(स्वामी जी का कर्म रण भूमि से हठात जाना किसे नहीं अखरेगा? मौजूदा दौर में तो उनकी हस्तक्षेपकारी भूमिका की पहले से अधिक ज़रूरत थी। यकीनन उनके जाने से फासीवादी शक्तियों को राहत की सांस लेने का अवसर ज़रूर मिल गया है। इन्हीं फासीवादी तत्वों ने 2018 में झारखण्ड में उनके लीवर को इतना आघात पहुँचाया कि वह तब से सामान्य नहीं हो सका। इसी कुकृत्य को 2019 में भी दोहराया गया था जब ...