Wednesday, April 24, 2024

रेल यात्रा में चिल करो जी चिल

चिल करो मतलब ठंड रखो जैसा कि हमारे पंजाब में कहते हैं, तो जब आप कहीं सफ़र करने या घुमक्कड़ी करने का फैसला कर रहे हैं तो एक फैसला और करें कि हर हालत में टेंशन नहीं लेंगे, गुस्सा नहीं करेंगे और ठंड रखेंगे, और आपके साथ अगर युवा और बच्चे हैं तो भी चिल करेंगे।

एक तो ऐसे आर्थिक हालात में आपकी रेल यात्रा या घुमक्कड़ी करने की बात बड़ी हिम्मत वाली है, फिर अगर आप औसत आमदनी वाले हैं तो आप किसी हीरो से कम नहीं हैं। अपनी हीरोपंती बचाए रखने के लिए आपका चिल रहना बहुत ज़रूरी है, क्योंकि जगह-जगह आपको ऐसे कैरेक्टर मिल जाएंगे जो  दरअसल विलेन हैं। लेकिन अपने आपको हीरो मानते हैं। तो अगर सफ़र में कभी कोई सीन ऐसा आ जाए जिसमें ऐसे दो कैरेक्टर एक से हों तो आप चुपचाप उस सीन से निकलकर चिल करें। यह घुमक्कड़ी और सफ़र का सबसे अहम फण्डा है। बाबू, बुकिंग वाला इंक्वायरी वाला, टैक्सी वाला, बस वाला, आटो वाला, वर्दी वाला, सिक्योरिटी वाला, टिकट चेक वाला, चायवाला, पानी वाला, चिप्स वाला, रेस्टोरेंट वाला जैसे बहुत से हीरो आपको मिलेंगे जो आपकी अकड़ ढीली करने की हरचंद कोशिश करेंगे, उनसे बचकर रहिए और चिल करिए।

हां तो अब लम्बी चौड़ी बात नहीं, सीधे सीधे घुमक्कड़ी में चिल रहने की बात की जाए, और चूंकि मुल्क में औसत लोगों की घुमक्कड़ी बिना रेल के नहीं हो सकती इसलिए बात रेल से शुरू की जाए।

कोविड से पहले जितनी रेलें चलती थीं अगर उतनी अभी नहीं चल रही हैं जिससे आपके सफ़र और आपकी घुमक्कड़ी में परेशानी आ रही है, तो चिल करें। क्या पता रेल किसी बड़े उद्देश्य के लिए रोकी गई हो। अगर आप जान रहे हैं कि रेल वही पुरानी वाली है और स्पेशल के नाम पर भाड़ा ज़्यादा लिया जा रहा है तो भी चिल करें। अधिक धन ख़र्च करके जीडीपी बढ़ाकर राष्ट्र सेवा में सहयोग दें और चिल करें। अगर आपकी वाली ट्रेन पहले पैसेंजर ट्रेन थी और अब वही एक्सप्रेस बनकर वैसे ही सेवा दे रही है और उसका किराया ज़्यादा लिया जा रहा है। तो भी चिल करें, सोचें ट्रेन चल तो रही है, अगर नहीं होती तो क्या कर लेते? भले ही ट्रेन साधारण से स्पेशल बन गई हो या पैसेंजर से एक्सप्रेस बन गई है। है तो सही, चिल करें।

जब तक बुलेट ट्रेन आती है तब तक आपको इसी से काम चलाना पड़ेगा। संतोष करना पड़ेगा, और ज़्यादा किराया देकर राष्ट्र सेवा करके आप ठंडी शान्ति महसूस करेंगे। चिल कीजिए चिल।

अगर आप स्पेशल कैटेगरी में आते हैं और आपको रेल यात्रा में पहले कन्सेशन मिलता था और अब नहीं मिल रहा है तो भी चिल करें। रेलयात्रा की सुविधा मिल रही है इस पर परम संतोष करते हुए चिल करें। रही बात ज़्यादा ख़र्च करने की, तो थोड़ा विचार करें कि अगर आप कन्सेशन के चक्कर में ज़्यादा रेल यात्रा करते तो ज़्यादा ख़र्च होता, कम यात्रा करेंगे तो आपका ख़र्च भी कम रहेगा। आपके ज़्यादा किराया ख़र्च करने से रेल को लाभदायक बनाने में मदद मिलेगी, वैसे भी रेल के कुल ख़र्च के सापेक्ष रेल किराए से रेल का 57% ख़र्च निकलता है तो ज़्यादा रेल यात्रा करके रेल का घाटा बढ़ाना नहीं चाहिए। तो ऐ घुमक्कड़ों इस बात को सम्पूर्णता से विचार करते हुए रेल यात्रा पूरा किराया देकर करें और राष्ट्रहित और राष्ट्रसेवा के भागीदार बनें।

