Tuesday, April 23, 2024

हाथरस के बाद बलिया में सवर्ण वर्चस्व का नंगा नाच

सवर्ण वर्चस्व के नंगे नाच का रथ अब हाथरस से बलिया जा पहुंचा है। हाथरस में ठाकुरों की दबंगई को पूरे देश ने देखा। बलिया में उससे भी ज्यादा इसका वीभत्स चेहरा सामने आया जब बीजेपी के एक स्थानीय नेता और बीजेपी विधायक सुरेंद्र सिंह के दाहिने हाथ धीरेंद्र प्रताप सिंह उर्फ डब्लू ने सरेआम प्रशासन के आला अधिकारियों की मौजूदगी में पिछड़े समुदाय के एक शख्स जयप्रकाश पाल के सीने में चार गोलियां उतार दीं। नतीजतन पाल की मौके पर ही मौत हो गयी।

धीरेंद्र प्रताप सिंह, आरोपी।

पहले इसे आत्मरक्षा में चलायी गयी गोली का नाम देकर बीजेपी विधायक से लेकर इलाके में आरोपी के समर्थकों ने उसका बचाव किया। और इस कड़ी में विधायक ने उसे बचाने के लिए किसी भी हद तक जाने का अपना संकल्प बार-बार दोहराया। अब कहानी में नया ट्विस्ट आ गया है जिसमें आरोपी खुद को निर्दोष बता रहा है और कह रहा है कि उसने कोई गोली नहीं चलायी और घटना के समय वह आला अधिकारियों के पास खड़ा था। यह बात उसने एक वीडियो के जरिये जारी बयान में कही है।

यह शख्स किस हद तक ढीठ और दबंग था उसकी एक बानगी सामने आए एक ऑडियो के जरिये समझी जा सकती है। बेहद वायरल हुए उस ऑडियो में वह स्थानीय पुलिस इंस्पेक्टर दुर्गा यादव को न केवल भद्दी-भद्दी गालियां दे रहा है बल्कि उनकी जाति को बार-बार इंगित करते हुए उन्हें हर तरीके से अपमानित करने की कोशिश कर रहा है। जैसे वह किसी पुलिस इंस्पेक्टर से नहीं बल्कि अपने घर पाले गए किसी गुलाम से बात कर रहा हो। घटना बैरिया तहसील के दुर्जनपुर गांव में घटित हुई है। घटना जिस समय हुई वहां हजारों की संख्या में लोग मौजूद थे।

मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने प्रशासनिक कार्यवाही करते हुए एसडीएम बैरिया सुरेश पाल, सीओ बैरिया चंद्रकेश सिंह सहित अन्‍य पुलिस कर्मियों को निलंबित कर दिया है। आरोपियों की तलाश में पुलिस जुट गई है। घटना के बाद आजमगढ़ के डीआईजी दुर्जनपुर पहुंचकर पीड़ित परिवार से मिले। अपर पुलिस महानिदेशक वाराणसी ब्रजभूषण भी पहुंचे। मृतक जय प्रकाश पाल की पत्नी धर्मशीला देवी व अन्य परिजनों से मिलकर उन्हें सांत्वना देकर कहा कि जल्द ही सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा। नामजद आठ आरोपियों में से अभी तक केवल एक की गिरफ्तारी हुई है जो मुख्य आरोपी धीरेंद्र प्रताप सिंह डब्लू का भाई है और उसका नाम देवेंद्र प्रताप सिंह है। लेकिन मुख्य आरोपी अभी भी पुलिस की पकड़ से बाहर है।

दुर्जनपुर में इस तरह हुआ वारदात का जन्‍म

दरअसल इस पूरी घटना के केंद्र में राशन की एक दुकान है। उसको लेकर लंबे समय से दांव-पेंच चल रहा था। बताया जा रहा है कि गांव के लोग जाति के हिसाब से दो खेमों में बंट गए थे। कुछ भाजपा के समर्थक हैं तो कुछ सपा से अपना नाता जोड़ रखे हैं। यहां दो कोटे की दुकान को निलंबित कराने और बहाल कराने का खेल भी बहुत पुराना हो चुका है। उन्‍हीं दोनों कोटों की दुकानों के आवंटन के लिए गुरुवार को पंचायत भवन पर बैठक बुलाई गई थी। जिसमें एसडीएम बैरिया सुरेश पाल, सीओ बैरिया चंद्रकेश सिंह, बीडीओ बैरिया गजेन्द्र प्रताप सिंह के साथ ही रेवती थाने की पुलिस फोर्स मौजूद थी। दुकानों के लिए चार स्वयं सहायता समूहों ने आवेदन किया था। इस बैठक में भी दुर्जनपुर की दुकान के लिए आम सहमति नहीं बन सकी।

