नरेंद्र गिरि की मौत: सीबीआई जांच से पुलिस और एसटीएफ की अक्षमता उजागर

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महंत नरेंद्र गिरि की मौत के मामले तह तक जाना और खुलासा करना सीबीआई के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है। महंत नरेंद्र गिरि की मौत हत्या और आत्महत्या के बीच फंसी हुयी है। आत्महत्या के लिए यदि सुसाइड नोट है तो बाकी साक्ष्यों से सुसाइड नोट और अन्य विसंगतियों के कारण इस पर गम्भीर संदेह उठ रहे हैं जबकि हत्या है तो केवल आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपी आनंद गिरि ऐसा कह रहे हैं जबकि घटना के समय मठ के प्रत्यक्षदर्शियों ने इस पर चुप्पी साध रखी है। अब सीबीआई इसकी तह तक पहुंचे या न पहुंचे लेकिन सीबीआई के हाथ में जांच जाने से प्रयागराज पुलिस के आला अफसरों और विवेचना करने वालों की अक्षमता जरूर सतह पर आ गयी है। सीबीआई के पहले निहायत ही गैरपेशेवराना ढंग से तफ्तीश चल रही थी।

महंत नरेंद्र गिरि की मौत के मामले की जांच कर रही सीबीआई की टीम ने उस काम से जांच शुरू की जिसे पता नहीं किस दबाव में पहले प्रयागराज की पुलिस और बाद में एसटीएफ ने नहीं किया था। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि यहां के पुलिस और एसटीएफ अधिकारी यह मान कर चल रहे थे कि सुसाइड नोट मिलने के कारण यह ओपन और शट केस है। शनिवार को अल्लापुर स्थित मठ बाघंबरी गद्दी पहुंच कर सीबीआई की टीम ने सेवादारों से घंटों पूछताछ की और चार सेवादारों के मोबाइल जब्त कर लिए। अब प्रयागराज पुलिस के आला अफसर या विवेचनाधिकारी या एसटीएफ ने क्यों नहीं इसके पहले चार सेवादारों के मोबाइल जब्त किये थे। क्या उनकी नज़र में सेवादारों की भूमिका संदिग्ध नहीं थी?

सीबीआई टीम ने दरवाजा तोड़कर महंत नरेंद्र गिरि का शव फंदे से उतारने वाले सेवादारों से कई सवाल किए। इसके पहले सीबीआई टीम ने जिले के आला अधिकारियों के साथ पुलिस लाइन में साढ़े तीन घंटे की मैराथन मीटिंग भी की। सीबीआई टीम और जिले के आला अधिकारियों के साथ मीटिंग के दौरान महंत की मौत का केस सीबीआई को हैंडओवर कर दिया गया। एसआईटी ने केस से संबंधित पूरे दस्तावेज केंद्रीय जांच एजेंसी को सौंप दिए। एसआईटी प्रमुख ने खुदकुशी वाले दिन से लेकर अब तक के पूरे घटनाक्रम से सीबीआई को अवगत कराया।

सीबीआई टीम आईजी वीके चौधरी और मुख्य जांच अधिकारी केएस नेगी के नेतृत्व में शाम चार बजे मठ पहुंची। टीम के साथ एसआईटी प्रभारी अजीत सिंह चौहान भी थे। टीम सीधे गेस्ट के उस कमरे के बाहर पहुंची जहां महंत का शव मिला था। पुलिस ने इस कमरे को सील कर रखा है। इसके बाद सीबीआई टीम गेस्ट हाउस के सभी कमरों में गई।

कमरों और आसपास के निरीक्षण के बाद सेवादारों सर्वेश उर्फ बबलू, सुमित और धनंजय को बुलाया गया। सर्वेश और सुमित ने ही दरवाजा तोड़कर महंत के शव को नीचे उतारा था। धनंजय भी उनके साथ था। तीनों सेवादारों से घंटों पूछताछ की गई। इसके बाद उनके मोबाइल जब्त कर लिए गए। एक और सेवादार का मोबाइल जब्त किया गया है। टीम गेस्ट हाउस और मठ की छत पर भी गई। फिलहाल सील कमरे को नहीं खोला गया था। सीबीआई टीम इसी कमरे में सीन रिक्रिएट करेगी। इससे पहले सीबीआई टीम ने पुलिस लाइन में एडीजी, आईजी, डीआईजी समेत सभी आला अधिकारियों के साथ मीटिंग की।

सीबीआई के आईजी वीके चौधरी और मुख्य जांच अधिकारी केएस नेगी शनिवार दिन में करीब 11 बजे विमान से प्रयागराज पहुंचे। दोनों एयरपोर्ट से सीधे पुलिस लाइन पहुंचे, जहां जिले के आला अधिकारियों के साथ मीटिंग हुई। जांच टीम के अधिकांश सदस्य शुक्रवार की शाम को ही प्रयागराज पहुंच गए थे।

