Saturday, April 27, 2024

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जयंती पर विशेष: राही का मानना था- देश के राजनीतिक-आर्थिक ढांचे में बसता है सांप्रदायिकता का भूत

‘‘मेरा नाम मुसलमानों जैसा है/मुझे कत्ल करो और मेरे घर में आग लगा दो/लेकिन मेरी रग-रग में गंगा का पानी दौड़ रहा है/मेरे लहू से चुल्लू भरकर महादेव के मुंह पर फेंको/और उस जोगी से यह कह दो/महादेव अब...

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ग्राउंड रिपोर्ट: किसानों की जरूरत और पराली संकट का समाधान

मुजफ्फरपुर। “हम लोग बहुत मजबूर हैं, समयानुसार खेतों की जुताई-बुआई करनी पड़ती है। खेतों में सिंचाई तो स्वयं कर...