Saturday, April 27, 2024

कुरुक्षेत्र में बंधुआ बनाए गए बिहार के 80 मजदूरों को मिली मुक्ति

नई दिल्ली। बिहार के महादलित समुदाय के लोगों को रोजगार देने के नाम पर बंधुआ मजदूर बनाने का मामला सामने आया है। ताजा मामला हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले का है। दलालों और शासन-प्रशासन की मिलीभगत से वर्षों से यह खेल चल रहा है। दलाल पहले दलितों को चंद रुपये देकर उनका विश्वास जीतते हैं फिर बिहार से कोसों दूर दिल्ली, हरियाणा और पंजाब में लाकर उन्हें बेच देते हैं। जुगल एवं अखिलेश जैसे हजारों दलालों का यहीं धंधा है। उक्त दोनों दलाल बिहार के बांका, नालंदा सहित कई जिलों में अपना जाल बिछा रखा है।

दलितों-गरीबों को काम दिलाने का वादा करके उनको हरियाणा और पंजाब में लाकर बेचने का अमानवीय काम को अंजाम दे रहे हैं। ऐसा ही इस मामले में भी हुआ। दोनों ने काम दिलाने का सपना दिखाकर कई परिवारों को तबाह कर दिया है। कई मजदूर उसकी झूठी बातों में तब फंस गए जब दोनों ने मज़दूरों को कुछ एडवांस राशि दे दी। यह राशि किसी परिवार को 10,000 रुपये तो किसी परिवार को 15,000 रुपये तक दी गई। किसी मज़दूर ने अपने परिवार के लिए राशन तो किसी ने पुराना कर्ज उतारने या हारी-बीमारी के कारण एडवांस ले ही लिया। इस एडवांस के कर्ज को उतारने में मज़दूरों को अकेले नहीं बल्कि पूरे परिवार को ईंट-भट्टा पर बिकना पड़ा। कई परिवारों को ईंट पाथने के काम में लगा दिया गया और आज तक एक पैसे मजदूरी नहीं दी गई।

10 महीने से ईंट-भट्टा पर काम कर रहे मजदूरों के वेतन की बात करने पर मालिक कहता है कि इन पर अभी भी कर्ज है। एक परिवार के पांच से ज्यादा सदस्य प्रतिदिन चौदह घंटे से ज्यादा काम करते थे लेकिन उनका कर्ज उतरने का नाम नहीं ले रहा है। वेतन देने के नाम पर भट्टा मालिक जंद रुपये देकर अशिक्षित मजदूरों से अंगूठा लगवा लेता है।
बंधुआ मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने मजदूरों की स्थिति का जब पता चला तो वे ईट-भट्टा पर गए और वहां यह सामने आया कि अधिकांश मज़दूर अशिक्षित है उनसे पेपर पर अंगूठा लगवा लिया जाता है। ईट-भट्टा पर कार्यरत सभी 21 परिवारों के लगभग 80 मज़दूर जिनमें महिलाए एवं बच्चे भी शामिल है। 10 माह पहले सारे मजदूरों के अखिलेश एवं जुगल ने कमला ईंट-भट्टा (गांव दीवाना, पहवा, कुरुक्षेत्र, हरियाणा) के मालिक झिंकू के हाथों बेच दिया था। इसके बाद भट्टा मालिक ने दोनों मानव तस्करों को उनका कमीशन देकर रवाना कर दिया। ईधर मज़दूरों को मात्र पेट भरने के लिए 1000-1500 रुपये ही प्रत्येक पखवाड़े में दिए जाते थे।

बिहार के अलग-अलग जिलों के ये मज़दूर साल भर खेती में तीन महीने का ही काम पाते हैं। बाक़ी समय इन्हें जीवनयापन के लिए कोई साधन नहीं मिलता। जगता गांव की पूनम देवी ने बताया कि मजदूरों को कृषि क्षेत्र में लगभग एक महीने का काम ही मिल पाता है और पुरुष को प्रतिदिन जहां 200 रूपए मिलते हैं वहीं महिलाओं को मात्र 100 रुपए ही मिलता है।

