ओडिशा में पहली बार भाजपा का शासन आया है, जिसकी आदत राज्य के नागरिकों अभी नहीं है। कल राज्य की राजधानी भुवनेश्वर में बीएमसी के दफ्तर में ओएएस (ओडिशा प्रशासनिक सेवा) अधिकारी को बीजेपी कार्यकर्ताओं ने जिस प्रकार से दफ्तर से घसीटते हुए लात-घूंसों से हमला किया, उसका वीडियो पूरे देश में वायरल हो रहा है।
पूरे देश में इस घटना की चर्चा है, लेकिन ओडिसा तो पूरी तरह से हतप्रभ है। उसे समझ ही नहीं आ रहा कि ये सब क्या है, और यह कैसे हो सकता है?
इस घटना के शिकार, रत्नाकर साहू, बीएमसी के एडिशनल कमिश्नर ने एक न्यूज़ एजेंसी को बताया, “कल करीब 11 बजकर 45 मिनट पर जब मैं आम लोगों की शिकायतें सुन रहा था, तभी अचानक से लगभग 5-6 लोग जीवन नाम के एक पार्षद के साथ मेरे दफ्तर में घुसे। जीवन ने मुझसे पूछा कि क्या मैंने जग्गा भाई के साथ दुर्व्यहार किया था। इसके जवाब में मैंने कहा नहीं। अचानक से इन लोगों ने मुझ पर बर्बर हमला कर दिया। उन्होंने मुझे घसीटा और मुझे अगवा कर एक वाहन में ले गये। एक पार्षद ने मेरा बचाव किया. मेयर भी मेरे बचाव में आ गये। इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कर दी गई है।”
इस बयान से समझ में आता है कि किसी जग्गा भाई के साथ हाल ही में एडिशनल कमिश्नर साहू की बहस हुई, जिससे आहत बीजेपी के स्थानीय नेताओं ने एक सरकारी अधिकारी को सबक सिखा दिया. यह सबक ऐसा था, जिसे देश में भी शायद ही कभी देखा गया हो, पर ओडिसा के लोगों ने तो सपने में भी नहीं सोचा था।
बीएमसी दफ्तर के भीतर घुसकर सत्तापक्ष से जुड़े लोग एक बड़े अधिकारी के साथ ऐसा सुलूक कर सकते हैं, से ओडिसा एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस एसोसिएशन ने मंगलवार से सामूहिक अवकाश की घोषणा कर दी। इस खबर ने ओडिसा सरकार में हडकंप मचा दिया, और मुख्यमंत्री माझी को अधिकारियों को आश्वस्त करना पड़ा कि इस कांड के पीछे जो भी अपराधी हैं, वे भले ही कितने भी ताकतवर हों, उन्हें कड़े से कड़े क़ानूनी प्रावधानों के तहत सजा दी जाएगी।
एसोसिएशन के अध्यक्ष ज्योति रंजन मिश्रा के अनुसार, मुख्यमंत्री से मिले इस आश्वासन के बाद ही संघ ने अपने फैसले को वापस लिया है। हालाँकि मिश्रा का कहना है कि, “मुख्यमंत्री की अपील पर संघ ने 1 जुलाई से सामूहिक अवकाश की घोषणा स्थगित किया है, लेकिन अभी वापस नहीं लिया है।”
इस हमले के विरोध में भुवनेश्वर में सफाई कर्मचारियों ने अपनी सेवाएं ठप कर दीं हैं तथा सभी आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की है।
राज्य सरकार और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच आ चुके इस अविश्वास और दूरी को भाजपा सरकार अपने व्यवहार से कितना पाट पाती है, यह तो समय ही बतायेगा। इस सिलसिले में राज्य सरकार ओएएस एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ सोमवार की रात तक दो बार उच्च-स्तरीय बैठक कर चुकी थी।
पहली बैठक में राज्य के मुख्य सचिव मनोज आहूजा और डीजीपी वाई बी खुरानिया शामिल थे, जबकि दूसरी बैठक में स्वंय मुख्यमंत्री माझी, मुख्य सचिव मनोज आहूजा, डीजीपी, पुलिस कमिश्नर और एडवोकेट जनरल उपस्थित थे। बताया जा रहा है कि यह बैठक आधी रात तक जारी रही। निश्चित रूप से राज्य के साथ-साथ केंद्र से भी मुख्यमंत्री पर दबाव रहा होगा, क्योंकि यह घटना पार्टी की छवि को भारी नुकसान पहुंचा सकती है, विशेषकर बिहार जैसे चुनावी प्रदेश में, जहां पार्टी ओडिशा की तरह पहली बार बड़ा दांव खेलने की कोशिश में है।
भुवनेश्वर पुलिस का इस बारे में कहना है कि सोमवार को बीएमसी के अतिरिक्त आयुक्त रत्नाकर साहू को कुछ बदमाशों ने उनके कार्यालय से घसीटकर बाहर ले जाया गया और उन पर हमला किया गया। इस सिलसिले में पुलिस ने अभी तक भाजपा पार्षद जीवन राउत समेत तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि बाकी लोगों को पकड़ने के प्रयास जारी हैं।
स्थानीय न्यूज़ एजेंसी, कनक न्यूज़ की खबर के मुताबिक, बीएमसी के अतिरिक्त आयुक्त पर हमले के विरोध में कल शाम बीजद नेताओं ने बीएमसी कर्मचारियों के साथ मिलकर प्रदर्शन किया। उन्होंने आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। बीजद के प्रदर्शन के चलते जनपथ पूरी तरह जाम रहा और सैकड़ों वाहन घंटों तक जाम में फंसे रहे।
