अबुआ राज में भी आदिवासियों पर पुलिसिया दमन जारी

रांची। झारखंड की राजधानी रांची से लगभग 55 किलोमीटर दूर लापुंग थाना क्षेत्र में, कोयनारा गांव स्थित है। इस गांव में 3 जून 2025 को जमीन विवाद के एक मामले को लेकर ग्रामसभा और पड़हा समिति द्वारा एक बैठक का आयोजन किया गया था। इस आयोजन को रोकने के लिए पुलिस पहुंची, जिसका ग्रामीणों ने विरोध किया।

इस दौरान ग्रामीणों और पुलिस के बीच झड़प हो गई। झड़प में थाना प्रभारी संतोष कुमार यादव सहित तीन पुलिसकर्मी घायल हुए, जबकि पुलिस की फायरिंग में ग्रामीण जतरू मुंडा के घायल होने की खबर है। दूसरी ओर, पुलिस ने इस आयोजन को नक्सली बैठक का रंग देकर लगभग 400 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है, जिसमें मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के लोग भी शामिल हैं। इन सभी पर पुलिस पर हमला करने का आरोप लगाया गया है।

बताया जाता है कि लापुंग थाना क्षेत्र में रातू महाराजा की लगभग 56 एकड़ जमीन है, जिसे महाराजा ने ग्रामीणों को खेती-बाड़ी के लिए दिया था। ग्रामीण लंबे समय से इस जमीन पर खेती करते आ रहे हैं। अब महाराजा के वंशज इस जमीन पर दावेदारी कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, यह दावेदारी जमीन दलालों और माफियाओं के उकसावे पर हो रही है। हालांकि, 1950 में जमींदारी प्रथा समाप्त होने के बाद इस जमीन पर जमींदारों का संवैधानिक दावा भी खत्म हो गया। इसका मतलब है कि इस जमीन पर खेती करने वाले ग्रामीणों को ही इसका मालिकाना हक प्राप्त है।

पड़हा पंचायत शासन व्यवस्था झारखंड में आदिवासी समुदाय की एक पारंपरिक शासन प्रणाली है, जो मुख्य रूप से उरांव आदिवासियों में प्रचलित है। यह व्यवस्था मुंडा-मानकी शासन व्यवस्था के समान है, जिसमें दो या अधिक गांवों के बीच विवादों, विशेषकर जमीन विवादों, का निपटारा किया जाता है।

3 जून को कोयनारा गांव में ग्रामसभा और पड़हा समिति ने जमीन से संबंधित मुद्दों पर चर्चा के लिए बैठक बुलाई थी। इस बैठक में महाराजा के वंशज वैभव नाथ शाहदेव को भी आमंत्रित किया गया था, लेकिन उन्होंने आने से इनकार कर दिया। ग्रामीणों के मन में सवाल उठ रहा है कि ऐसी स्थिति में पुलिस वहां क्यों पहुंची? अनुमान है कि पुलिस जमीन माफियाओं के इशारे पर आई होगी, क्योंकि जमीन विवाद के मामलों में पुलिस का सीधा हस्तक्षेप नहीं होता।

आमतौर पर पुलिस को या तो सूचना दी जाती है कि किसी स्थान पर असामाजिक तत्व जमा हैं और कोई खतरनाक योजना बना रहे हैं, या फिर जमीन विवाद में भू-राजस्व विभाग के अधिकारी के आदेश के साथ कोई मजिस्ट्रेट मौजूद होता है। लेकिन ग्रामसभा स्थल पर पुलिस के साथ कोई मजिस्ट्रेट नहीं था। इससे प्रतीत होता है कि ग्रामसभा को असामाजिक तत्वों का जमावड़ा बताकर पुलिस को भेजा गया।

कोयनारा गांव की 3 जून 2025 की घटना पर झारखंड जनाधिकार महासभा का मानना है कि यह घटना दर्शाती है कि बहुप्रचारित अबुआ राज में भी आदिवासियों पर पुलिसिया दमन जारी है। समाचार पत्रों की रिपोर्ट के अनुसार, गांव में पड़हा समिति ने भूमि विवाद से संबंधित बैठक का आयोजन किया था, जिसमें क्षेत्र के पूर्व जमींदार के वंशज वैभव नाथ शाहदेव को बुलाया गया था। लेकिन उनके बजाय लापुंग थाना प्रभारी संतोष कुमार यादव दो सिपाहियों के साथ पहुंचे। इसके बाद ग्रामीणों और पुलिस के बीच बहस हुई।

पुलिस का दावा है कि ग्रामीणों ने उन पर हमला किया, जिसके जवाब में पुलिस ने फायरिंग की। इस फायरिंग में एक आदिवासी घायल हो गया। पुलिस ने बाद में बयान दिया कि यह बैठक नक्सलियों के प्रभाव में आयोजित की गई थी और हिंसा नक्सलियों द्वारा की गई। पुलिस ने ग्रामीणों को नक्सली कहकर उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर दी।

झारखंड जनाधिकार महासभा का मानना है कि पुलिस ग्रामीणों पर अपनी हिंसा को छिपाने की कोशिश कर रही है और भूमि विवाद में आदिवासियों के अधिकारों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है। हाल ही में एक न्यूज़ चैनल की जमीनी रिपोर्ट से इस मामले की सच्चाई सामने आई है। रिपोर्ट से निम्नलिखित तथ्य स्पष्ट हुए हैं:

