देवघर। झारखंड राज्य आंगनबाड़ी सेविका सहायिका संघ, जिला कमिटी देवघर की बैठक दिनांक 25 मई 2025 को जिला अध्यक्ष रूबी कुमारी की अध्यक्षता में संपन्न हुई। इस बैठक में आंगनबाड़ी सेविकाओं और सहायिकाओं के ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा की गई तथा केंद्र और राज्य सरकार के प्रति रोष व्यक्त किया गया।
बैठक में उपस्थित सभी सेविकाओं और सहायिकाओं ने एक स्वर में कहा कि केंद्र और राज्य सरकार की आपसी तनातनी के कारण पिछले पांच वर्षों से केंद्रांश राशि का भुगतान समय पर नहीं हो रहा है। साथ ही, केंद्र सरकार ने पिछले पांच वर्षों में मानदेय में कोई वृद्धि नहीं की, जो चिंता का विषय है। राज्य सरकार ने कुछ हद तक मानदेय बढ़ाया, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से कोई वृद्धि नहीं हुई।
मईया सम्मान योजना पर आलोचना
बैठक में मईया सम्मान योजना को राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए हानिकारक बताया गया। इसे राजनीतिक लाभ के लिए शुरू किया गया एक प्रचार बताया गया, जिसे भारत रत्न, पद्मश्री, या राष्ट्रपति पुरस्कार की तरह पेश किया जा रहा है। उपस्थित सदस्यों ने सुझाव दिया कि यदि महिला सम्मान का पैमाना केवल ढाई हजार रुपये है, तो मंत्रियों, विधायकों और नौकरशाहों को अपनी विलासितापूर्ण सुविधाएं, जैसे बंगले और गाड़ियां, त्यागकर राजकोष में दान करना चाहिए और स्वयं ढाई हजार रुपये मासिक वेतन पर काम करना चाहिए।
अनुबंध और आउटसोर्सिंग नीतियों पर आपत्ति
सेविकाओं ने आरोप लगाया कि सरकार ने कर्मचारी आंदोलनों को कमजोर करने के लिए पहले स्थायी कर्मचारियों के विरोध में अनुबंध और दैनिक पारिश्रमिक पर भर्ती की नीति अपनाई। जब अनुबंध कर्मचारियों ने अपने अधिकारों के लिए आंदोलन और अदालत का रुख किया, तो सरकार ने आउटसोर्सिंग कंपनियों के माध्यम से भर्तियां शुरू कर दीं, जिसमें एक वर्ष की सैलरी या दस गुना पगड़ी लेकर आंदोलनों को कमजोर करने की कोशिश की गई। मईया सम्मान योजना को भी सरकारी खजाने को लुटाने और राजनीतिक लाभ लेने का एक हथकंडा बताया गया।
शिक्षा क्षेत्र में अव्यवस्था
झारखंड सरकार पर शिक्षा के क्षेत्र में निजीकरण को बढ़ावा देने और दलित, आदिवासी, हरिजन, अल्पसंख्यक, और कमजोर वर्ग के बच्चों को शिक्षा से वंचित करने का आरोप लगाया गया। प्राथमिक, मध्य और माध्यमिक शिक्षकों का नामकरण कर उनके सम्मानजनक ग्रेड पे (4200, 4600, और 4800) को समाप्त कर 2400 और 2800 जैसे न्यूनतम ग्रेड पे लागू किए गए, जिसे शिक्षा क्षेत्र की प्रतिभा का अपमान बताया गया। शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया को जटिल और अभेद्य बनाकर सरकार ने इसे कोर्ट में उलझाने की रणनीति अपनाई, जिससे जनता में सहानुभूति बटोरी जा सके।
आंगनबाड़ी केंद्रों की समस्याएं
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को नई तकनीकों के उपयोग से परेशान किया जा रहा है। स्मार्ट केंद्र बनाने के नाम पर स्मार्टफोन दिए गए, लेकिन उनके रिचार्ज की व्यवस्था नहीं की गई। कई काम सौंपे जा रहे हैं, लेकिन महीनों तक मानदेय बकाया रहता है। पोषाहार और मकान किराए के भुगतान में भी भारी अव्यवस्था है। केंद्र सरकार से मिलने वाले पोषाहार की राशि बाजार दर से काफी कम है।
भ्रष्टाचार और प्रशासनिक उपेक्षा
वर्तमान सरकार के शासनकाल में भ्रष्टाचार चरम पर है, जिसके कारण आंगनबाड़ी सेविकाएं और सहायिकाएं आर्थिक संकट में हैं। बिना कारण मानदेय रोका जा रहा है, बर्खास्तगी की धमकी दी जा रही है, और वार्षिक मानदेय वृद्धि नहीं हो रही है। शिकायतों के निवारण के लिए कोई स्पष्ट व्यवस्था नहीं है। महिला कल्याण के लिए स्वतंत्र मंत्री न होने के बावजूद सरकार द्वारा महिला सम्मान की बड़ी-बड़ी बातें करना भद्दा मजाक बताया गया।
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि यदि सरकार अपनी नीतियों में बदलाव नहीं करती और झूठे महिला सम्मान के नाम पर प्रचार जारी रखती है, तो आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सड़कों पर उतरकर सरकार की नीतियों का पर्दाफाश करेंगी। इसकी तैयारी के लिए जल्द ही राज्य कमिटी की बैठक बुलाई जाएगी।
बैठक में रूबी कुमारी, प्रमिला यादव, सुधा देवी, शांति कुमारी, राखी देवी, विद्या देवी सहित सैकड़ों आंगनबाड़ी सेविकाएं और सहायिकाएं उपस्थित थीं। इस आशय की जानकारी रूबी कुमारी ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से दी।
(प्रेस विज्ञप्ति)