Tuesday, April 23, 2024

मोदी राज में किसानों और जवानों की जिंदगी बर्बाद हो गई: सत्यपाल मलिक

9 सितंबर शुक्रवार को रोहतक के नांदल भवन में कई खापों द्वारा आयोजित शिक्षा सम्मान समारोह में बोलते हुए एक बार फिर मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने अपनी ही पार्टी की केन्द्रीय सरकार पर निशाना साधा है। राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में किसानों और जवानों की जिंदगी बर्बाद हुई है।

राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने 2004 में भाजपा का दामन थामा था। मूलरूप से समाजवादी वैचारिक पृष्ठभूमि से आये सत्यपाल मलिक ने उत्तर प्रदेश से अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था। 1946 में बागपत के हिस्वाडा गांव में गरीब किसान परिवार में जन्मे सत्यपाल मलिक ने मेरठ कॉलेज में कानून की पढ़ाई की और छात्र राजनीति में उतरे। 1974 में चौ चरण सिंह के भारतीय क्रांति दल से बागपत से पहला चुनाव उतर प्रदेश विधानसभा का लड़ा और 1977 तक उतर प्रदेश विधान सभा में विधायक रहे। एक लम्बे राजनीतिक अनुभव के साथ राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने भरतीय राजनीति के कई उतार चढ़ाव देखे हैं।

“किसानों को एक और संघर्ष के लिए फिर से तैयार रहना होगा, न्यूनतम समर्थन मूल्य के कानून की मांग को केंद्र सरकार मनवाने के लिए बड़ी लड़ाई लड़नी होगी ” ये लड़ाई अब कभी भी शुरू हो सकती है क्योंकि केंद्र सरकार की नीयत मुझे ठीक नहीं लगती है। किसानों के हक़ के इस आंदोलन में मैं राज्यपाल के अपने पद से त्यागपत्र दे कर कूद जाऊंगा”।

2014 के लोकसभा सभा चुनाव के लिए भाजपा के चुनाव घोषणा पत्र में सम्मिलित ‘किसान नीति’ को सत्यपाल मालिक ने ही तैयार किया था जिसको आधार बना कर भाजपा किसानों को अपने पक्ष में लुभाने में सफल हुयी।

सत्यपाल मलिक राजनीति में अपने बेबाक वक्तव्यों के लिए भी जाने जाते हैं। सभा को सम्बोधित करते हुए सत्यपाल मालिक ने कहा की मुझे किसी का खौफ नहीं जो सही होगा बोलता रहूंगा। अपने संबोधन में सत्यपाल मालिक ने कहा कि जब मैं जम्मू कश्मीर का राज्यपाल बन के गया तो मुझे बताया गया कि किसी प्रोजेक्ट की फाइल जो कि देश के बड़े उद्योगपति अंबानी की है को पास करने की लिए 300 करोड़ तक मिल सकते हैं लेकिन मैंने मना कर दिया और उस को नियमों के अनुसार रोक दिया। बढ़ते पूंजीवादी नियंत्रण के संदर्भ में सत्यपल मालिक ने कहा की प्रधानमंत्री के मित्र वर्तमान में फायदा उठा रहे हैं।

सत्यपाल मालिक ने कहा की मुझे कोई महत्वकांक्षा नहीं लेकिन पूरे भारत में किसानों की स्थिति व् शोषण किये जाने को लेकर चिंतित हूँ क्योंकि गांव व्  किसान परिवार से हूँ इसलिये किसानों के हक़ों के मुद्दे उठाता रहूँगा। मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि उनको किसान बिल पर चुप रहने के एवज में राष्ट्रपति बनाने का आश्वान भी दिया गया था।

मार्च 2022 में सत्यपाल मलिक ने हरियाणा के जींद जिला में खापों के एक समारोह में देश के किसान से आह्वान किया था कि अब सभी जातियों के  किसानों को एक जुट हो कर 2024 में अपनी सरकार बनानी चाहिए। भारत में आने वाले समय में  सबसे गंभीर चुनौती खेती जमीन मालिक जातियों के वर्ग को होने वाली है। इस ‘क्षेत्रपति वर्ग ‘ को न कृषि की योजनाओं से लाभ मिल पा रहा है और न ही सरकारी नौकरियों में। बदली हुई नीतियों से सबसे अधिक नुकसान इसी वर्ग की जातियों को होगा।

पहले कृषि क्षेत्र में सुधार के नाम पर 3 कानून जिनका पूरे भारत में किसानों द्वारा विरोध किया गया , फिर सेना में अग्निपथ योजना व नये बिजली संशोधन बिल जैसी नीतियों से क्षेत्रपति समाज को हाशिये पर धकेलने के लिए घोर पूंजीवादी ताकतें पूरी तरह से राजनीति का प्रयोग करने में लगी हुई है।

भारत के विभिन्न प्रदेशों में क्षेत्रपति समाज (भूमि मालिक किसान जमींदार जातियां- चेत्तीआर वेल्लालार  मराठा  जट सिख / जाट कांची कोइरी कुशवाहा कुर्मी लोधी पटेल पाटीदार रेड्डी रोड त्यागी वातिरियार राजपूत थेवर भूमिहार ,गुज्जर औराई देसाई राव यादव लुबाना कपाली) जो वर्तमान में ओबीसी वर्ग में आती हैं का लगभग 543 लोकसभा सीटों में से 245 लोक सभा सीटों, 4120 विधानसभा सीटों में से लगभग 2180 सीटों पर सीधा प्रभाव है, लेकिन सत्ता ने उनको हमेशा अलग अलग समूहों में बांटकर कभी एकजुट होने नहीं दिया। इनकी राजनीतिक ताकत को केवल अपने राजनीतिक उद्देश्यों के लिए ही इस्तेमाल किया। वर्तमान भाजपा सरकार ने भी ऐसी नीतियों को बढ़ावा दिया जिससे इस क्षेत्रपति समाज को कमजोर करके इनका अधिकतम प्रयोग किया जा सके।

राज्यपाल सत्यपाल मलिक के तेवरों से लगता है कि अपने कार्यकाल के समाप्त होने के बाद वो किसानों के हक़ों,न्यूनतम समर्थन मूल्य कानून को लेकर एक नए आंदोलन को देश में फिर से खड़ा करने का सन्देश साफ़ तौर पर दे रहे हैं । सत्यपाल मलिक का बतौर राज्यपाल कार्यकाल 30 सितंबर2022 को पूरा होने वाला है।

देखना होगा के सत्यपाल मलिक भारत में क्षेत्रपति वर्ग के अग्रणी के रूप में सभी किसान जातियों को एकजुट करके किसानों की राजनीति को फिर से केंद्र में ला कर चौधरी चरण सिंह के लक्ष्य को साकार करने में कितना सफल होते हैं।

(जगदीप सिंह सिंधू की रिपोर्ट।)

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