Author: सुशील मानव
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अरुण कुमार का साक्षात्कार: क्रोनिज्म का भयावह विद्रूप है मोडानी
(प्रो. अरुण कुमार जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर रहे हैं और देश के जाने-माने अर्थशास्त्री हैं। उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था और उसकी समस्याओं, संकटों के लेकर ‘द ब्लैक इकोनॉमी इन इंडिया’, ‘डिमोनिटाइजेशन एंड द ब्लैक इकोनॉमी’, ‘ग्राउंड स्कोर्चिंग टैक्स’ और ‘इंडियन इकोनॉमीज ग्रेटेस्ट क्राइसिस (इंपैक्ट ऑफ कोरोना वायरस एंड द रोड अहेड)’ जैसी किताबें…
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चिड़ियों में लैंगिक भेदभाव नहीं होता, यह सिर्फ इंसानों में होता है
प्रोजेक्टर पर चार चिड़ियों का कोलाज दिख रहा है। एक चिड़िया की चोंच में कीड़ा दबा है, दूसरी चिड़िया की चोंच में अनाज का दाना, तीसरी चिड़िया की चोंच में मच्छर जैसा कुछ और चौथी चिड़िया की चोंच खाली है। प्रोफेसर रघु सिन्हा हॉल में बैठे बच्चों से पूछते हैं कि तीन चिड़ियों के चोंच…
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नवजागरण की परम्परा को आगे बढ़ा रहा दलित साहित्य: शरण कुमार लिम्बाले
मध्यकाल में संतों ने हमें अपने अपने समय की कटु सच्चाईयों से रूबरू कराया और उसका प्रतिरोध किया। ब्रिटिश काल में भी समाज सुधारकों ने जो नवजागरण किया, उसने हमें मॉडर्न बनाया। नवजागरण ने समय के साथ हमें आगे लेकर जाने का काम किया। अब मध्यकाल और ब्रिटिश काल में हुए नवजागरण को आगे बढ़ाने…
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आशा वर्कर ने बकाया वेतन की मांग की तो CMO ने कहा-पति कुछ नहीं करते तो तलाक़ दे दो
प्रयागराज। “पति को स्पाइनल कॉर्ड इंजरी है वो कुछ कर नहीं सकते। हर महीने 1200-1700 रुपये उनकी दवा का खर्चा है। दो बच्चे हैं। बेटी नौवीं कक्षा में है और बेटा 12वीं कक्षा में। फ़ीस और बिजली बिल तो समय पर जमा करना होता है। हर महीने कर्ज़ लेकर पति का दवा ले आती हूं।…
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सेक्स वर्कर्स के लड़कों और 40 साल पार की स्त्रियों के बारे में कोई बात नहीं करता: नसीमा ख़ातून
नसीमा ख़ातून पिछले दो दशक से सेक्स वर्कर्स के बच्चों के शिक्षा व अधिकारों के लिए काम करती आ रही हैं। वह राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की एडवाइजरी कमेटी की सदस्य और राजस्थान नागरिक मंच महिला प्रकोष्ठ की महासचिव हैं। नसीमा सेक्स वर्कर्स के लिए हस्तलिखित त्रैमासिक पत्रिका ‘जुगनू’ निकालती हैं। इसके साथ ही वो सेक्स…