Thursday, April 25, 2024

विमल कुमार

प्रधानमंत्री की भाषा: सोच और मानसिकता का स्तर

धरती पर भाषा और लिपियां सभ्यता के प्राचीन आविष्कारों में से एक है। भाषा का विकास दरअसल सभ्यता का भी विकास है, संस्कृति का भी विकास है। भाषाएं एक दिन में नहीं बनती हैं और सभ्यता भी एक दिन...

हिंदी प्रकाशक चुरा रहे हैं लेखकों की मेहनत की कीमत

हिंदी के अप्रतिम लेखक विनोद कुमार शुक्ल के ऑडियो और वीडियो से उनके प्रकाशकों द्वारा उनका शोषण किये जाने की घटना के रहस्योद्घाटन से हिंदी जगत का एक हिस्सा काफी हद तक हतप्रभ है और उसने सोशल मीडिया पर...

5 करोड़ ट्वीट को देख कर सोई सरकार

क्या आपको मालूम है कि रेलवे में नौकरी पाने की आस लिए छात्र जब हताश हुए तो उन्होंने न्याय के लिए 5 करोड़ ट्वीट किए लेकिन सत्ता के नशे में चूर सरकार ने कोई संज्ञान नहीं लिया सब आंख मुद्दे...

गंगा-जमनी तहजीब का एक पत्रकार चला गया

लोकप्रिय टीवी पत्रकार कमाल खान का आज सुबह दिल का दौरा पड़ने से  निधन होने की जैसे ही खबर मिली, दिल को बहुत गहरा धक्का लगा। कुछ उसी तरह जब विनोद दुआ नहीं रहे। दोनों की पत्रकारिता का शुरू...

बिहार के कवि सुधांशु फिरदौस को भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार

नई दिल्ली। बिहार के सुधांशु फ़िरदौस को वर्ष 2021 का प्रतिष्ठित भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई है। 2 जनवरी, 1985 को मुजफ्फरपुर में जन्मे श्री फिरदौस को यह सम्मान उनके पहले कविता संग्रह ‘अधूरे...

संत लेखिका थीं मन्नू भंडारी

हिंदी में प्रभामण्डल वाले चमकदारऔर हाई प्रोफाइल लेखक तो बहुत हुए हैं पर ऐसे लेखक बहुत कम हुए हैं जो मंच पर नहीं नजर आते थे बल्कि हमेशा नेपथ्य में रहना पसंद करते हैं। मन्नू जी इसी परम्परा की...

पुण्यतिथि पर विशेष: क्या राजेन्द्र यादव का सही मूल्यांकन होना बाकी है?

आज से करीब 50 साल से भी पहले प्रसिद्ध अमरीकी लेखक मारियो पूजो की बहुचर्चित किताब" गॉडफादर" आयी थी जो करीब 67 सप्ताह यानी करीब सवा साल तक बेस्ट सेलर रही। दो साल में वह किताब दो करोड़ बिकी।...

भाषा की गुलामी खत्म किये बिना वास्तविक आज़ादी संभव नहीं

राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के लिए आज़ादी का सवाल केवल अंग्रेजों से देश को मुक्त कराना भर नहीं था बल्कि उनके लिए आज़ादी व्यक्ति और समाज की मुक्ति का भी प्रश्न था। यह मुक्ति अपनी भाषा में ही संभव थी...

‘स्त्री दर्पण’ ने उठायी स्त्रियों की आवाज़

सोशल मीडिया में जहां रोज स्त्रियों को ट्रोल किया जा रहा है, वहीं स्त्रियों ने अपनी आवाज़  खुद बुलंद करनी शुरू कर दी है और इसके लिए अपना डिजिटल प्लेटफार्म बनाया है। इन  स्त्रियों ने कई डिजिटल प्लेटफार्म बनाकर ...

ढह गया हिंदी-उर्दू के बीच का एक पुल

हिंदी और उर्दू के बीच पुल बनाने वाले अब बहुत कम लेखक रह गए हैं। अली जावेद उन लेखकों की मानो अंतिम कड़ी थे। हिंदुस्तान की साझी विरासत और दो जुबान की आपसी दोस्ती को जिंदा रखने वाले लेखक...

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