लम्बी दूरी की यात्रा करनी है तो रेल यात्रा का रिजर्वेशन कराना होता ही है, रिजर्वेशन कराने के बहुत आप्शन हैं। यह मत सोचिए कि रेलें कम हो गई हैं या कैंसिल हो गई हैं, त्यौहारों पर गाड़ियां नहीं चली हैं या कम चली हैं। भाई कुछ तो चल रही हैं ना, बस यही काफ़ी है। रिजर्वेशन की कोशिश कीजिएगा।

रिजर्वेशन के लिए रेलवे स्टेशन जाकर लाइन में लगें या आनलाइन करें या एजेंट से रिजर्वेशन कराएं। यह आपकी हैसियत और औकात पर है। अब टिकट खिड़की की लम्बी लाइन होने पर या आनलाइन टिकट लेने में सर्वरडाउन होने पर ग़ुस्सा मत कीजिए चिल कीजिए, सोचिए लाइन में लगना देश की प्रगति में लगने की निशानी है। लाइन में लगना सारे सवालों को ख़त्म कर देता है। इसलिए लाइन में लगिए सवाल मत करिए चिल रहिए। अगर सवाल करेंगे तो टेंशन में रहेंगे जो आपके और देश के स्वास्थ्य के लिए ख़तरनाक होगा, तो चिल रहिए स्वस्थ रहिए।

जैसे तैसे रिजर्वेशन मिल गया अब आप प्रभु से प्रार्थना कीजिए कि आपकी गाड़ी टाइम से आ जाए। अगर आप अपनी ट्रेन के आने की सूचना इलेक्ट्रोनिक बोर्ड पर देखने जाते हैं तो भी चिल रहिए, आपकी ट्रेन की सूचना नहीं आ रही है, या ट्रेन सूचना की जगह लगातार विज्ञापन आ रहे हैं तो भी चिल रहिए। विज्ञापन और तड़क भड़क रेल के लिए बहुत ज़रूरी है, इसे सहन कीजिए, ट्रेन की सूचना का इंतज़ार कीजिए और चिल रहिए।

अगर ट्रेन आ जाए तो डिब्बे में घुसने की जल्दबाजी नहीं जद्दोजहद कीजिए। और चिल रहिए। अगर आप डिब्बे में किसी तरह घुस भी गए तो यह मत सोचिए कि आपने कोई क़िला फतेह कर लिया है। और अब आप अपनी सीट पर जाकर पसर कर यात्रा की सुखद कल्पना करेंगे, और यात्रा के आनंद में डूबकर आनंद के सागर में हिलोरे लेंगे। अभी तो सीट लेने का झमेला है।

ना ना यह उम्मीद मत कीजिएगा कि आप की सीट आपके जाने तक या ट्रेन के स्टेशन तक पहुंचने में आपको खाली मिलेगी। और टीटीई साब आपको इज्जत के साथ आपकी सीट पर ले जाकर सीट पर आपको जलवाअफ़रोज़ करेंगे। अगर आप देखें कि आपकी सीट पर किसी का कब्जा है और वो आपके सीट पर पसरा हुआ है, तो गुस्सा मत करिए चिल करिए। अगर आप गुस्सा करेंगे तो बात आगे बढ़ जाएगी और हो सकता है आपको एक या अनेक प्रकार की अप्रिय स्थिति का सामना करना पड़े। आप चिल रहिए कैसे न तैसे सीट पर एडजस्टमेंट कीजिए, कपड़ा बिछाकर नीचे बैठिए या देखिए कि नीचे कैसे लेटा जाए। बस चिल रहिए।

