Tuesday, April 23, 2024

सीआईए की करतूत का भंडाफोड़ करने वाला निडर अमेरिकी पत्रकार गैरी वेब

अमेरिकी गुप्तचर एजेंसी सीआईए द्वारा विदेशी सरकारों को गिराने के लिए वहां ड्रग्स का कारोबार फैलाने, हथियार सप्लाई कर गृहयुद्ध भड़काने तथा सैनिक विद्रोह कराने के खेल का भंडाफोड़ पत्रकार गैरी स्टीफन वेब ने 1996 में अपनी तीन भागों में प्रकाशित एक शृंखला―’डार्क एलायंस’ में किया था। यह कलंक-कथा ‘सैन जोस मर्करी न्यूज़’ नामक एक मामूली पाठक-संख्या वाले अखबार में छपने के बाद वहां तहलका मच गया था।

इधर हाल के दो-तीन वर्षों में जिस तरह भारत में भी आये दिन अरबों-खरबों रुपये की ड्रग्स, खास तौर पर एक निजी बंदरगाह पर ही, पकड़ी जा रही है, उससे शंका होना लाजिमी हो जाता है कि कहीं यहां भी किसी विदेशी संगठन के साथ उच्चस्तरीय गठजोड़ से तो नहीं किया जा रहा है? और वह भी एक ही कॉरपोरेट घराने को देश के बंदरगाह, कंटेनर परिवहन, रेलवे, हवाई सेवा तथा आंतरिक सुरक्षा में निजी सुरक्षाकर्मियों की नियुक्ति की छूट देने से तो अवैध कारोबार को बढ़ावा मिलने की आशंका बढ़ जाती है।     

फ्रीवे रिकी रॉस

बहरहाल, गैरी वेब ने इस लेखमाला में दावा किया था कि निकारागुआ की समाजवादी सैंडिस्ता सरकार उखाड़ फेंकने के लिए सीआईए ने फ़िरोज़ा डेमोक्रिटिका निकाराग्यून्स नामक विद्रोही गुरिल्ला सेना को ड्रग्स सप्लाई की ताकि वे उस पैसे से हथियार खरीद सकें। इस आरोप पर सीआईए ने आंखें मूंद लीं। हालांकि दबी जुबान से अमेरिकी सरकार ने इसका विरोध किया।

वेब ने लेख में बताया था कि निकारागुआ में 1980 के दशक में कोकीन की जो महामारी फैली थी, वह विद्रोहियों द्वारा की जा रही ड्रग तस्करी की सीआईए की अनदेखी के कारण आंशिक रूप से उपजी थी।

गैरी वेब के अनुसार मादक पदार्थों की तस्करी करने वाले ‘डार्क एलायंस’ का सीआईए के मध्य अमेरिका में साम्यवाद-विरोधी प्रयासों के बीच सम्बंध का एक महत्वपूर्ण प्रयास था।

गैरी वेब को पुलित्जर पुरस्कार

17 अक्टूबर, 1989 को बे एरिया भूकंप और उसके बाद के विस्तृत कवरेज के लिए पुलित्जर पुरस्कार प्राप्त पत्रकार गैरी स्टीफन वेब ने अपनी इस लेखमाला के लिए लॉस एंजिल्स स्थित ड्रग माफिया ‘फ्रीवे’ रिकी रॉस पर ध्यान केंद्रित किया। जिसका तट-से-तट तक इस भूमिगत काले धंधे का कारोबार फैला था। वह कोकीन के लिए नकद भुगतान करता था। वेब ने दावा किया कि ब्लांडन-मेनेसेस-रिकी रॉस के ड्रग्स एलायंस ने कोलंबिया के कोकीन निर्माताओं और लॉस एंजिल्स के काले कारोबारियों के बीच पहली पाइपलाइन खोली जिसने अमेरिकी शहरों को क्रैक की खेपों से भर दिया था। 

लॉस एंजिल्स टाइम्स का अनुमान था कि उसके गिरोह ने अपने चरम पर रोजाना औसतन आधा मिलियन क्रैक बेचीं।

सीआईए तथा हर संघीय एजेंसी द्वारा इस गोरखधंधे की उपेक्षा के बारे में अमेरिकी मुख्यधारा के प्रेस ने पहले कभी नहीं लिखा था। इसीलिए अश्वेतों, ड्रग-सुधार कार्यकर्ताओं और राजनीतिज्ञों के बीच इनके विरुद्ध नाराजगी पैदा की क्योंकि वे इस ड्रग वॉर के खिलाफ अपना काम नहीं कर रहे थे।

