाल पर कि, आपको क्यों लगता है कि आपका बगीचा पक्षियों की भूख मिटाने के लिए उपयुक्त है? धनीराम बतलाते हैं कि, “सबसे खास बात है कि हमारे बगीचे में पक्षियों के लिए कोई रोक-टोक नहीं है। बगीचा देखकर कोई भी महसूस कर सकता है कि यहां बड़े इत्मीनान से पक्षियों ने फलों को खाते हैं। जबकि आम बगीचों में मालिकों के डर से पक्षी जल्दीबाजी में फल खाते हैं। तब पेड़ में लगे हुए, टूटे हुए और जमीन पर पड़े हुए फलों पर पक्षियों के निशान से मालूम होता कि फल जल्दबाजी में खाए हैं।”
आगे हमने पूछा कि, बगीचे में कौन-कौन से पक्षी आते हैं और क्या आप क्या सोचते हैं? तब वे कहते हैं कि, “हमारे बगीचे में चिड़िया, तोता, कोयल, ढोंकले और कई तरह के पक्षी आते जिनके हम नाम नहीं जानते हैं। मगर, खुशी बात यह है कि पक्षी अब बगीचे में घोसला भी बना रहे हैं।
पक्षियों के बारे में हमें कुछ याद रहता है तो वह है उनकी सुरीली और भिन्न-भिन्न आवाजें। पक्षियों की चहचहाहट हमें सुकून देती है।”
हमारे सवाल पर कि गर्मी के मौसम में पक्षी कौन सा फल ज्यादा पसंद कर रहे हैं? धनीराम कहते हैं कि, “इस प्रचंड गर्मी के समय में पक्षी आम जैसे फल अधिक खा रहे हैं। अभी आम के दाम काफी बड़े हुए हैं। फिर भी हम समझते हैं हमारे आम सहित अन्य पेड़ों और फलों के हकदार पक्षी ही है। पेड़ों से जो फल पक्षी जमीन पर गिराते हैं या पक कर गिरते हैं उन्हीं फलों को हम अपना हिस्सा समझते हैं। पक्षी जमीन के फलों को कम ही खाते हैं इसलिए इनका उपयोग या तो हम करते हैं या दूसरों को उपयोग के लिए दे देते हैं। इस बार हम केवल जमीन पर पड़े 5 किलो आम अपने घर लाए हैं।”

फिर, जब हमने यह सवाल किया कि, पक्षियों की घटती संख्या और संकटमय जीवन पर आपका क्या विचार है? इस पर धनीराम कहते हैं कि, “पक्षी के जीवन पर संकट का मुख्य कारण वनों की कटाई है। वनों के कटाई से ना सिर्फ पक्षियों के आश्रय खत्म हो रहे हैं बल्कि तापमान बढ़ने के जलवायु परिवर्तन भी हो रहा है। ऐसे में कई पक्षियों की प्रजातियां यहां तो खत्म हो रही है या फिर अपने अनुकूल पर्यावरण तलाशने के लिए पलायन कर रही हैं।”
जब हमने यह प्रश्न किया कि, पक्षियों के होने से मानवीय जीवन पर क्या असर पड़ता है? वे कहते हैं कि, “गिद्ध और कौए जैसे अन्य पक्षी अपशिष्ट पदार्थ खाते हैं जिससे हमारे लिए प्रदूषण, गन्दगी और बीमारियों का खतरा कम होता है।
वहीं, मुर्गा और तोता तो मानों हमारे घर के सदस्य जैसे हुआ करते थे, जो हमारे सुबह के अलार्म भी हुआ करते थे। लेकिन, अब मुर्गा और तोतों की संख्या बहुत घट गयी है। वहीं, सागर जैसे इलाके में गिद्ध और कौए जैसे पक्षी बीते कुछ सालों से गायब हैं।”
इसके अलावा धनीराम यह भी बताते हैं कि, “प्रकृति को चलाने में और विविधता में पक्षियों का अहम रोल है।”

पक्षियों के प्रति आपके दिलो-दिमाग में क्या चिन्ताएं उठती हैं? इसके जवाब में धनीराम व्यक्त करते हैं कि, “भोजन, आवास और पर्यावरण पक्षियों के जीवन हेतु अपरिहार्य है। मगर, आज आज ज्यादातर खाद्य-पदार्थ रासायनिक, प्रदूषित हो गये है। आज हमने पक्षियों की भूख मिटाने को क्या छोड़ा है? यह बड़ा सवाल है। वनों की अंधाधुंध कटाई पक्षियों के आवास तबाह कर रही है। एक अच्छा पर्यावरण खत्म हो रहा है। इस सब से कुछ पक्षियों की प्रजाति का जीवन खत्म हो रहा। कुछ पक्षियों की प्रजातियां पलायन कर रही हैं।”
वहीं, इसके बाद धनीराम गुप्ता एक उदाहरण देते हुए कहते हैं कि,
“आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के बीच पुलीकट झील पर मैंने एक पर्यावरणीय स्थिति से भरपूर अभ्यारण बना देखा है। जहां देशी पक्षियों से साइबेरियन जैसे अन्य देशों से आकर पक्षी बड़े आनंद से रहते हैं। इस तरह की पर्यावरणीय स्थिति हमें बनाने की जरूरत है। इसके लिए सबसे अच्छा पेड़ लगाकर उनका संवर्धन करना चाहिए।”
वे जिक्र करते हैं कि, “आज जितने पेड़ सरकार के प्रयासों से लगाए गए हैं यदि उनका उचित संवर्धन होता और वह जी पाते तब पर्यावरणीय वैल्यू अच्छी होती। ऐसे में पक्षियों के जीवन को भी एक आधार मिलता।”
अंत में धनीराम कहते हैं कि मेरा मानना है “यदि वाकई हमें पक्षियों को संरक्षित करना है तब फल-फूल अन्य तरह के पेड़ लगाकर हमें पक्षियों के भोजन और आवास हेतु उनके अनुकूल वातावरण तैयार करना होगा। मेरी पहल है कि किसान वर्ग अपने बगीचों को जरूरत के हिसाब से पक्षियों के आवास और भोजन के लिए तैयार करे ताकि पक्षियों का जीवन सुंदर, सशक्त और लंबा हो।”
(सतीश भारतीय एक स्वतंत्र पत्रकार हैं और मध्यप्रदेश में रहते हैं)