जिन्हें ढंग की बात करने से कन्नी काटनी होती है वे मन की बात से भटकाने और बहलाने की पतली…
अथ संघ सरेंडर गाथा: आँखों देखा इमरजेंसी अध्याय
संघ के संग सरेंडर की संलग्नता सनातन है। यह इतनी सतत और सुदीर्घ है कि हिंदी के व्याकरण में एक…
विरोध का पाखंड: 1975 की इमरजेंसी के साथ खड़ा था संघ और जनसंघ
इस 25 जून की आधी रात को 1975 में लगे आंतरिक आपातकाल-जिसे उस जमाने में इमरजेंसी के नाम से अधिक…
क्यों ट्रम्प से इतना भय खा रहे हो, क्या डर है जिसको छुपा रहे हो?
बहुतई विचित्र समय है। उधर माय डियर फ्रेंड ऐसा पिलकर पीछे पड़ा हुआ है कि चुप होने का नाम ही…
ऑपरेशन कगार : अडानी और कॉर्पोरेट्स के लिए रेड कारपेट बिछाने का मिशन
इसी 21 मई को बस्तर के नारायणपुर के माड इलाके के गुंडेकोट जंगल में हुई मुठभेड़ में सशस्त्र बलों ने…
निशाने पर सिर्फ मूर्ति भर नहीं है
मध्यप्रदेश। हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ के परिसर में डॉ बी. आर. अम्बेडकर की मूर्ति लगाने के सवाल पर हो रहे…
एक चुटकी सिन्दूर की कीमत तुम क्या जानो नरेन बाबू !!
अंततः खुद उन्हीं ने इसका प्रमाण भी प्रस्तुत कर दिया है कि वे सचमुच में नॉन बायोलॉजिकल हैं, अपौरुषेय हैं।…
इतने तन्हा तो हम कभी भी न थे!
1948 की बात है: द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद नवगठित संयुक्त राष्ट्रसंघ अभी नया-नया ही था। कश्मीर के सवाल पर एक…
चौंकाने और डराने वाला सप्ताह ! इधर, सूरज पाले का शोर, उधर, अंधेरा पसरता चहुँओर
मई का दूसरा सप्ताह देश और समूचे भारतीय प्रायद्वीप के लिए अभूतपूर्व रहा। तीन दिन चला भारत-पाकिस्तान युद्ध-या वह जो…
विजय शाह लक्षण हैं, नफरती वायरस का जखीरा कुनबा है
मोहन यादव की सरकार में मंत्री, खुद को तथाकथित कुंवर बताने वाले विजय शाह ने इस बार खुद अपने ही…