Thursday, April 18, 2024

अरुण कुमार त्रिपाठी

पार्टी और आंदोलन के बीच संपूर्ण क्रांति

संपूर्ण क्रांति का काम पार्टियां करेंगी या उसके लिए समर्पित युवाओं के संगठन और उनके कंधों पर खड़ा एक व्यापक आंदोलन? यह प्रश्न 5 जून 1974 को उस समय भी था जब जयप्रकाश नारायण ने बिहार के राज्यपाल को...

अमेरिका और चीन के बीच में भारत

लद्दाख में चीनी सैनिकों की दादागीरी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का अपुष्ट दावा कि उनकी भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात हुई और वे इससे बहुत प्रसन्न नहीं हैं, एक ऐसी स्थिति को प्रदर्शित करता है जहां...

पत्रकारिता दिवस के स्मरण का मतलब

आज हिंदी पत्रकारिता 194 वर्ष पुरानी हो गई। 30 मई 1826 को कलकत्ते से हिंदी के पहले साप्ताहिक अखबार `उदंत मार्तंड’ का प्रकाशन हुआ था। संपादक थे पंडित जुगल किशोर शुकुल। इस शब्द का अर्थ है समाचार-सूर्य। यह अखबार...

महाराष्ट्रः जहां महामारी एक राजनीति भी है

निश्चित तौर पर यह बात बेहद चिंताजनक है कि मुंबई में 32 हजार से ज्यादा कोरोना पॉजिटिव मरीज पाए गए हैं और पूरे महाराष्ट्र में यह संख्या 50 हजार से ज्यादा है। लेकिन उतनी ही चिंताजनक है वहां की...

कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना (17 मई 1934) के 86 वें वर्ष पर विशेष: हम में समाजवादी कौन है?

जब कोरोना महामारी के प्रसार को रोकने के लिए सरकार की ओर से बिना विचारे किए गए लॉकडाउन के कारण लाखों मजदूर घनघोर कष्ट सहकर शहरों से गांवों की ओर पलायन कर रहे हों और कई राज्य सरकारें वर्षों...

मजदूरों की मौत से आत्मनिर्भरता आएगी?

किसी ने ठीक ही कहा है कि कोरोना महामारी में नया कुछ नहीं हो रहा है। बल्कि जो चीजें हो रही थीं उनकी गति तेज हो गई है। इसे हम श्रम कानूनों के साथ भी घटित होता देख सकते...

आग बड़वाग्नि से बड़ी है आग पेट की

रामकथा को घर-घर पहुंचाने वाले तुलसीदास के भूख और गरीबी के अनुभव का जिक्र वे नहीं करते जिन्हें उनसे राजनीतिक और धार्मिक लाभ लेना है। लेकिन जब भी हम इन पंक्तियों को पढ़ते या सुनते हैं कि `आग बड़वाग्नि...

कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई में आँकड़ों की भी है अपनी अहमियत

कोरोना काल के आंकड़े हमारे अस्तित्व और विकास के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण होने वाले हैं। इस बात पर दुनिया भर के वैज्ञानिक और समाजशास्त्रियों का ध्यान तेजी से गया है। वे इसे इकट्ठा करने और इसके विश्लेषण पर जोर...

विज्ञान का वसुधैव कुटुंबकम

कहा जाता है कि आवश्यकता आविष्कार की जननी है। इसी सूत्र को थोड़ा बढ़ाकर कहा जाए तो कहना पड़ेगा कि वैश्विक आपदा या महामारी वसुधैव कुटुंबकम की वजह बन रही है। कोरोना काल में वसुधैव कुटुंबकम की भावना को...

अखबार मरेंगे तो लोकतंत्र बचेगा?

हम गाजियाबाद की पत्रकारों की एक सोसायटी में रहते हैं। वहां कई बड़े संपादकों और पत्रकारों (अपन के अलावा) के आवास हैं। इस सोसायटी में एक बड़े पत्र प्रतिष्ठान के ही पूर्व कर्मचारी अखबार सप्लाई करते हैं। वे बताते...

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