(छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए माओवादियों के शव अभी तक उनके परिजनों को नहीं मिल…
सीपीआई माओवादी के महासचिव वासवराज की हत्या भारतीय राज्य पर एक बड़ा सवाल!
हरी सैन्य वर्दी में जमीन पर सूखे पत्तों के बीच मृत एक बुजुर्ग, जिनकी खुली आँखें जंगल को अब भी…
ऑपरेशन कगार में सीपीआई माओवादी के महासचिव केशवराव समेत 27 की मौत, न्यायेतर हत्या की माले ने की निंदा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे आपरेशन कगार में सुरक्षा बलों…
अपने नागरिकों के खिलाफ आंतरिक युद्ध को खत्म करे सरकार : कोऑर्डिनेशन कमिटी फॉर पीस
भारत अपने पड़ोसी देश के साथ युद्ध के कगार से वापस लौटा है।जबकि पिछले दिनों युद्ध को लेकर चिंतित विभिन्न राज्यों के नागरिक…
सैकड़ों बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने छत्तीसगढ़ में युद्ध विराम लागू कर नक्सलियों से बातचीत के लिए जारी की अपील
(छत्तीसगढ़ के बस्तर समेत उससे सटे तमाम जंगली इलाकों में केंद्र सरकार ने ‘कगार अभियान’ छेड़ा हुआ है। जिसका लक्ष्य…
60 आदिवासियों को नक्सली बताकर आत्मसमर्पण करवाने की पुलिस की कहानी बिल्कुल फर्जी है: सोनी सोरी
आज, सोनी सोरी ने मुझसे कहा, “गुरुजी, गाँव से साठ आदिवासियों को जबरन उनके घरों से उठाया गया और पुलिस…
पुस्तक समीक्षा-दावानल: इन्साफ़ की गैरमौजूदगी में बस्तर का सच दर्ज करने की बेहतरीन कोशिश
विख्यात समाजशास्त्री नन्दिनी सुन्दर बस्तर की गंभीर अध्येता हैं। वह बस्तर के सघन जंगली इलाकों में बहुत पहले से आती-जाती…
बेकसूरी की सज़ा और प्रताड़ना ने ली प्रो. साईबाबा की जान
कुछ बीमारियों के चलते दिल्ली विश्वविद्यालय के अंग्रेजी प्राध्यापक, सामाजिक कार्यकर्ता, कवि, लेखक, विकलांगता से परेशान प्रोफेसर जीएन साईबाबा का…
माओवादी भी इसी रिपब्लिक की संतानें हैं जनाब
1 जुलाई, 2010 को जब माओवादी पार्टी के प्रवक्ता कामरेड आज़ाद और पत्रकार हेम पाण्डेय को केंद्र की निगरानी में…
जनपक्षीय पत्रकार रूपेश का दो वर्षों में कई जेलों में किया गया ट्रांसफर, इस जेल जीवन के क्या हैं मायने?
ग्राउंड रिपोर्टर रूपेश कुमार सिंह के गिरफ्तारी के दो वर्ष पूरे हो गये हैं, 17 जुलाई 2022 का वह दिन…