सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान की भूमिका को लेकर कांग्रेस ने उठाया भारत सरकार की विदेश नीति पर सवाल

पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक प्रमुख समिति का उपाध्यक्ष चुने जाने की खबर कांग्रेस को रास नहीं आई है।

इतना ही नहीं, पार्टी के मीडिया और प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने इस घटनाक्रम को “हमारी अपनी विदेश नीति के पतन की दुखद कहानी” करार दिया है।

रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की तालिबान प्रतिबंध समिति का अध्यक्ष भी चुना गया है। खेड़ा ने एक्स पर पोस्ट कर सवाल उठाया कि वैश्विक समुदाय “पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद के प्रायोजन की निरंतर वैधता” को कैसे स्वीकार करता रह सकता है।

तालिबान प्रतिबंध समिति उन व्यक्तियों और संगठनों पर संपत्ति जब्ती, यात्रा प्रतिबंध और हथियार प्रतिबंध जैसे उपायों की निगरानी करती है, जो तालिबान से जुड़े हैं और अफगानिस्तान की शांति और स्थिरता के लिए खतरा माने जाते हैं।

इसी तरह की तीखी प्रतिक्रिया में, खेड़ा ने एक्स पर लिखा, “1. आईएमएफ ने 9 मई को ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान को 1 बिलियन डॉलर दिए। 2. विश्व बैंक ने ऑपरेशन सिंदूर के तुरंत बाद पाकिस्तान को 40 बिलियन डॉलर देने का फैसला किया। 3. एडीबी ने 3 जून को ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान को 800 मिलियन डॉलर दिए।”

खड़गे का हमला

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी आलोचना से पीछे नहीं हटे। एक्स पर पोस्ट करते हुए, खड़गे ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भारत के रुख का समर्थन करने का आग्रह किया। उन्होंने लिखा, “भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आह्वान करती है कि वह पाकिस्तान से उत्पन्न होने वाले आतंकवाद पर भारत के दृष्टिकोण को समझे और समर्थन करे।”

खड़गे ने जोर देकर कहा, “पाकिस्तान आतंक का अपराधी है। भारत आतंक का शिकार है। दोनों को समान नहीं माना जा सकता। दोनों को एक साथ जोड़ा नहीं जाना चाहिए।”

एक विस्तृत पोस्ट में, खड़गे ने पार्टी की चिंताओं को रेखांकित किया।

पाकिस्तान की अन्य जिम्मेदारी

पाकिस्तान की संयुक्त राष्ट्र में आगामी जिम्मेदारियों में दस्तावेज़ीकरण और अन्य प्रक्रियात्मक प्रश्नों पर अनौपचारिक कार्य समूहों की सह-अध्यक्षता, साथ ही सामान्य यूएनएससी प्रतिबंध मुद्दे भी शामिल हैं। यह 2025-26 के कार्यकाल के लिए 15-सदस्यीय सुरक्षा परिषद का गैर-स्थायी सदस्य है। परिषद की प्रतिबंध समितियाँ सभी 15 सदस्यों से मिलकर बनती हैं और सर्वसम्मति से काम करती हैं।

भारत, जिसने 2021-22 के दौरान परिषद में गैर-स्थायी सीट हासिल की थी, ने 2022 में यूएनएससी आतंकवाद-निरोधी समिति की अध्यक्षता की थी। नई दिल्ली ने लंबे समय से यह दावा किया है कि पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित सबसे अधिक आतंकवादियों और आतंकी समूहों को पनाह देता है।

(जनचौक ब्यूरो की रिपोर्ट।)

More From Author

नाम बदलकर इतिहास मिटाने का टैलेंट : कहां ग़ायब हो गया ‘बड़ शाह बुला चौक’ ? 

क्या Rape –Axe,(बलात्कार विरोधी कंडोम) स्त्रियों के साथ होने वाले यौन हिंसा को रोक पाएगा.?

Leave a Reply