जनपक्षधर पत्रकारिता और डिजिटल सेंसरशिप

पत्रकारिता को दिन-ब-दिन मुश्किल बनाया जा रहा है। अख़बारों और टीवी चैनलों की धूर्तता अब किसी से छिपी नहीं है,…

क्या मोदी सबसे विभाजनकारी नेता हैं ?

अगर मशीन झूठ नहीं बोल सकती तो भला एआई ग्रोक कैसे झूठ बोल सकता है? अगर ईवीएम गलत नहीं हो…

किस तरह एआई देशों के बीच और वर्गों के बीच खाई को और चौड़ा कर रही है?

एक बात स्पष्ट है कि जब एक वर्ग-विभाजित दुनिया और समाज में कोई भी तकनीक वर्ग-निरपेक्ष नहीं हो सकती, तो…

चीन के सवाल में हैं कुछ ‘क्यों’ और ‘कैसे’ भी 

भारतीय वित्त मंत्रालय के आर्थिक सर्वेक्षण में लगातार दूसरी बार चीन की आर्थिक सफलताओं पर ‘क्या करें और क्या नहीं’…

‘डीपसीक’ ने पश्चिमी कॉरपोरेट जगत में खलबली क्यों मचा रखी है?

चीन के एक स्टार्टअप द्वारा विकसित कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई, यानि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) ‘‘डीपसीक आर-1’ के लांच होते ही अमरीका से…

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस: ChatGPT बनाम DeepSeek

आज के तेज़ी से बदलते आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) क्षेत्र में दो प्रमुख लैंग्वेज मॉडल लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहे…

रोजगार की बहस और अहम सवाल

क्या पूंजीवादी अर्थव्यवस्था के भीतर सभी लोगों को रोजगार मुहैया कराना संभव है? आज भारत में जो हालात हैं, उनके…

पूंजीवाद, शोषण और डिजिटल युग: उत्पादन और श्रम के बदलते संबंध

पूंजीपतियों ने सामंती और पारंपरिक व्यवस्था को तोड़ते हुए एक नई औद्योगिक व्यवस्था की स्थापना की। इस प्रक्रिया में उन्होंने…

रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और मैन्युफैक्चरिंग बजट की सर्वोच्च प्राथमिकता बने

लोकसभा चुनाव में रोजगार का सवाल तथा लोगों की जिंदगी के अन्य आर्थिक सवाल प्रमुख मुद्दा बने थे और उन्होंने…

कॉरपोरेट और सरकारें लोगों पर नियंत्रण और अधिकतम मुनाफे के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को बना रहे हथियार

शीतयुद्ध के दौरान अमेरिका और पश्चिमी जगत में ढेरों इस‌ तरह उपन्यास लिखे गए और फ़िल्में बनाई गईं, जिसमें परमाणु…