अब कुछ लोग कहेंगे कि त्योहारों का मौसम है या नौकरी के एक्जाम हो रहे हैं ऐसे में रेल की बुरी हालत होती ही है। अब युवा तीर्थ यात्रा तो कर नहीं रहे हैं या कांवड़ यात्रा पर तो जा नहीं रहे हैं कि उन पर फूल बरसाए जाते। जिससे वोट गिरता और नेताओं की चलती रहती।

युवा अग्नि वीर या श्रमवीर बनने जा रहे हैं उनको आप सहयोग दीजिए। उनको अपनी सीट सौंपिए और चिल रहिए। अगर आप एसी में भी सफर कर रहे हैं और श्रमवीर या भावी अग्निवीर आपके डिब्बे में आ जाएं तो टेंशन मत लीजिए, सोशल मीडिया से या फोन से रेलमंत्री को शिकायत भी मत कीजिए कुछ नहीं होगा, आप अपना खून जलाएंगे इसलिए चिल कीजिए, ठंड रखिए।

इस बात पर बिल्कुल भी टेंशन मत लीजिए और ना गुस्सा कीजिए की रेल डिब्बे में श्रमवीरों और भावी क्लर्कवीरों की अत्यधिक संख्या (श्रमवीरों को भीड़ मत कहिए) के कारण रेल के बाथरूम में जाने और वहां से लौटने में बहुत परेशानी होती है, थोड़ा सहन कीजिए, चिल कीजिए, वो देश के विकास के लिए ट्रेन के डिब्बे में ठूंसकर, टट्टी में बैठकर ही नहीं दरवाजे पर लटककर और छत पर बैठकर यात्रा कर सकते हैं तो आप तो फिर भी शाहाना सवारी पर होते हैं। टट्टी में पानी खत्म हो गया है तो भी बिगड़िए मत अगर आप बिगड़ेंगे तो आप के कपड़े बिगड़ जाएंगे। 

इसलिए चिल होकर एक बोतल पानी खरीदिए और उससे काम चलाइए। नार्थ ईस्ट से आ रहे हैं तो वहां न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन पर 20 रुपये की दो लीटर की बोतल मिलती है। देखिए कितनी सुविधा है। 20 रुपये में फ्रेश होने का पूरा काम निपट जाता है। इधर बड़े शहरों के स्टेशनों में 10 रुपये में ढंग से निपटा भी नहीं जाता। इसलिए चिल कीजिए। रेल का धन्यवाद दीजिए।

देखिए रेल कितनी अच्छी सेवा दे रही है, अगर स्टेशनों और रेल में पानी नहीं बिकता तो क्या होता, वैसे भी स्टेशनों में बिकने वाला पानी शुद्ध पेयजल ना होकर मल्टीपर्पज़ होता है। इसलिए ए से लेकर जेड तक के नामों वाली कम्पनियों के बोतलबंद पानी बीसलेरही से लेकर रीसलेहरी के नाम से बिकते हैं।

रेल सेवा के कृतघ्न मत बनिए चिल कीजिए।

मैं उन लोगों का आलोचक हूं जो स्टेशनों में मिलने वाले खाने पीने के सामान की कम मात्रा और ज़्यादा कीमतों का रोना रोते हैं, अरे भाई इंद्रा नूई की कम्पनी अगर आलू की चिप के पैकेट में और कोल्ड ड्रिंक में कुछ ग्राम कम दे रही है तो बेचने वाले दूकानदार को भी हक़ हो जाता है कि पांच दस रुपया ज्यादा ले ले। वैसे भी भारतीय मूल की सीओ के लिए इतना बलिदान तो किया ही जाना चाहिए।

देखिए जब आप रेल स्टेशनों में खाने के नाम पर मिलने वाली पतली दाल और सब्जी लाल से बेहाल नहीं होते तो पैकेट बंद चीज़ों की तो नेअमत समझिए। शुक्र कीजिए, चिल कीजिए।

इसमें अफसरों और मंत्रियों की कमीशनखोरी की शिकायत करना बेकार है। बस चिल कीजिए, संतोष कीजिए कि रेलवे स्टेशन जैसी बीहड़ जगह में आपको खाने पीने की शहरी चीजें मिल रही हैं। और मानिए कि संतोषम् परम सुखम् एक शाश्वत सच्चाई है।

(इस्लाम हुसैन लेखक और एक्टिविस्ट हैं। आप आजकल नैनीताल के काठगोदाम में रहते हैं।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles