Friday, March 29, 2024

झारखंड: पहली बार ग्राम सभा ने न्यायालय को सौंपा वन विभाग का मामला

भारत के संविधान अनुच्छेद 13 (3) (क) “विधि” के अंतर्गत भारत के राज्य क्षेत्र में विधि का बल रखने वाला कोई अध्यादेश, आदेश, उप विधि, नियम, विनियम, अधिसूचना, रूढ़ि या प्रथा है। झारखंड के गढ़वा जिले का बड़गढ़ प्रखण्ड अंतर्गत ग्राम गोठानी भारत के राष्ट्रपति द्वारा घोषित अनुसूचित क्षेत्र है। अब यह जानना जरूरी हो जाता है कि अनुसूचित क्षेत्रों को संविधान द्वारा विशेषाधिकार प्राप्त है। रूढ़ि या प्रथा के अनुसार सामाजिक एवं प्रशासनिक मामलों पर ग्राम सभाओं द्वारा बैठक कर नियम संगत सर्वसम्मति से निर्णय लेना इसी विशेषाधिकार का अंग है। ग्राम सभा गोठानी ने वनाधिकार कानून 2006 की धारा 3 (1) (i) के तहत 12 सितम्बर 2019 को सामुदायिक दावा प्रपत्र हेतु सभी प्रक्रियाएं पूरी कर रंका अनुमण्डल को सौंप दिए हैं।

इधर ग्राम सभा गोठानी के समस्त सदस्यों ने विभिन्न बैठकों में गांव वन क्षेत्र के प्रबंधन के लिए मान्यताओं व नियमों को अंगीकार किया है। वन क्षेत्र के प्रबंधन के निमित्त ग्राम सभा गोठानी ने ग्राम सभा में नियम तय किये हैं, जिसमें अनावश्यक पेड़ों की कटाई पूरी तरह से वर्जित और अवैध है।

ग्राम सभा गोठानी ने अपने ग्राम सभा में जंगल से संबधित कई मामलों का निष्पादन किया है। जंगल से पेड़ों को काटने वाले दोषियों ने ग्राम सभा में अपना जुर्म कबूला भी और जुर्माना भी भरा है। कई ग्राम सभाओं ने जैव विविधता अधिनियम 2002 के अंतर्गत जैव विविधता प्रबंधन पंजी का संधारण भी प्रारंभ कर दी है। सिर्फ इतना ही नहीं ग्राम सभाओं ने अपने दावा क्षेत्र में सीमाओं पर अधिकार एवं जागरूकता से सम्बंधित साईनबोर्ड भी गाड़े हैं।

बावजूद ग्राम सभा द्वारा पारित नियमों की अनदेखी करते हुए बड़गढ़ निवासी दबंग प्रवृति के मिथिलेश ठाकुर ने अपने लाईन होटल निर्माण के क्रम में 21 नवम्बर की रात्रि में चोरी छुपे मजदूरों से सखुए के 9 पेड़ काट डाले। जंगल की नियमित निगरानी के लिए निकले ग्राम प्रधान, ग्राम सभा सचिव एवं गाँव के सक्रिय कई सदस्यों ने जब 22 नवम्बर को बडगढ़ / चांदों रोड के गोठानी / टेंगारी सीमा में वन विभाग के ट्रेंच में बोटा को छिपाया पाया। तत्काल इस मामले से ग्राम सभा के समस्त सदस्यों को सूचित किया गया। ग्राम सभा 24 एवं 25 नवम्बर को दो दिनों तक बैठक के जरिये इस मामले को सुलझाने का प्रयास किया। जिसमें ग्राम सभा ने दोषी मिथिलेश ठाकुर पर आर्थिक दण्ड लगाया। लेकिन मिथिलेश ठाकुर ग्राम सभा के निर्णयों को धत्ता बताते हुए अपनी मनमानी करते रहे। तत्पश्चात ग्राम सभा ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि इस मामले को कानून के हवाले कर दिया जाए।

मिथिलेश ठाकुर का पहला मामला है जिसे ग्राम सभा ने निर्णय लेकर न्यालायल को सौंपने का निर्णय लिया है। मिथिलेश ठाकुर की दबंगई को ध्यान में रखते हुए गाँव के पंचों ने वन विभाग, भंडरिया रेंज के रेंजर कन्हाई राम को टेलीफोन के जरिये सूचना दी। वन विभाग ने सक्रिय भूमिका निभाते हुए तत्काल प्राथमिकी दर्ज कराते हुए काटी गई सभी सखुए के लकड़ी को 25 नवम्बर की शाम को जब्त कर ली है। अब यह मामला गढ़वा न्यायालय में विचाराधीन है। वन विभाग न्यायालय से अभियुक्त की गिरफ़्तारी के लिए वारंट हेतु आवेदन प्रस्तुत करने की तैयारी कर रहा है।

विदित है कि बड़गढ़, भंडरिया, चिनिया, डंडाई और रंका थाना क्षेत्र के 33 ग्राम सभाओं ने 15,598 हेक्टेयर वन भूमि पर दावा समर्पित किये हैं। जिसमें गोठानी ग्राम सभा ने 48.28 हेक्टेयर वन भूमि पर पारम्परिक अधिकार है।

इसके पूर्व भी ग्राम सभा गोठानी ने अपने ग्राम सभा में जंगल से संबधित कई मामलों का निष्पादन किया है। दोषियों ने ग्राम सभा में अपना जुर्म कबूला भी और जुर्माना भी भरा है। मिथिलेश ठाकुर का पहला मामला है जिसे ग्राम सभा ने निर्णय लेकर न्यालायल को सौंपा है।

(वरिष्ठ पत्रकार विशद कुमार की रिपोर्ट।)

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