पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक को 22 मई को सीबीआई ने दाखिल की गई चार्जशीट में शामिल कर दिया। जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में डोडा में बन रहे चेनाब वैली डैम प्रोजेक्ट में ‘कथित भ्रष्टाचार’ मामले में सीबीआई ने यह कार्यवाही सत्यपाल मलिक द्वारा हाल ही में 6 मई को करण थापर के साथ एक इंटरव्यू में वर्तमान ‘प्रधान सेवक’ की आलोचना के बाद की है। प्रधान मंत्री ‘डरपोक’ हैं ‘बेशर्म’ हैं और पहलगाम की घटना के लिए मोदी को ‘देश से माफ़ी मांगनी चाहिए ‘ ऐसा उस इंटरव्यू में सत्यपाल मलिक ने बेबाकी से कह दिया था।
किसान आंदोलन के समय भी बिहार के राज्यपाल रहते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिल कर किसानों का पक्ष रखा था और किसानों की मांगें मनवाने के लिए प्रधानमंत्री पर स्पष्ट तौर पर दबाव डाला था। समय समय वर्तमान सत्ता की नीतियों पर बिना डरे सवाल उठाते रहे सत्यपाल मलिक के घर और गांव की पुरानी हवेली पर पिछले साल 2024 फरवरी में सीबीआई ने रेड की थी। जब सत्यपाल मलिक गंभीर रूप से बीमार थे और अस्पताल में भर्ती थे।
आजादी के बाद से संघर्षरत जम्मू-कश्मीर जैसे राज्य से धारा 370 और 35 ए को राज्यपाल रहते हुए सत्यपाल मलिक द्वारा बड़ी कुशलता से बिना किसी खून-खराबे के हटाने की कार्यपद्धति को पूरे विश्व में विलक्षण माना गया। लम्बे समय से संघर्षरत भौगोलिक ज़ोन में किसी तरह के टकराव के बिना एक नीतिगत फैसले को स्वीकारोक्ति दिलवाने की रणनीति सत्यपाल मलिक की राजनीतिक परिपक्वता और दूरदर्शिता शोध का विषय बनी हुयी है।
पुलवामा की घटना के बाद भी सत्यपाल मलिक ने देश के ख़ुफ़िया तंत्र और सुरक्षा चूक पर गंभीर सवाल खड़े किये थे और घटना के लिए सरकार की सेना के जवानों के प्रति उपेक्षापूर्ण नीति को घेरते हुए प्रधानमंत्री की आलोचना करने से नहीं चूके। पहलगाम की घटना के बाद सत्यपाल मलिक ने वर्तमान सत्ता को कटघरे में खड़ा किया। पहलगाम की घटना के बाद 24 अप्रैल को सर्वदलीय बैठक और ‘ऑपरेशन सिंदूर ‘ के बाद 8 मई को सर्वदलीय बैठक में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शामिल न होने पर सत्यपाल मालिक ने कह दिया कि प्रधानमंत्री अहंकार में डूबे हुए हैं देश के संकट के प्रति बिलकुल गंभीर नहीं हैं केवल राजनीति करने में मशगूल हैं।
कथित भ्रष्टाचार जम्मू कश्मीर में चिनाब नदी पर किश्तवाड़ जिला के कीरू गांव में 135 मीटर ऊंचाई के 700 मीटर की लम्बाई में डैम बनाने को ले कर है। चिनाब नदी के पानी को हाईडिल पॉवर के प्रयोग में परिवर्तित करने के लिए 654 मेगा वाट के बिजली उत्पादन संयंत्र लगाने की परियोजना को 2008 में आकार दिया गया था। 2016 में इस परियोजना को वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा क्लीयरेंस दिए जाने के बाद 2019 में राज्य प्रशासन परिषद द्वारा स्वीकृत किया गया था। 4287 करोड़ की लगत वाली इस परियोजना की आधारशिला 2019 में रखी गई थी।
यह परियोजना चिनाब वैली पावर प्रोजेक्ट के अंतर्गत एक जॉइंट वेंचर के रूप में नेशनल हाईड्रो इलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन (49%) जम्मू-कश्मीर राज्य पावर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (49%) और पावर ट्रेडिंग कार्पोरेशन (2%) की हिस्सेदारी से साझा उपक्रम है। इसमें डैम के निर्माण के लिए 2200 करोड़ रुपये की लागत के कार्य के लिए ढांचागत निर्माण करने वाली पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड को ठेका दिया जाना सवालों के घेरे में आ गया था। परियोजना जुलाई 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था ताकि बिजली की सप्लाई का व्यापारिक उपयोग किया जा सके।
सत्यपाल मलिक 23 अगस्त, 2018 से 30 अक्टूबर, 2019 तक जम्मू कश्मीर के राज्यपाल रहे। रिटायरमेंट के बाद सत्यपाल मलिक ने खुलासा किया था कि संघ से जुड़े एक नेता राम माधव ने उनसे मंत्रणा की थी। सत्यपाल मलिक ने यह भी कहा था कि उनके राज्यपाल रहते हुए दो फाइलों को क्लीयर करने और 300 करोड़ के लाभ के लिए इशारा किया गया था जिसे उन्होंने सिरे से नकार दिया।
चिनाब वैली पावर प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड की 47 वीं बोर्ड मीटिंग 28 जून 2019 को हुई थी जिसमें पहले से चल रही निविदा की प्रक्रिया को रद्द करके दोबारा से इ टेंडरिंग व्यवस्था लागू करने का निर्णय पारित किया गया था ताकि परियोजना में पारदर्शिता बनी रहे। लेकिन बाद में हुयी 48 वीं बोर्ड मीटिंग में निर्माण का ठेका पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड को अवार्ड किया गया था।
जम्मू कश्मीर के एंटी करप्शन ब्यूरो के द्वारा एक एफआईआर 20 अप्रैल, 2022 में कथित ठेका आवंटन में हुए अनियमितताओं और भ्रष्टाचार को लेकर 5 लोगों पर दर्ज किया गया था जिसमें cvpppl के तात्कालिक चेयरमैन नवीन कुमार चौधरी आईृएएस, एमएस बाबू एमडी cvpppl ,एम के मित्तल तात्कालिक निदेशक अरुण कुमार मिश्रा निदेशक मेसर्स पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड व् अज्ञात अन्य शामिल थे। बाद में सीबीआई की दलील थी कि आरोपियों की पूछताछ में सामने आया कि कथित ठेके के आवंटन में बदलाव के लिए राज्यपाल द्वारा पूर्व में मौखिक आदेश दिए गए थे जिसकी बिना पर सत्यपाल मलिक और उनके स्टाफ सहायक दो लोगों को भी इस मामले में शामिल कर लिया गया है ।
वर्तमान परिस्थितियों में सत्ता को आलोचनाओं से क्यों इतना खौफ है कि एक आलोचक राजनीतिज्ञ को वो बर्दाश्त करने से डरती है। लोकतंत्र के आदर्शों में आलोचनाओं को स्वीकार करना महत्वपूर्ण माना जाता है।
(जगदीप सिंह सिंधु लेखक और टिप्पणीकार हैं।)