डार्क एलाएंस किताब

गैरी वेब के लेख की आलोचना की गई

‘सैन जोस मर्करी न्यूज’ की अपेक्षा बहुत ज्यादा प्रसार संख्या वाले अमेरिकी अख़बारों ने गैरी वेब की यह शृंखला छापने के लिए अखबार व पत्रकार वेब की आलोचना की। उनका कहना था कि उसकी प्रस्तुति लचर, हल्की सोर्सिंग और सबूतों की कमी के कारण खोखली थी। उदाहरण के लिए, वेब ने दावा किया था कि ब्लांडन-मेनेसेस-रिकी रॉस के ड्रग्स एलायंस ने कोलंबियाई कोकीन निर्माताओं और लॉस एंजिल्स के बीच पहली पाइपलाइन खोली और शहरी अमेरिका में क्रैक विस्फोट की चिंगारी भड़काने में मदद की, लेकिन उनके लेख में कोई पुख्ता सबूत नहीं था। इस पर लॉस एंजिल्स टाइम्स का कहना था कि बड़े प्रतिद्वंद्वी समाचार पत्र केवल इस बात से नाराज थे कि यह सनसनीखेज खबर उन्हें न देकर बहुत छोटे मीडिया हाउस द्वारा छापी गई।

अमेरिकी सरकार ने वेब की इस शृंखला को एक अजीब काम करार दिया।

प्रतिद्वंद्वियों के हमलों से घबराकर वेब के अपने अखबार ‘सैन जोस मर्करी न्यूज’ ने लेखों से खुद को अलग कर लिया और अपने पाठकों के नाम एक माफी-पत्र प्रकाशित किया।

क्या गैरी वेब ने झूठ लिखा था?

गैरी वेब ने कोई मनगढ़ंत कहानी नहीं लिखी थी, यह इसी से सिद्ध होता है कि इससे पहले भी 1988 में सीनेट की एक उपसमिति की रिपोर्ट में कहा गया था कि कुछ सीआईए समर्थित विद्रोहियों ने पैसा बनाने के लिए ड्रग्स की तस्करी की। इसके दस साल बाद 1998 में सीआईए के महानिरीक्षक फ्रेडरिक पी. हिट्ज ने हाउस इंटेलिजेंस कमेटी के सामने गवाही दी कि इस मामले की गहन समीक्षा के बाद उनका मानना था कि सीआईए कम से कम ड्रग्स-युद्ध के सम्बंध में एक मध्यस्थ के रूप में काम करता है।

‘सैन जोस मर्करी न्यूज’ के इस भंडाफोड़ को बड़े पैमाने पर मीडिया आउटलेट्स द्वारा रद्दी की टोकरी में फेंक दिए जाने के बावजूद जिनेवा ओवरहोलर, द वाशिंगटन पोस्ट जैसे कुछ अखबार और पत्रकार उसके बचाव में भी आगे आए थे। बे एरिया भूकंप और उसके बाद के विस्तृत कवरेज के लिए पुलित्जर पुरस्कार प्राप्त करने वाले गैरी वेब ने 1996 में जर्नलिस्ट ऑफ द ईयर पुरस्कार भी जीता।

इसके बाद गैरी स्टीफन वेब ने ‘सैन जोस मर्करी न्यूज’ से इस्तीफा दे दिया और कैलिफोर्निया के क्यूपर्टिनो के एक दूरदराज इलाके में जाकर ‘एलीट क्लास’ लिखा। जहां वे अवसाद से घिर गये थे। इसी बीच गैरी वेब 49 वर्ष की आयु में 10 दिसंबर, 2004 को अपने घर में मृत पाए गए। उनके सिर पर गोलियों के दो घाव थे। हालांकि घटनास्थल पर एक सुसाइड नोट मिला।

इस पर उनकी लेखमाला पर 2014 में बनाई गई हॉलीवुड फिल्म ‘किल द मैसेंजर’ के पटकथा लेखक पीटर लैंड्समैन कहते हैं, ”मुझे पता है कि उसकी हत्या करने वाली बात सिर्फ एक कहानी है। अगर कोई गैरी वेब को मारना चाहता था तो उसे पांच साल पहले ही मार दिया होता। उसे 2004 में मारने का कोई कारण नहीं था क्योंकि वह पहले ही समाचारों की दुनिया से बाहर रह रहा था। उसके पास एक खराब और पुराना रिवाल्वर था जिसका ट्रिगर फिसल जाता था और उससे कोई भी अपने जबड़े में गोली नहीं मार सकता था।”

(श्याम सिंह रावत वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल नैनीताल में रहते हैं।)

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