बिहार में 43,000 स्कूलों में नई लाइब्रेरी : घोषणा बनाम रिपोर्ट कार्ड

बिहार में चुनाव होने हैं तो प्रचार भी जोरों पर है। भाजपा हर रोज नई घोषणाएं तो कर रही है, लेकिन अपना रिपोर्ट कार्ड पेश नहीं कर रही। कायदे से नीतीश कुमार और भाजपा को पिछले लगभग 20 साल का अपना रिपोर्ट कार्ड जनता के सामने पेश करना चाहिए। लेकिन एनडीए रिपोर्ट कार्ड पेश करने की बजाय, वोटरों को ललचाने के लिए घोषणाएं उछाल रही है। 

इसी कड़ी में बिहार में 40,779 स्कूलों में लाइब्रेरी खोलने की बात कही जा रही है। भाजपा ने अपने अधिकारिक ट्विटर हैंडल से भी ये जानकारी दी है। यानी एक बात तो ये है कि बिहार की एनडीए सरकार मान रही है कि 40,779 स्कूलों में लाइब्रेरी नहीं है। लेकिन क्या बिहार के सिर्फ 40,779 स्कूल ही ऐसे हैं जो बिना लाइब्रेरी के चल रहे हैं या संख्या ज्यादा है? 

भाजपा को बताना चाहिए कि बिहार के कुल कितने स्कूल ऐसे हैं जिनमें लाइब्रेरी है ही नहीं? कितने स्कूल ऐसे हैं जिसमें सिर्फ नाम की लाइब्रेरी है, यानी पुस्तकालय तो है लेकिन किताबें नहीं है। ये जानकारी आपको भाजपा नहीं देगी, लेकिन इस लेख में आपको बिहार के सरकारी स्कूलों में पुस्तकालयों की स्थिति के बारे में विस्तार से, तथ्यों और आंकड़ों के साथ जानकारी मिलेगी। जिस प्रदेश को आइएएस अधिकारियों की खान कहा जाता है, जहां नालंदा जैसा प्राचीन विश्व विख्यात शिक्षा केंद्र हुआ करता था। आज उस प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पुस्तकालयों की क्या स्थिति है? आइये, जानते हैं।

बिहार के सरकारी स्कूलों में पुस्तकालयों की स्थिति

शिक्षा मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के हिसाब से बिहार में कुल 78,115 सरकारी स्कूल हैं। जिनमें से 41% स्कूलों में लाइब्रेरी नहीं है। जिन स्कूलों में बताया जा रहा है कि लाइब्रेरी है, जरूरी नहीं कि उनमें किताबें भी हों। बिहार के 57% स्कूल ऐसे हैं, जिनमें किताबों वाली लाइब्रेरी नहीं है, लगभग 16% स्कूल ऐसे हैं जिनमें सिर्फ नाम के लिए लाइब्रेरी है, यानी लाइब्रेरी तो है लेकिन किताबें नहीं है। समझना मुश्किल है कि जब पुस्तक ही नहीं है, तो वो पुस्तकालय कैसे हुआ। 

अब एक बार सरकार के रिपोर्ट कार्ड पर भी नजर डालते हैं और देखते हैं कि पिछले दस सालों में बिहार सरकार ने कितने सरकारी स्कूलों में लाइब्रेरी बनाई है और कितने स्कूलों में लाइब्रेरी बंद हुई है?

बिहार सरकार का रिपोर्ट कार्ड

शिक्षा विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के हिसाब से बिहार में वर्ष 2015-16 में के 33% स्कूल ऐसे थे जिनमें लाइब्रेरी नहीं थी, ये आंकड़ा वर्ष 2023-24 में बढ़कर 57% हो गया। यानी पिछले दस सालों में बिहार के 24% सरकारी स्कूलों में लाइब्रेरी बंद हुई है।

ये आंकड़ा उन पुस्तकालयों का है जिनके बारे में शिक्षा विभाग दावा कर रहा है कि इनमें पुस्तकें भी थी। कायदे से सरकारी आंकड़े की जमीनी जांच भी होनी चाहिए, ताकि पता चले कि जिन सरकारी स्कूलों में पुस्तकालयों का दावा किया जा रहा है, उन स्कूलों में वास्तव में पुस्तकालय है भी या नहीं, अगर हैं तो किस हाल में हैं?

(राज कुमार स्वतंत्र पत्रकार एवं फ़ैक्ट-चेकर हैं।)

More From Author

शहरी मध्यवर्गीय समाज और उसका सांस्कृतिक संकट

जो सम्मानित है वो संदिग्ध है!

Leave a Reply