Thursday, March 28, 2024

छत्तीसगढ़: मजाक बनकर रह गयी हैं उद्योगों के लिए पर्यावरणीय सहमति से जुड़ीं लोक सुनवाईयां

रायपुर। राजधनी रायपुर स्थित तिल्दा तहसील के किरना ग्राम में मेसर्स शौर्य इस्पात उद्योग प्राइवेट लिमिटेड के क्षमता विस्तार के लिए पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए लोकसुनवाई आयोजित की गई थी। जंहा लगभग 12.30 बजे सारे अधिकारी जा चुके थे और लोकसुनवाई समाप्त कर दी गयी।

ये सुनवाईयां मजाक बनकर रह गयी हैं। ग्रामीणों ने बताया कि इस लोकसुनवाई की जानकारी ज्यादातर लोगों के पास पहुचीं ही नहीं है। कब यह शुरू हुई और कब ख़त्म हो गयी किसी को पता ही नहीं चला। औपचारिक रूप से यह सुबह 11 बजे नियत थी लेकिन ग्रामीणों ने कहा कि उनके कुछ समर्थक और कार्यरत मजदूरों से समर्थन लेकर तत्काल बंद कर दी गई। जबकि नियमानुसार परिसर में मौजूद समस्त लोगों की आपत्तियों और सुझाव को सुना जाना आवश्यक है।

दरअसल पर्यावरणीय प्रभाव आकलन नोटिफिकेशन का मूल उद्देश्य ही यही था कि परियोजना की स्थापना से होने वाले पर्यावरणीय प्रभावों का वैज्ञानिक तरीके
से अध्ययन कर पर्यावरणीय प्रभाव आकलन रिपोर्ट बनाई जाये।

रिपोर्ट पर समुदाय से स्वतंत्र और पारदर्शी तरीके से लोकसुनवाई पूर्वसूचना के आधार पर आयोजित कर सुझाव व आपत्तियों को सुना जाये। परियोजना से होने वाले संभावित प्रभावों को न्यूनतम रखने के लिए परियोजना प्रस्तावक अपनी कार्ययोजना या समुदाय द्वारा उठाये गए सवालों का जवाब अंतिम ईआईए रिपोर्ट में प्रस्तुत करें।

लेकिन अक्सर यह देखा गया है कि कम्पनी और प्रशासन हर स्तर पर इसका समर्थन चाहते हैं। और मंशा से बढ़े पैमाने पर पेसा खर्च कर समर्थन जुटाते हैं। लगभग पूरे छत्तीसगढ़ में लोकसुनवाई इसी तरह से आयोजित होती है जिससे इस प्रक्रिया का कोई औचित्य ही नहीं रह जाता है। यह पूरी प्रक्रिया महज एक खानापूर्ति बना दी गई है।

जिस शौर्य इस्पात हेतु यह लोकसुनवाई आयोजित की गई थी उसका अधिकतर निर्माण कार्य हो भी चुका है। जबकि कानूनी प्रक्रिया के अनुसार पर्यावरणीय स्वीकृति के बाद ही निर्माण कार्य शुरू किया जा सकता है। हालांकि कंपनी के संक्षिप्त पर्यावरणीय प्रभाव आकलन रिपोर्ट के अनुसार 30000 TPA इंडक्सन फर्नेंस हॉट ब्लेड के निर्माण हेतु एवं रोलिंग मिल तथा 1000000 TPAनिर्माण की गैल्वेनाइजिंग परियोजना की स्थापना के लिए 10 सितम्बर 2020 को छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल के द्वारा स्थापना की सहमति जारी हुई थी जिसका निर्माण कार्य जारी है।

छत्तीसगढ़ में लगातार उद्योग भूमिगत जल का उपयोग कर रहे हैं। विशेष कर स्पंज आयरन और स्टील उद्योग। यह फैक्ट्री भी 3 लाख 60 हजार लीटर प्रति दिन उपयोग करेगी। उद्योगों को भूमिगत जल उपलब्ध कराने के प्रस्तावों पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए।

(छत्तीसगढ़ से जनचौक संवाददाता तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट।)

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