पिछड़ी जाति के दुकानदार के बच्चे को बेटा कहने पर दलित को गंवानी पड़ी जान

नई दिल्ली। गुजरात के अमरेली जिले में एक दलित को इसलिए अपनी जान से हाथ धोना पड़ा क्योंकि उसने दुकानदार के बच्चे को बेटा कहकर संबोधित किया। जिसके बाद भारवाड़ (ओबीसी) दुकानदार और अन्य 11 लोगों ने दलित युवक नीलेश राथौड़ को जमकर पीटा। घटना के बाद उसे भावनगर सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन गुरुवार (22 मई) को उसने दम तोड़ दिया।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 16 मई को दलित युवक नीलेश राथौड़ भजिए के दुकान पर सौदा लेने गया। दुकान पर मालिक के साथ उसका बच्चा भी बैठा हुआ था। उस बच्चे को संबोधित करते हुए दलित ने उसे बेटा कहा। इस बात से ओबीसी दुकानदार भड़क उठा और उसने कहा कि तेरी इतनी हिम्मत कैसे हुई कि तू मेरे बच्चे को बेटा कहकर संबोधित कर रहा है? दुकानदार और उसके साथ के लोगों ने दलित की जमकर पिटाई की। पिटाई के 6 दिन बाद दलित ने अंतिम सांस ली।

अमरेली जिले के लाठी तहसील के जराखिया गांव के 20 वर्षीय दलित युवक नीलेश राथौड़ ने गुरुवार को भावनगर के एक अस्पताल में दम तोड़ दिया। 28 वर्षीय लालजी मनसुख चौहान, जिस पर 16 मई की घटना में भी हमला किया गया था, द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी के अनुसार, “वह राथौड़ और अन्य लोगों के साथ अमरेली-सावरकुंडला रोड पर एक भजिया की दुकान पर गया था, जब राथौड़ पैकेज्ड स्नैक्स खरीदने के लिए पास की एक दुकान पर गया था। बाद में चौहान स्थिति का जायजा लेने के लिए दुकान पर गया, जहां दुकानदार छोटा खोड़ा भारवाड़ ने कथित तौर पर उस पर डंडे से हमला किया।”

थाने में दर्ज रिपोर्ट के अनुसार नीलेश राथौड़ (मृत दलित) के एक साथी ने बताया कि 16 मई को वह एक भजिए की दुकान पर खड़ा था। उसी समय राथौड़ एक दुकान पर कुछ खरीदने गया। इसी दौरान उसने दुकानदार के बच्चे को बेटा कहकर पुकारा, इससे दुकानदार गुस्से में आ गया और उसने अपने कुछ सहयोगियों के साथ राथौड़ की पिटाई करना शुरू कर दी। पिटाई में लगी चोटों के कारण राथौड़ को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा।

एफआईआर में विजय आनंद तोता का भी नाम है, जिसने कथित तौर पर चौहान और राथौड़ दोनों पर हमला किया।

भजिया स्टॉल के मालिक जग दुधात ने बीच-बचाव कर उन्हें बचाया, शिकायत में कहा गया है।

बाद में, राथौड़ के चाचा सुरेश वाला दुकान के मालिक से भिड़ने के लिए दुकान पर पहुंचे। तब तक दुकानदार ने कुछ लोगों को बुला लिया था, जिन्होंने वाला और अन्य लोगों पर लाठी और दरांती से हमला कर दिया और जातिवादी गालियां दीं।

शिकायतकर्ता ने आगे कहा कि राथौड़, वाला, दुधात और उसने भागने की कोशिश की, लेकिन हमलावरों ने उनका पीछा किया और उनकी जाति का मजाक उड़ाते हुए उन पर “अधिक्रमण” करने का आरोप लगाते हुए उन्हें पीटना जारी रखा।

जांच में पता लगा कि कुल 11 लोग राथौड़ को मार रहे थे। घटना के बारे में कांग्रेस के विधायक ने वक्तव्य जारी किया और घटना की निंदा की। कांग्रेस विधायक जिग्नेश मेवानी और मृत दलित के परिजनों ने विरोध प्रकट करते हुए अपराध में शामिल 11 व्यक्तियों के विरूद्ध सख्त कार्यवाही की मांग की है। कांग्रेस विधायक ने मांग की है कि मृत दलित के परिवार को पांच एकड़ जमीन दी जाए और उसके परिवार में से किसी को सरकारी नौकरी दी जाए।

राथौड़ के परिवार ने यह घोषणा की कि वे मृत व्यक्ति की अंतिम क्रिया उस समय तक नहीं करेंगे जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं हो जातीं।

महात्मा गांधी और प्रधानमंत्री मोदी के राज्य में इस तरह की घटना होना अत्यधिक निदंनीय तो है ही परंतु इस बात का भी सबूत है कि हिन्दुओं की उच्च जाति/ओबीसी के लोग आज भी दलितों को इंसान से भी बदतर मानते हैं।

इस तरह की घटनाएँ आए दिन होती रहती हैं। कहीं दलित दूल्हे को घोड़ी से उतार कर उसकी पिटाई की जाती है, तो कहीं दलित की अधजली लाश को चिता से उठा लिया जाता है क्योंकि वह अंतिम संस्कार की जगह उच्च जाति के लोगों के लिए आरक्षित थी। हम किस दिन इस परपंरा से छुटकारा पाएंगे?

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