दिल्ली में भाजपा के सत्ता में आने के बाद यमुना की सफाई की कवायद शुरू हुई। हालाँकि, दिल्ली में यमुना के प्रदूषण का मुख्य कारण शहरी गंदगी, जिसमें सीवर सिस्टम भी शामिल है, और उद्योगों के गंदे अवशिष्टों का यमुना में बहाया जाना है। लेकिन इसके निवारण की कोई ठोस संभावना नजर नहीं आती। दूसरी ओर, दिल्ली में यमुना के किनारे रिवरफ्रंट बनाने की योजना है।
लेफ्टिनेंट गवर्नर वी.के. सक्सेना ने मई 2022 में पद संभालने के बाद यह विचार प्रस्तुत किया था। अब मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार गुजरात के साबरमती रिवरफ्रंट की तर्ज पर यहाँ भी रिवरफ्रंट बनाना चाहती है। यमुना में प्रदूषण की समस्या बहुत गंभीर है, फिर भी इस तरह के विकास को यमुना को साफ करने के तरीके के रूप में देखा जा रहा है। उम्मीद है कि इससे नदी के आसपास के इकोसिस्टम पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के पास नदी के किनारे की जमीन है। डीडीए ने इस दिशा में काम शुरू कर दिया है। डीडीए नदी और उसके आसपास के क्षेत्र को फिर से हरा-भरा करने की कोशिश कर रहा है। इसके लिए कई परियोजनाएँ चल रही हैं, जो विभिन्न चरणों में हैं। डीडीए के एक अधिकारी ने बताया कि लैंडस्केप को सुधारकर उसमें मनोरंजन की जगहें बनाई जाएँगी। इससे दिल्ली के लोगों को नदी से जुड़ने का अवसर मिलेगा। पैदल चलने के रास्ते और साइकिल ट्रैक बनाए जाएँगे। पानी के स्रोत को बेहतर किया जाएगा। घास के मैदान और बाढ़ के मैदानों में जंगल लगाए जाएँगे, जिससे लोगों को सुंदर दृश्य देखने को मिलेंगे और वे नदी तक आसानी से पहुँच सकेंगे।
लेकिन सवाल यह है कि यमुना को कैसे ठीक किया जाए? अभी भी नदी से दुर्गंध आती है। इसे ठीक करने की कोई निश्चित समय-सीमा नहीं है। अभी यह एक नाले की तरह दिखती है, हालाँकि मानसून के दौरान इसमें बाढ़ आ जाती है। 2023 में इसने अपने पुराने बाढ़ के मैदानों को फिर से हासिल किया था।
विशेषज्ञ पूछ रहे हैं कि जब यमुना प्रदूषण से जूझ रही है और उसमें सुधार के कोई आसार नहीं दिख रहे, तो क्या रिवरफ्रंट बनाने से कोई लाभ होगा? उन्हें यह भी आश्चर्य है कि क्या अधिकारियों के पास इस तरह के रिवरफ्रंट के फायदे और नुकसान तथा पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव की पूरी जानकारी है। क्या उन्होंने पहले के रिवरफ्रंट प्रोजेक्ट्स का अध्ययन किया है? यह भी देखना होगा कि एक प्रदूषित नदी के किनारे सामुदायिक उत्सव, रेस्तराँ और गाड़ियों के लिए जगह बनाने का क्या अर्थ है, जहाँ का इकोसिस्टम पहले से ही बहुत नाजुक है।
हाइड्रोलॉजिस्ट और इंजीनियर बताते हैं कि यमुना की प्राकृतिक संरचना और उसके कनेक्शन को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यदि ऐसा किया गया, तो नदी का इकोसिस्टम और बिगड़ सकता है। साउथ एशियन नेटवर्क ऑन डैम्स, रिवर्स एंड पीपल के समन्वयक हिमांशु ठक्कर ने चेतावनी दी है कि “दिल्ली में साबरमती मॉडल को दोहराने से यमुना नदी पूरी तरह बर्बाद हो जाएगी।”
उन्होंने कहा कि “साबरमती नदी अपने आप में नहीं है; उसमें नर्मदा से पानी लाया गया है। लेकिन एक जीवित नदी की कुछ खासियतें होती हैं, जैसे उसका प्राकृतिक किनारा, पानी का स्वाभाविक बहाव और कनेक्शन।”
साबरमती में नर्मदा नदी से पानी लाया जाता है, इसलिए वह भरी रहती है, लेकिन यमुना अपनी ही धारा पर निर्भर है। यदि यमुना को साबरमती की तरह बनाने की कोशिश की गई, तो उसका प्राकृतिक स्वरूप नष्ट हो जाएगा। इसलिए, यमुना के लिए कोई भी योजना बनाने से पहले उसकी विशेषताओं को समझना बहुत जरूरी है।
विशेषज्ञों का कहना है कि रिवरफ्रंट बनाने से पहले यमुना के प्रदूषण को कम करना आवश्यक है। यदि नदी साफ नहीं होगी, तो रिवरफ्रंट का कोई अर्थ नहीं रह जाएगा। लोगों को नदी के किनारे घूमने में आनंद नहीं आएगा, यदि वहाँ दुर्गंध बनी रहेगी। इसलिए सरकार को पहले यमुना की सफाई पर ध्यान देना चाहिए। इसके लिए कारखानों से निकलने वाले कचरे को नदी में बहने से रोकना होगा। लोगों को भी नदी में कचरा फेंकने से रोकना होगा। जब यमुना साफ हो जाएगी, तब रिवरफ्रंट बनाने से लोगों को वास्तव में लाभ होगा।
भू-वैज्ञानिकों का मानना है कि यमुना एक संकटग्रस्त नदी है। जिस ग्लेशियर से यमुना का पानी आता है, वह तेजी से पिघल रहा है। यही कारण है कि आगरा से दिल्ली तक यमुना एक गंदे नाले में तब्दील हो गई है। इसमें जो पानी आता है, वह या तो शहरों की गंदगी है या अन्य नदियों का पानी। गर्मियों में तो यह पूरी तरह सूख जाती है। इसी तरह का एक प्रस्ताव उत्तर प्रदेश में आगरा में बसपा शासनकाल के दौरान आया था। यमुना के किनारे शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट और पर्यावरण मंत्रालय ने इस पर रोक लगा दी थी।
वास्तव में, यमुना जैसी संकटग्रस्त नदियों के किनारे इस तरह की कोई भी परियोजना पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को भारी नुकसान पहुँचा सकती है।
(स्वदेश कुमार सिन्हा लेखक और टिप्पणीकार हैं)