Author: रवीश कुमार
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आर्थिक तबाही से गुज़रती दुनिया के बीच मस्त मौला बना हुआ है भारत
टर्की की मुद्रा लीरा जीरा हो गई है। डॉलर को सामने देखते ही कांपने लग जाती है। वहां की महंगाई ने छप्पर फाड़ने के बाद आसमान भी नहीं छोड़ा और अब अंतरिक्ष की तरफ निकल गई है। मुद्रा स्फीति की दर 80 प्रतिशत हो गई है। अंकारा राजधानी है। इसके मेयर विपक्ष के नेता हैं।…
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यह सीरिया नहीं, भारत की तस्वीर है! दृश्य ऐसा कि हैवानियत भी शर्मिंदा हो जाए
इसके पहले फ्रेम में सात पुलिस वाले दिख रहे हैं। सात से ज़्यादा भी हो सकते हैं। सभी पुलिसवालों के हाथ में बंदूकें हैं। सबने बुलेट प्रूफ जैकेट पहन रखे हैं। तरह-तरह की आवाज़ें आ रही हैं। तड़-तड़ गोलियों के चलने की आवाज़ें भी आ रही हैं। कैमरे का फ्रेम थोड़ा चौड़ा होता है। अब…
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लखनऊ बन गया है लाशनऊ; धर्म का नशा बेचने वाले, लोगों को मरता छोड़ गए
भारत को विश्व गुरु बनाने के नाम पर भोली जनता को ठगने वालों ने उस जनता के साथ बहुत बेरहमी की है। विश्व गुरु भारत आज मणिकर्णिका घाट में बदल गया है, जिसकी पहचान बिना ऑक्सीजन से मरे लाशों से हो रही है। अख़बार लिख रहे होंगे कि दुनिया में भारत की तारीफ़ हो रही…
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धर्म की राजनीति का ध्वजारोहण देखती जनता, अस्पतालों के बाहर लाश में बदल रही है
अस्पताल और श्मशान में फ़र्क़ मिट गया है। दिल्ली और लखनऊ का फ़र्क़ मिट गया है।अहमदाबाद और मुंबई का फ़र्क मिट गया है। पटना और भोपाल का फ़र्क़ मिट गया है। अस्पतालों के सारे बिस्तर कोविड के मरीज़ों के लिए रिज़र्व कर दिए गए हैं। कोविड के सारे गंभीर मरीज़ों को अस्पताल में बिस्तर नहीं…
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मोदी जी गरीबों का खून निकाल कर बनाएंगे 5 ट्रिलियन की इकॉनमी!
बुजुर्ग लोगों को ब्याज बहुत तंग कर रहा है। बैंक में अब ब्याज मिल नहीं रहा जिसके भरोसे कोई जीवन काट ले। एक व्यक्ति ने अपने जीवन का मोटा मोटी हिसाब बताया कि हमने रिटायर होने पर 50 लाख रुपया 10 परसेंट इंटरेस्ट पर जमा कर दिया। उससे मुझे सालाना ₹5 लाख ब्याज से मिल…
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अर्णब के व्हाट्स चैट की जवाबदेही प्रधानमंत्री की थी, बोल रहे हैं राहुल गांधी, क्यों?
16 जनवरी को व्हाट्सएप चैट की बातें वायरल होती हैं। किसी को पता नहीं कि चैट की तीन हज़ार पन्नों की फाइलें कहां से आई हैं। बताया जाता है कि मुंबई पुलिस TRP के फर्ज़ीवाड़े को लेकर जांच कर रही थी। उसी क्रम में इस मामले में गिरफ्तार पार्थो दासगुप्ता से बातचीत में रिपब्लिक टीवी…
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सार्वजनिक मजाक का पात्र बन चुकी कमेटी का भला क्या मतलब?
सुप्रीम कोर्ट के पास कमेटी के चारों सदस्य के नाम कहां से आए, आम जनता के पास यह जानने का कोई रास्ता नहीं लेकिन कमेटी के सदस्यों का नाम आते ही आम जनता ने तुरंत जान लिया कि कमेटी के चारों सदस्य कृषि कानूनों का समर्थन करते हैं। सरकार की लाइन पर ही बोलते रहे…
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अलविदा शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी! दास्तानगोई को जिंदा कर खुद बन गए दास्तां
1995 के आस-पास का वक्त रहा होगा। किसी बातचीत में उनकी लाइब्रेरी का ज़िक्र सुना था। इलाहाबाद के घर में उनकी लाइब्रेरी के क़िस्से की छाप दिमाग़ में रह गई। हम अपनी निजी चर्चाओं में उन्हें लाइब्रेरी वाले फ़ारूक़ी साहब के तौर पर ही जानते थे। तब मैं उन्हें नहीं जानता था। कम पढ़ा-लिखा होने…