ऐसे में दो समूहों ‘मां सायर जगदंबा स्वयं सहायता समूह’ और ‘शिव शक्ति स्वयं सहायता समूह’ के बीच मतदान कराने का प्रशासन ने निर्णय लिया। अधिकारियों ने कहा कि जिसके पास आधार कार्ड या अन्य कोई पहचान पत्र होगा वही इसमें मतदान कर सकेगा। इसमें एक पक्ष के पास तो आधार कार्ड था, लेकिन दूसरे पक्ष के पास कोई पहचान पत्र नहीं था। इसलिए दूसरे पक्ष ने इस बात की सूचना पहले दिए जाने की बात कही। उसका कहना था कि अचानक कोई भी आधार लेकर वहां कैसे उपस्थित हो सकता है। तर्क यह था कि पहले सभी से हाथ उठाई कराकर दुकान चयन की प्रक्रिया को पूरी कर लिया जाएगा। यानि संबंधित दुकान के लिए जिस पक्ष से ज्‍यादा लोग हाथ उठाएंगे उस पक्ष के दावेदार के नाम दुकान हो जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। 

इसी बात पर दोनों पक्षों में वाद-विवाद शुरू हो गया। कुछ ही देर में विवाद इतना बढ़ गया कि लाठी-डंडे और ईंट-पत्थर चलने लगे। भगदड़ मच गई। इसी बीच, एक पक्ष की ओर से फायरिंग शुरू हो गई जिसमें जयप्रकाश उर्फ गामा पाल को ताबड़तोड़ चार गोलियां मार दी गईं। इसके बाद तो माहौल कुछ ऐसा हो गया जिसमें प्रशासन के लिए भी स्थिति संभाल पाना मुश्किल हो गया। गोली लगने से घायल जयप्रकाश को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

पूर्व मुख्‍यमंत्री अखिलेश ने भी की पीड़ित पक्ष से बात

सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी पीड़ित पक्ष से फोन पर बातचीत की। उन्होंने परिवार को आश्वस्त किया कि वे उन्हें हर संभव मदद और न्याय दिलाने में हर वक्त साथ खड़े रहेंगे। सपा के नेता व पूर्व विधायक संग्राम सिंह यादव के मोबाइल से यह बातचीत हुई। अखिलेश ने जयप्रकाश के बड़े भाइयों चंद्रमा पाल और सूरज पाल से बातचीत के दौरान कहा कि दुःख की इस घड़ी में समाजवादी पार्टी हर कदम पर पीड़ित परिवार के साथ खड़ी है।

उन्होंने कहा कि यह समय घबराने का नहीं बल्कि हिम्मत दिखाने का है। समाजवादी पार्टी तब तक चैन से नहीं बैठेगी जब तक जयप्रकाश के परिवार को न्याय नहीं मिल जाता। सपा के नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी, बलिया अध्‍यक्ष राजमंगल यादव, पूर्व विधायक जयप्रकाश अंचल, पूर्व विधायक सुभाष यादव सहित तमाम सपा नेताओं ने मृतक के परिजनों से मिलकर संवेदना व्यक्त की। मृतक के परिवार को 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता व परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की जा रही है। 