मुक्त कराए गए बंधुवा मजदूर लक्ष्मी का कहना है कि मनरेगा में भी केवल एक या दो महीने तक ही 100 रूपए प्रतिदिन के हिसाब से काम मिल पाता है। जिसमें 14 वर्ष तक के बच्चों को स्कूल की सुविधा नहीं मिलती और काम पर लाना पड़ता है। संजय ने बताया कि कंस्ट्रक्शन के काम में रोज 10 घंटे काम करके केवल पुरुष 250 रूपए तक प्राप्त कर पाते हैं। ऐसे में मानव तस्करी इन्हें 6 महीने काम दिलाने और प्रतिदिन 1000 ईंट बनाने का 660 रूपए दिलाने का लालच देकर आसानी से बहका लेते हैं। लेकिन इसका सबसे दुखद पक्ष यह है कि दलाल अपना कमीशन लेकर मजदूरों को उनके हाल पर छोड़ कर भाग जाते हैं। इसके बाद मजदूरों के शोषण का सिलसिला शुरू होता है और मजदूरों को 15 दिन में केवल 1000-1500 रूपए ही दिया जाता है। इस प्रक्रिया में गरीब-मजदूरों के बच्चों की पढ़ाई छूट जाता है। मजदूरों को सुबह 5 बजे से रात 8 बजे तक काम करना पड़ता है जिसमें बच्चे भी काम करते हैं।
पढ़ा- लिखा न होने कि वजह से मालिक व ठेकेदारों इनसे किसी काग़ज़ पर अंगूठे का निशान लेके अपना काम पक्का कर लेते हैं। इतना ही नहीं जब मज़दूर इस जहालत से मुक्त होने की कोशिश करते हैं या भट्ठे से भागने की कोशिश करते हैं तो उन्हें ईंट भट्टा मालिक, ठेकेदार, मुंशी सहित उनके गुंडो पीटते हैं। मज़दूर अपने परिवार सहित होने से अकेले भाग कर भी नहीं जा सकते थे क्योंकि उनका परिवार तो भट्टे में फंसा था।
अचानक इस मामले की जानकारी मदन कुमार नाम के सज्जन को मिली। मदन कुमार ने तत्काल दिल्ली स्थित संगठन नेशनल कैंपेन कमेटी फोर ईरेडिकेशन ऑफ बांडेड लेबर के संयोजर निर्मल गोराना को दी। उक्त मामले के संबंध में मानव तस्करी से पीड़ित बंधुआ मज़दूरों को मुक्त कराने हेतु निर्मल गोराना ने डीएम कुरुक्षेत्र, एसडीएम पैहवा को शिकायत भेजी तथा प्रशासन से समन्वय करके ह्यूमन राइट्स लॉ नेटवर्क, बंधुआ मुक्ति मोर्चा, नेशनल कैंपेन कमेटी फोर ईरेडिकेशन ऑफ बांडेड लेबर की टीम लेकर 28 जून को पैहवा एसडीएम कार्यालय पहुंच गए। एसडीएम ने तहसीलदार, फूड एंड सप्लाई ऑफिसर, श्रम अधिकारी एवं संबंधित थाने की टीम बनाकर निर्मल गोराना कि टीम के साथ कमला BKO भट्टे पर भेज दी। भट्टे पर मज़दूर डरे हुए तथा भट्टे के पास में छुपी हुई अवस्था में मिले।

टीम द्वारा मज़दूरों के 21 परिवारों के बयान लिए गए जिसमें लगभग 20-25 पुरुष, 18-20 महिलाए एवं बच्चे मिलाकर 80 सदस्य थे। प्रशासन ने मजदूरों को भट्टे से निकालकर रेलवे स्टेशन कुरुक्षेत्र पर छोड़कर अपना पल्ला झाड़ लिया। लेकिन ईंट-भट्ठे से मुक्त मजदूरों ने मालिक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का मन बनाया है। मजदूरों का कहना है कि वे अपना हक लेकर बिहार लौटेंगे।

