Friday, April 26, 2024

ब्रिटिश पुलिस से कश्मीर में भारतीय अधिकारियों की भूमिका की जांच की मांग

लंदन। लंदन की एक कानूनी फर्म ने मंगलवार को ब्रिटिश पुलिस के सामने एक आवेदन दायर कर भारत के सेना प्रमुख और भारत सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी को कश्मीर में युद्ध अपराधों में उनकी कथित भूमिका को देखते हुए उनकी गिरफ्तारी की मांग की है।

लॉ फर्म स्टोक व्हाइट ने कहा है कि उसके द्वारा मेट्रोपॉलिटन पुलिस के वॉर क्राइम यूनिट को बड़े पैमाने पर सबूत सौंपे गये हैं, जिसमें बताया गया है कि कैसे जनरल मनोज मुकुंद नरवाने और गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व वाला भारतीय सशस्त्र बल सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और नागरिकों को यातना देने, अपहृत करने और यहाँ तक कि उनकी हत्या के लिए जिम्मेदार थीं।

लॉ फर्म की रिपोर्ट 2020 और 2021 के बीच लिए गए 2,000 से अधिक साक्ष्यों पर आधारित है। इसके द्वारा आठ अनाम वरिष्ठ भारतीय सैन्य अधिकारियों के उपर भी कश्मीर में युद्ध अपराधों और यातना में सीधे तौर पर लिप्त होने का आरोप लगाया गया है।

भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपने जवाब में कहा है कि उसे इस रिपोर्ट की सूचना नहीं है और उसने किसी भी टिप्पणी करने से इंकार कर दिया है। गृह मंत्रालय ने भी अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है।

रिपोर्ट में कहा गया है, “इस बात पर विश्वास करने के मजबूत आधार हैं कि भारतीय अधिकारियों के द्वारा जम्मू-कश्मीर, जो कि हिमालयी क्षेत्र का हिस्सा है, में आम नागरिकों के खिलाफ युद्ध अपराध सहित अन्य हिंसा संचालित की जा रही है।“

लंदन पुलिस के सामने इस अनुरोध को “सार्वभौमिक क्षेत्राधिकार” के सिद्धांत के तहत किया गया है, जो तमाम देशों को दुनिया में किसी भी कोने में मानवता के खिलाफ किये जा रहे अपराधों के आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने का अधिकार प्रदान करता है।

लंदन स्थित अंतरराष्ट्रीय कानूनी फर्म ने कहा है कि उसका मानना ​​​​है कि उसके द्वारा यह पहली बार आवेदन किया जा रहा है जिसके तहत कश्मीर में कथित युद्ध अपराधों को लेकर भारतीय अधिकारियों के खिलाफ किसी विदेशी भूमि में कानूनी कार्रवाई की जा रही है।

स्टोक व्हाइट में अंतरराष्ट्रीय कानून के निदेशक हाकन कामुज के मुताबिक, वे इस बात की उम्मीद रखते हैं कि हमारी रिपोर्ट ब्रिटिश पुलिस को जांच आरंभ करने के लिए पर्याप्त तौर पर संतुष्ट करेगी, और अंततः जब ये अधिकारी ब्रिटेन में कदम रखेंगे तो उन्हें गिरफ्तार करेगी। कुछ भारतीय अधिकारियों के पास ब्रिटेन में वित्तीय संपत्ति सहित अन्य लिंक हैं।

कामुज ने कहा, “हम ब्रितानी सरकार से अपने दायित्व का निर्वहन करने, मामले की जांच करने और जिन कृत्यों को उन्होंने किया- जिसके सबूत हमने उन्हें सुपुर्द किये हैं, के आधार पर उन्हें गिरफ्तार किये जाने की मांग करते हैं। हम चाहते हैं कि उन्हें इसके लिए जवाबदेह ठहराया जाए।”

जेल में बंद एक पाकिस्तानी आतंकवादी जिया मुस्तफा के परिवार की ओर से पुलिस के समक्ष आवेदन किया गया था, जिसके बारे में कामुज का कहना था कि 2021 में भारतीय अधिकारियों के द्वारा उसकी एक्स्ट्राज्यूडिशियल हत्या कर दी गई थी, और साथ ही मानवाधिकार कार्यकर्त्ता मुहम्मद अहसान उंटू की ओर से आवेदन किया गया था, जिसे पिछले सप्ताह गिरफ्तार करने से पहले कथित तौर पर प्रताड़ित किया गया था।