सीबीआई के आईजी वीके चौधरी और मुख्य जांच अधिकारी केएस नेगी के आने के बाद पुलिस लाइन में शनिवार दोपहर 12 बजे से जिले के आला अधिकारियों और एसआईटी सदस्यों के साथ मीटिंग शुरू हुई। इसके साथ ही एफआईआर की मूल कापी, केस डायरी और विवेचक डायरी सीबीआई को सौंप दी गई। मामले में आरोपी बनाए गए आनंद गिरि, आद्या तिवारी और संदीप तिवारी के बयान और पुलिस की पूछताछ के सारे ब्योरे भी सीबीआई को सौंपे गए। मठ के सेवादारों के बयान और इस केस से जुड़े अधिकारियों की जांच रिपोर्ट के साथ विवेचक का लिखित बयान भी सौंपा गया।

विवेचक ने शुक्रवार को अदालत की अनुमति लेकर नैनी जेल में आनंद गिरि, आद्या तिवारी और संदीप तिवारी से पूछताछ की थी। पूछताछ का पूरा ब्योरा टीम को उपलब्ध करा दिया गया। इसके साथ ही एसआईटी प्रमुख अजीत सिंह चौहान और टीम के अन्य सदस्यों ने खुदकुशी वाले दिन से लेकर अब तक के सारे घटनाक्रम से टीम को अवगत कराया।

एडीजी, आईजी और डीआईजी ने भी केस से संबंधित अपनी राय सीबीआई को बताई। तीनों आरोपियों के मोबाइल की जांच भी पुलिस ने की थी। नरेंद्र गिरि के मोबाइल कॉल डिटेल्स और अन्य डाटा भी सौंप दिया गया। सीबीआई ने एसआईटी के अधिकारियों से केस से संबंधित कई प्रश्न भी पूछे।

पुलिसिया जांच की विसंगतियां देखिये। सूचना और एफआईआर में अंतर। घटना के बाद आधिकारिक सूचना दी गई कि दरवाजा तोड़कर अंदर घुसे शिष्यों ने फांसी का फंदा काट कर शव नीचे उतारा। वहीं उनके शिष्य अमर गिरि ने एफआईआर दर्ज करवाई है कि धक्का देकर दरवाजा खोला गया। गठिया के रोगी महंत कैसे बेड पर स्टूल रखकर चढ़े और कैसे उन्होंने पंखे से फांसी का फंदा लगाया? पुलिस के आने से पहले शव क्यों उतारा गया? डॉक्टर को क्यों बुलाया नहीं गया? महंत को अस्पताल को क्यों नहीं ले जाया गया?

सुसाइड नोट को वसीयत की तरह और टुकड़ों में क्यों लिखा गया? बार-बार काट-पीट क्यों की गई और हस्ताक्षर में भिन्नता क्यों है?कैंपस में दर्जन भर सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। अधिकांश काम कर रहे हैं, लेकिन कमरे के पास का सीसीटीवी कैमरा खराब था। महंत पर पहले भी कई आरोप लगे, तब उन्होंने कोई कदम नहीं उठाया फिर इस बार ही क्यों?अधिकांश संतों का कहना है कि महंत लिखने में हिचकते थे तो इतना बड़ा नोट कैसे लिखा? तथाकथित सुसाइड नोट में उस व्यक्ति का जिक्र क्यों नहीं, जिसने उन्हें हरिद्वार से यह जानकारी दी कि वीडियो वायरल करने की तैयारी है।

एफआईआर सुसाइड नोट से अलग क्यों करवाई गई, जबकि सुइसाइड नोट घटना के तुरंत बाद ही मिल गया था। सुइसाइड नोट में तीन लोगों पर आरोप होने के बाद भी एफआईआर में आनंद गिरि का ही नाम क्यों? पुलिस ने इन सभी मुद्दों पर वैज्ञानिक ढंग से जांच क्यों नहीं की?

यहां याद दिला दें कि तत्कालीन प्रधानमन्त्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद पोस्टमार्टम के उपरान्त उनके पार्थिव शरीर को दर्शनार्थ रखा गया था यहाँ पता नहीं किस आला अधिकारी के निर्देश पर महंत का पार्थिव शरीर पहले दर्शनार्थ रखा गया फिर 40 घंटे बाद उसका पुलिस ने पोस्टमार्टम कराया। आखिर ऐसा क्यों किया गया?
(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल इलाहाबाद में रहते हैं।)

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