1 जुलाई को मजदूरों ने जंतर मंतर पर धरना-प्रदर्शन करके संघर्ष का एलान कर दिया है। उक्त मामले में मजदूरों को बेचा गया, बंधुआ बनाया, बेगार लिया गया, मारा पीटा गया, अपमानित किया गया। बंधुआ मुक्ति मोर्चा के निर्मल गोराना कहते हैं कि इस मामले में मानवाधिकार, बंधुआ मजदूरी प्रथा उन्मूलन अधिनियम, अनुसूचित जाति अत्याचार निवारण अधिनियम, अंतर्राजीय प्रवासी मजदूर अधिनियम, न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, बाल श्रमिक उन्मूलन अधिनियम, किशोर न्याय अधिनियम, फैक्ट्री वर्कर अधिनियम एवं आईपीसी की धारा 370, 374 सहित कई कानूनों का उल्लंघन हुआ है।
इस धरने के माध्यम से केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री, मुख्य सचिव बिहार एवं हरियाणा सरकार, कुरुक्षेत्र कलेक्टर से मुक्ति प्रमाण पत्र एवं तत्काल सहायता राशि(बंधुआ मजदूरों को पुनर्वास की योजना 2016) एवं पुलिस सुरक्षा के साथ उनके अपने राज्य बिहार में उनकी सम्मान के साथ वापसी की मांग को लेकर मज़दूर न्याय मांग रहे है।

बंधुवा मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष स्वामी अग्निवेश ने राज्य के मुख्य सचिव एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से अपील की है कि मुक्त किए गए बंधुवा मजदूरों को तुरंत राहत दी जाए। इसके साथ ही स्वामी अग्निवेश ने नीतीश सरकार की आलोचना करते हुआ कहा कि बिहार की ऐसी दयनीय परिस्थिति क्यों हैं कि दलित, गरीब मज़दूर सुदूर हरियाणा, जम्मू कश्मीर और भारत के अन्य इलाकों में पलायन करने को बाध्य हो रहे हैं जहां वह बंधुआ मज़दूर बनाए जाते हैं।

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

AICCTU ने ऐप कर्मियों की मांगों को लेकर चलाया हस्ताक्षर अभियान, श्रमायुक्त को दिया ज्ञापन।

दिल्ली के लाखों ऐप कर्मचारी विषम परिस्थितियों और मनमानी छटनी से जूझ रहे हैं। उन्होंने कम प्रति ऑर्डर रेट, अपर्याप्त इंसेंटिव्स, और लंबे कार्य समय के खिलाफ दिल्ली भर में हस्ताक्षर अभियान चलाया। ऐप कर्मचारी एकता यूनियन ने बेहतर शर्तों और सुरक्षा की मांग करते हुए श्रमायुक्त कार्यालय में ज्ञापन दिया।

ग्राउंड रिपोर्ट: पुंछ में केसर उत्पादन की संभावनाएं बढ़ीं

जम्मू के पुंछ जिले में किसान एजाज़ अहमद पांच वर्षों से केसर की सफल खेती कर रहे हैं, जिसे जम्मू विश्वविद्यालय ने समर्थन दिया है। सरकार से फसल सुरक्षा की मांग करते हुए, अहमद पुंछ को प्रमुख केसर उत्पादन केंद्र बनाना चाहते हैं, जबकि महिला किसानों ने भी केसर उत्पादन में रुचि दिखाई है।

Related Articles

AICCTU ने ऐप कर्मियों की मांगों को लेकर चलाया हस्ताक्षर अभियान, श्रमायुक्त को दिया ज्ञापन।

दिल्ली के लाखों ऐप कर्मचारी विषम परिस्थितियों और मनमानी छटनी से जूझ रहे हैं। उन्होंने कम प्रति ऑर्डर रेट, अपर्याप्त इंसेंटिव्स, और लंबे कार्य समय के खिलाफ दिल्ली भर में हस्ताक्षर अभियान चलाया। ऐप कर्मचारी एकता यूनियन ने बेहतर शर्तों और सुरक्षा की मांग करते हुए श्रमायुक्त कार्यालय में ज्ञापन दिया।

ग्राउंड रिपोर्ट: पुंछ में केसर उत्पादन की संभावनाएं बढ़ीं

जम्मू के पुंछ जिले में किसान एजाज़ अहमद पांच वर्षों से केसर की सफल खेती कर रहे हैं, जिसे जम्मू विश्वविद्यालय ने समर्थन दिया है। सरकार से फसल सुरक्षा की मांग करते हुए, अहमद पुंछ को प्रमुख केसर उत्पादन केंद्र बनाना चाहते हैं, जबकि महिला किसानों ने भी केसर उत्पादन में रुचि दिखाई है।