राजधानी स्तर पर भले ही प्रशासनिक अधिकारियों को सामूहिक हड़ताल पर जाने से रोक दिया गया हो, लेकिन खबर आ रही है कि बीएमसी अधिकारी के ऊपर हमले से नाराज ओडिशा के 8 जिलों के ओएएस और ओआरएस अधिकारी सामूहिक अवकाश पर चले गये हैं।
इस घटना से आहत आम लोग सोशल मीडिया पर टिप्पणी कर पीएम मोदी से हस्तक्षेप करने की अपील करते देखे जा सकते हैं। एक सोशल मीडिया यूजर ने पीएम को टैग करते हुए लिखा है, “कृपया सर ओडिशा राज्य पर ध्यान दें। हमें भाजपा सरकार से बहुत उम्मीदें थीं। लेकिन यह बहुत दुखद है कि पहले रथ यात्रा की घटना और दूसरी तरफ बीएमसी कमिश्नर का अपमान और मारपीट का मामला। अगर आगे बर्बादी से करनी है तो बहुत ध्यान देने की जरूरत है।”
ताजा खबर के मुताबिक अभी तक 4 अभियुक्तों को पुलिस हिरासत में ले चुकी है। उधर बीजेपी ने भी हालात की गंभीरता को देखते हुए पार्टी से 5 नेताओं को निलंबित करने की घोषणा की है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मनमोहन समल की ओर से यह जानकारी प्रेस को दी गई है। भाजपा सरकार पहले से ही पुरी रथ यात्रा हादसे में वीवीआईपी एंट्री को लेकर विवादों में घिरी हुई है, जिसके खिलाफ कांग्रेस ने अभियान छेड़ा हुआ है।
ओडिशा के पुरी में श्री गुंडिचा मंदिर के पास भगदड़ में तीन लोगों की मौत के एक दिन बाद, कांग्रेस ने सोमवार को मांग की थी कि मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी और उनके उपमुख्यमंत्री को इस त्रासदी की जिम्मेदारी लेते हुए अपना इस्तीफा देना चाहिए और उसकी ओर से इस मामले की न्यायिक जांच की भी मांग की गई है। विपक्ष आरोप लगा रहा है कि भाजपा ने रथ यात्रा में शामिल हुए अरबपति गौतम अडानी को आम लोगों से ऊपर तरजीह दी। कांग्रेस का आरोप है कि राज्य सरकार ने ओडिशा के सबसे पवित्र त्योहार को “आम भक्तों की कीमत पर अरबपतियों, अपने मित्रों और कैमरा क्रू” के लिए एक निजी कार्यक्रम में तब्दील कर दिया है।
इससे भी अधिक भयावह यह है कि यह घटना दिनदहाड़े राजधानी भुवनेश्वर के बीचोंबीच हुई, जब एक वरिष्ठ अधिकारी अपने कार्यालय में लोगों की शिकायतें सुन रहे थे।
राज्य की राजधानी में बीएमसी दफ्तर के भीतर अतिरिक्त आयुक्त को किसी जानवर से भी बदतर ढंग से लात-घूसों से पीटने और घसीटते हुए ले जाने की घटना का वीडियो साझा करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री, नवीन पटनायक ने मौजूदा मुख्यमंत्री मोहन मांझी से मांग की है कि वे तत्काल उन लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें जिन्होंने इस शर्मनाक हमले को अंजाम दिया। उनका कहना है कि यदि एक वरिष्ठ अधिकारी अपने कार्यालय में भी सुरक्षित नहीं है, तो आम नागरिक सरकार से किस तरह की कानून-व्यवस्था की उम्मीद कर सकते हैं।
पटनायक ने उम्मीद जताई है कि मुख्यमंत्री माझी अपनी सरकार में प्रदेश के विश्वास को बहाल करने के लिए तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश देने के साथ-साथ इस जघन्य कृत्य को अंजाम देने वाले पूर्व राज्यपाल के बेटे के द्वारा एक अधिकारी पर हमला करने पर दण्डित होने से नहीं बचाएंगे। यदि ऐसा होता है तो ओडिशा के लोग इसे माफ नहीं करेंगे।
बताते चलें कि ओडिशा आमतौर पर चर्चा से दूर अभी तक ख़ामोशी के साथ बिग कॉर्पोरेट की लूट को अंजाम देने वाला प्रदेश रहा है। नवीन पटनायक दो दशक तक बिना किसी शोर-शराबे के केंद्र में बीजेपी को सहयोग कर, राज्य में मिल-बांटकर शासन चला रहे थे, किंतु साथ ही आम लोगों के सामने खुद की छवि को बेदाग़ बनाये हुए थे। लेकिन बीजेपी जिस विभाजनकारी सोच की सवारी कर नवीन बाबू की सरकार को अपदस्थ करने में सफल रही, वह भूख अन्य राज्यों की तुलना में ओडिशा जैसे राज्य में इसलिए कहीं ज्यादा भयावह दिख सकती है, क्योंकि सामने कोई विश्वसनीय विकल्प मौजूद नहीं है। पिछले दो दशकों से राज्य की जनता ने बीजेडी और बीजेपी को गलबहियां करते देखा है, जबकि कांग्रेस कई अन्य राज्यों की तरह यहां भी अभी जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है।
(रविंद्र सिंह पटवाल जनचौक संपादकीय टीम के सदस्य हैं)