कश्मीर दो हिस्सों में भारत और पाकिस्तान के बीच विभाजित है, और दोनों ही इस क्षेत्र पर अपना-अपना दावा करते हैं। विद्रोहियों को कश्मीरी मुस्लिमों का समर्थन प्राप्त है जो इस क्षेत्र को एकजुट देखना चाहते हैं, वो चाहे पाकिस्तानी शासन के तहत संभव हो या एक स्वतंत्र देश के रूप में। भारतीय नियंत्रण वाले कश्मीरी हिस्से में, पिछले दो दशकों के दौरान हजारों की संख्या में आम नागरिकों, विद्रोहियों और सरकारी सशस्त्र बल मारे गए हैं।

कश्मीरियों एवं अंतर्राष्ट्रीय अधिकार समूहों की ओर से लंबे समय से भारतीय सैनिकों के द्वारा सुनियोजित तरीके से उन लोगों के साथ दुर्व्यवहार और गिरफ्तार करने का आरोप लगाया है जो नई दिल्ली से शासन करने के खिलाफ हैं। अधिकार समूहों ने उग्रवादी गुटों के तौर-तरीकों की भी भर्त्सना की है, और उनके ऊपर आम नागरिकों के खिलाफ मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया है।

2018 में, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख ने कश्मीर में अधिकारों के उल्लंघन की रिपोर्टों की एक स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच का आह्वान किया था, जिसमें “सुरक्षा बलों के द्वारा किए गए मानवाधिकार उल्लंघनों के लिए स्थायी दंडमुक्ति” का आरोप लगाया गया था।

भारत की सरकार ने कथित अधिकारों के उल्लंघन से इंकार किया है और इस तरह के दावों को अलगाववादी प्रचार करार दिया है, जिसे उनके द्वारा इस क्षेत्र में भारतीय सैनिकों को खलनायक दिखाने के लिए किया जाता है।

लॉ फर्म की जांच ने सुझाव दिया है कि कोरोनावायरस महामारी के दौरान दुर्व्यवहार की स्थिति और अधिक बिगड़ी है।

इसकी रिपोर्ट में क्षेत्र के सबसे प्रमुख अधिकार कार्यकर्ता खुर्रम परवेज की पिछले वर्ष भारतीय आतंकवाद रोधी अधिकारियों के द्वारा गिरफ्तार किये जाने के विवरणों को भी शामिल किया गया है।

जम्मू-कश्मीर नागरिक समाज गठबंधन के लिए काम करने वाले 42 वर्षीय परवेज ने भारतीय सैनिकों के द्वारा हिंसा और यातना के इस्तेमाल के बारे में व्यापक स्तर पर रिपोर्टिंग की है।

रिपोर्ट के अन्य हिस्सों में पत्रकार सज्जाद गुल की चर्चा की गई है, जिन्हें इस महीने की शुरुआत में एक उग्रवादी कमांडर की हत्या का विरोध कर रहे परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों का एक वीडियो पोस्ट करने के बाद गिरफ्तार कर लिया गया था।

मानवाधिकार वकीलों के द्वारा उन लोगों के लिए न्याय हासिल करने के लिए सार्वभौमिक क्षेत्राधिकार सिद्धांत का लगातार इस्तेमाल किया गया है जो अपने गृह देशों में या हेग स्थित अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय में आपराधिक शिकायत दर्ज करने में असमर्थ थे।

पिछले हफ्ते, एक जर्मन अदालत ने एक दशक पूर्व दमिश्क के पास एक जेल में हजारों बंदियों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार की निगरानी करने के लिए एक पूर्व सीरियाई गुप्त पुलिस अधिकारी को मानवता के खिलाफ अपराधों का दोषी ठहराया है।

कामुज ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि भारतीय अधिकारियों की गिरफ्तारी के ब्रिटिश पुलिस से अनुरोध के बाद कश्मीर पर अन्य कानूनी कार्रवाइयां भी की जाएंगी।

उन्होंने कहा “हम इस बारे में यकीन है कि यह आखिरी रिपोर्ट नहीं होने जा रही है, जल्द ही कई और आवेदनों की पेशकश की उम्मीद है।”

(एसोसिएटेड प्रेस से जुड़ी सिल्विया हुई की रिपोर्ट। अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद लेखक और अनुवादक रविंद्र सिंह पटवाल ने किया है।)

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