आरोपी के पक्ष में उतरे भाजपा विधायक 

बैरिया के भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह ने दुर्जनपुर की घटना पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि यह घटना दुखद है, लेकिन प्रशासन इस घटना की निष्पक्ष जांच नहीं कर रहा है। दुकान आवंटन की बैठक में गई धीरेंद्र प्रताप सिंह के घर के तीन महिलाओं को दूसरे पक्ष के लोगों ने मारपीट कर बुरी तरह घायल कर दिया है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को बचाने गए चार पुरूष सदस्य भी बुरी तरह घायल हो गए। भाजपा कार्यकर्ता धीरेंद्र प्रताप सिंह यदि गोली नहीं चलाते तो मार दिए जाते। आत्मरक्षा के लिए ही लाइसेंसी हथियार रखा जाता है। उन्होंने ने कहा कि धीरेंद्र सिंह उर्फ डब्लू भाजपा का कार्यकर्ता है, इसे नकारा नहीं जा सकता।

चाहे विधानसभा का चुनाव हो या लोकसभा का उसने दियरांचल में भाजपा के लिए समर्थन जुटाने में कोई कसर बाकी नहीं रखी। आज मैं कैसे कह दूं कि वह भाजपा कार्यकर्ता नहीं है। यह बात मैं बार-बार कहता रहूंगा कि धीरेंद्र सिंह ने आत्‍मरक्षा में गोली चलाई है, जिस अंश में उसका अपराध है, उस अंश में उसे सजा मिलेगी, लेकिन एकतरफा कार्रवाई हुई तो स्थिति को संभालना मुश्किल हो हो जाएगा। इस बयान को ठाकुर वर्ग सोशल मीडिया में खूब वायरल कर रहा है।

दरअसल बीजेपी के सत्ता में आने के बाद सूबे के सवर्णों में यह संदेश चला गया है कि अब उनका राज आ गया है। पिछले तीस सालों से मंडल समर्थक सामाजिक न्याय की ताकतों के शासन के चलते यह हिस्सा हाशिये पर चला गया था। लिहाजा नई सत्ता में उसका अहंकार और वर्चस्व अब बदले की कार्रवाई की सीमा तक जा पहुंचा है। और एक बार फिर समाज के पहिए को घुमाकर वह तीस साल पहले की जमीन पर ले जाकर खड़ा कर देना चाहता है। सूबे में जगह-जगह हो रही दलित उत्पीड़न की घटनाएं वह महिलाओं के साथ बलात्कार हो या फिर उससे जुड़े हिस्से की हत्या आदि तमाम रूपों में सामने आ रही हैं। 

और इन सारे मामलों में आरोपियों को सजा देने और उनके खिलाफ कार्रवाई करने की जगह प्रशासन उनके पक्ष में खड़ा हो जा रहा है और उन्हें बचाने की हरचंद कोशिश में जुट जा रहा है। उन्नाव से लेकर हाथरस तक यही कहानी दोहरायी गयी है। और अब बलिया में भी उसी को आगे बढ़ाया जा रहा है। ऐसे में पीड़ित पक्ष के लोगों का गुस्सा होना स्वाभाविक है। लेकिन बलिया में जो हुआ वह आने वाले दिनों के लिए एक खतरनाक संकेत है। जिस तरह से दो पक्षों के बीच वहां खुले मैदान में लड़ाई हुई है वह बताती है कि सूबा एक बड़े जातीय युद्ध की तरफ अग्रसर है। और अगर ऐसी स्थिति खड़ी हो जाती है तो उस गृहयुद्ध को फिर शांत करा पाना किसी के लिए भी मुश्किल हो जाएगा। 

बलिया पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर का गृह जनपद हैं। अभी यहां से भाजपा किसान मोर्चा के पूर्व राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष वीरेंद्र सिंह मस्‍त सांसद हैं। राज्‍य सभा के सांसद चंद्रशेखर पुत्र नीरज शेखर भी इसी जनपद से हैं। बलिया के विधायक आनंद स्‍वरूप शुक्‍ल व फेफना के विधायक उपेंद्र तिवारी प्रदेश सरकार में मंत्री हैं। सपा की ओर से नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी भी इसी जनपद से हैं। इन सभी को मिलकर दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई को सुनिश्चित कर पीड़ितों को न्याय देने की गारंटी करनी चाहिए। वरना सूबे में जारी अन्याय और उत्पीड़न का बीज अब पौधा बनकर खड़ा हो गया है और वह पेड़ बने उससे पहले चीजों को हल कर लिया जाना चाहिए।

(जनचौक ब्यूरो की रिपोर्ट।)

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