बिहार की राजनीति में एक बार फिर उबाल आ गया है। राज्य की तकरीबन सभी बड़ी पार्टियां खतरे का सामना कर रही हैं। कब किस पार्टी को ग्रहण लग जाए और कौन सत्ता के आसमान को छूने की ख्वाहिश में पाताल का रास्ता पकड़ ले। भला कौन बता सकता है। सब एक दूसरे के पीछे पड़े हैं। जो कल तक दोस्त थे आज जासूस नजर आ रहे हैं और जो कल तक दुश्मनी पाले हुए थे, उनके बीच आज गहरी यारी हो गयी है।
कांग्रेस और जेडीयू में कलह
खासकर दो राजनीतिक दलों में अंदर ही अंदर कलह जारी है। एक कांग्रेस और दूसरा जेडीयू। इसके साथ ही सियासी गलियारों के अलावा मीडिया में जोरों से चर्चा है कि नीतीश कुमार के गुट वाले जदयू के लोग शरद यादव गुट को पूरी तैयारी के साथ घेरने में जुट गये हैं। शुक्रवार को दोपहर नीतीश गुट के जदयू का एक प्रतिनिधि मंडल चुनाव आयोग से मिला और उसके सामने अपनी बात रखी। गौरतलब है कि पार्टी नेताओं ने चुनाव चिह्न पर शरद यादव के दावे को चुनौती दी है। नीतीश गुट की ओर से ललन सिंह, आरसीपी सिंह, संजय झा और केसी त्यागी ने चुनाव आयोग में जाकर शरद यादव के उस दावे को खारिज किया, जिसे उन्होंने इससे पहले आयोग के सामने रखा था। बताया जा रहा है कि जदयू के नीतीश गुट के नेताओं ने आयोग से शरद यादव की सदस्यता रद्द करने की अपील की है। जानकारी के मुताबिक अब शरद यादव से, जो चुनाव आयोग में बनी समिति होती है, वह पूछताछ करेगी।
दोनों के अपने-अपने दावे
चुनाव आयोग में अपना दावा पेश करने के बाद मीडिया से बातचीत में नीतीश गुट के नेता संजय झा ने कहा कि हमारे पास 71 विधायक, 30 विधान पार्षद, 7 राज्य सभा सदस्य और दो लोकसभा सदस्यों का समर्थन है। इसके अलावा पार्टी के सभी राज्यों के नेताओं के साथ पदाधिकारियों का नीतीश के पक्ष में शपथ-पत्र है। उसे हमने आयोग को सौंप दिया है। संजय झा ने शरद यादव के दावे को बिल्कुल खारिज कर दिया है। आपको बता दें कि शरद गुट ने 25 अगस्त को चुनाव आयोग के सामने पार्टी और निशान पर अपना दावा किया था। इससे पहले जदयू का एक प्रतिनिधिमंडल राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू से मिलकर शरद यादव की राज्यसभा सदस्यता खत्म करने की मांग कर चुका है, लेकिन पार्टी की दावेदारी को लेकर मामला फिलहाल चुनाव आयोग में चल रहा है। इससे पूर्व जदयू के नेताओं ने उपराष्ट्रपति को दिये अपने पत्र में यह बताया था कि शरद यादव ने स्वेच्छा से पार्टी छोड़ी है। पार्टी नेताओं ने सभापति से शरद यादव के बागी तेवर से वाकिफ कराया और तमाम तरह की जानकारी उन्हें सौंपी। राजद जहां अपनी परेशानियों से जूझ रही है वहीँ जदयू के भीतर महाभारत जारी है। नीतीश और शरद गुट रह-रह कर एक दूसरे पर वार कर रहे हैं।
बिहार कांग्रेस पर मड़रा रहा है टूट का खतरा
उधर, बिहार कांग्रेस पर टूट का खतरा लगातार मंडरा रहा है। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात करने वाले बिहार के 27 विधायकों में से 19 ने उनसे अनुरोध किया है कि कम से कम फिलहाल के लिए राजद से गठबंधन तोड़ लिया जाए। इन विधायकों का कहना है कि राजद मुखिया के साथ हाथ मिलाने के चलते कांग्रेस को नुकसान हुआ है और अगर यह साथ जारी रहा तो आम कार्यकर्ताओं के मनोबल पर बुरा असर पड़ेगा। उधर, विधायकों की बगावत के कयासों के बीच बिहार कांग्रेस के मुखिया अशोक चौधरी ने कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं पर आरोप लगाया है कि वे उन्हें पद से हटाने की साजिश रच रहे हैं। चौधरी पूर्व निर्धारित व्यस्तताओं का हवाला देकर राहुल गांधी द्वारा बुलाई गई बैठक में भी शामिल नहीं हुए थे। अटकलें हैं कि चौधरी के समर्थन में 14 कांग्रेस विधायक और चार विधान परिषद सदस्य हैं। विधायक दल में टूट तभी मान्य होती है जब बगावत करने वाले विधायकों की संख्या कम से कम दो तिहाई हो। यानी बागी गुट को अभी चार और विधायक चाहिए। कहा यह भी जा रहा है कि कांग्रेस के बागी विधायकों को लुभाने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने मंत्रिमंडल में आठ सीटें खाली रखी हैं।
माना जा रहा है कि नीतीश कुमार कांग्रेस को तोड़कर अपनी शक्ति मजबूत करना चाह रहे हैं। नीतीश के साथ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष चौधरी की खूब बनती है। चूंकि कांग्रेस चौधरी को हटाने की फिराक में है इस लिए नीतीश गुट चौधरी को हवा दे रहा है कि भविष्य की राजनीति जदयू की होगी इसलिए यहाँ आओ और राजनीति करो। खबर के मुताबिक कुछ विधायक तो राहुल गांधी से मिलना भी नहीं चाहते थे। ऐसे में साफ़ हो गया है कि कांग्रेस बिहार में फिर फटेहाल हालत में पहुंच सकती है।