  1. गांव की जमीन पर ग्रामीणों के अधिकारों पर हो रहे हमले और संबंधित विवादों को सुलझाने के लिए ग्रामसभा और पड़हा समिति की बैठक आयोजित की गई थी। इस बैठक में पड़हा समिति ने पूर्व जमींदार के वंशज वैभव नाथ शाहदेव को विवाद पर अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया था, लेकिन उनके बजाय बिना ग्रामसभा की सहमति के पुलिस बैठक स्थल पर पहुंची।
  2. थाना प्रभारी सहित दो पुलिसकर्मी बोलेरो गाड़ी से स्थल पर पहुंचे और ग्रामीणों के साथ उनकी बहस हुई। पुलिस का कहना है कि ग्रामीणों ने उन्हें पीटा और थाना प्रभारी का सिर फोड़ दिया। लेकिन ग्रामीणों ने इसका खंडन करते हुए कहा कि भागने के दौरान थाना प्रभारी गिर गए, जिससे उनका सिर फट गया।
  3. पुलिस ने हवा में और ग्रामीणों पर गोली चलाई, जिससे कम-से-कम एक निर्दोष आदिवासी, जतरू मुंडा, घायल हो गया।
  4. घायल आदिवासी को अन्य ग्रामीणों की मदद से स्वयं स्थानीय अस्पताल और रिम्स (रांची) ले जाना पड़ा। प्रशासन ने इस मामले में कोई सहयोग नहीं किया।
  5. पुलिस घायल आदिवासी और उन्हें अस्पताल पहुंचाने वाले कुछ युवाओं को नक्सली कह रही है। पिछले पांच दिनों से पुलिस उन्हें अस्पताल से घर जाने की अनुमति नहीं दे रही। अस्पताल में पुलिस युवाओं से पूछताछ कर रही है, उनके मोबाइल फोन जांच रही है, और एक युवा का फोन भी पुलिस ने रख लिया है।
  6. ग्रामीणों की भूमि विवाद से संबंधित बैठक को पुलिस ने नक्सली बैठक से जोड़ दिया और इसी आरोप में कई लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की। ग्रामीणों ने इस आरोप का स्पष्ट खंडन किया है।

इससे स्पष्ट है कि पुलिस ने आदिवासियों पर गोली चलाई, जिसमें एक आदिवासी घायल हुआ। प्रशासन ने घायल के इलाज में सहयोग नहीं किया। अपनी हिंसा को छिपाने के लिए पुलिस बिना तथ्यों के पीड़ित और अन्य युवाओं को नक्सली करार दे रही है और भूमि अधिकार के मामले को दबाने की कोशिश कर रही है। झारखंड जनाधिकार महासभा जल्द ही इस मामले की जमीनी जांच के लिए जाएगी।

इस परिप्रेक्ष्य में झारखंड जनाधिकार महासभा राज्य सरकार से निम्नलिखित मांग करती है:

  1. आदिवासियों पर गोली चलाने और एक आदिवासी को घायल करने के दोषी पुलिसकर्मियों पर प्राथमिकी दर्ज की जाए और न्यायसंगत कार्रवाई हो।
  2. युवाओं को नक्सली करार देना तुरंत बंद किया जाए। ग्रामीणों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी वापस ली जाए। पीड़ित और अन्य युवा, जो अस्पताल में हैं, उन्हें तुरंत घर भेजा जाए।
  3. इस मामले की निष्पक्ष जांच के लिए वरिष्ठ अधिकारी द्वारा सुपरविजन कराया जाए और जांच के सभी तथ्य पारदर्शी रूप से सार्वजनिक किए जाएं। साथ ही, इस मामले की जांच के लिए एक स्वतंत्र समिति का गठन किया जाए, जिसमें ग्रामसभा प्रतिनिधि, पड़हा प्रतिनिधि और जनजातीय सलाहकार परिषद (TAC) के सदस्य शामिल हों।

रांची पुलिस ने अपने आधिकारिक X हैंडल पर निम्नलिखित पोस्ट किया है: “आज दिनांक 03/01/2025 को श्री सुमित कुमार अग्रवाल, पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण), रांची के निर्देशानुसार लापुंग थाना कांड संख्या 36/2023, दिनांक 30/09/2023, धारा 302/307/341/34 IPC और 27 आर्म्स एक्ट के अभियुक्त पीएलएफआई नक्सली संगठन के 1) मार्टिन केरकेट्टा, पिता जोहन केरकेट्टा, ग्राम रेद्दा-चुवाटोली, थाना कामडारा, जिला गुमला; 2) दुर्गा सिंह उर्फ पंझरी, पिता ललित मोहन सिंह उर्फ झिरगू सिंह, ग्राम जरिया; 3) अमृत होरो उर्फ मचटो, पिता सुशील होरो, ग्राम सेमरटोली, दोनों थाना लापुंग, जिला रांची; तथा लापुंग थाना कांड संख्या 42/2023, दिनांक 20/11/2023, धारा 384/385/387/34 IPC और 17 CLA एक्ट के अभियुक्त अमृत होरो के खिलाफ माननीय न्यायालय, रांची द्वारा निर्गमित इस्तिहार का तामिला दिनांक 03/01/2025 को ढोल-नगाड़े और पब्लिक एड्रेस सिस्टम के माध्यम से प्रचार-प्रसार कर किया गया।”

(झारखंड से विशद कुमार की रिपोर्ट)

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