जब कोई सामाजिक व्यवस्था केवल संसाधनों पर नहीं, बल्कि श्रम, शरीर, सोच और आत्म-संवेदना पर अपना वर्चस्व स्थापित कर लेती…
revolutionary conundrum
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जब कोई सामाजिक व्यवस्था केवल संसाधनों पर नहीं, बल्कि श्रम, शरीर, सोच और आत्म-संवेदना पर अपना वर्चस्व स्थापित कर लेती…