”हमारी पार्टी कभी भी भाजपा के साथ गठबंधन नहीं करेगी। चाहे सामने हो या पीछे, टीवीके भाजपा के साथ नहीं चलेगी। भाजपा हमारी दुश्मन है। भाजपा अपनी नीतियों से नुकसान पहुंचा सकती है, लेकिन तमिलनाडु में ऐसा नहीं होने देंगे। “डीएमके और भाजपा दोनों से लड़ने पर कोई समझौता नहीं होगा।”
यह उद्बोधन है उस मशहूर युवा अभिनेता का जो हाल में ही अपनी नयी पार्टी टीवीके के जरिये तमिलनाडु की राजनीति को बदलने के साथ ही तमिलनाडु के मान -सम्मान और संस्कृति को आगे बढ़ाने का संकल्प ला रहा है। अभिनेता से नेता बनने निकले इस शख्स का नाम है थलपति विजय।
तमिलनाडु में अगले साल चुनाव है। मौजूदा डीएमके सरकार जहाँ एक तरफ फिर से सत्ता में लौटने की तैयारी में जुटी है वहीं बीजेपी भी अपना पांव जमाने के लिए हर कोशिश कर रही है। बीजेपी को अभी दक्षिण भारत में मौक़ा नहीं मिल रहा है। दक्षिण भारत में बीजेपी ने केवल कर्नाटक तक ही मजबूत संगठन तैयार कर रखा है और कर्नाटक में सरकार भी चला चुकी है। बीजेपी को लग रहा है कि वह इस बार तमिलनाडु में कोई चमत्कार कर सकती है लेकिन थलपति विजय हुंकार भर रहे हैं उससे तो अब यही लगता है तमिलनाडु की चुनावी राजनीति अब बड़े ही दिलचस्प मोड़ पर पहुँच गई है।
तमिलनाडु विधानसभा चुनाव को देखते हुए टीवीके ने विजय को चुनाव की सारी जिम्मेदारी दी है कि वे आगे गठबंधन के बारे में फैसला करें। इसके साथ ही पार्टी ने दो करोड़ नए सदस्यों को जोड़ने का बड़ा लक्ष्य रखा है। विजय सितंबर से दिसंबर के बीच तमिलनाडु के हर कोने का दौरा करेंगे और जनता से मिलकर समर्थन जुटाएंगे। टीवीके की इस तैयारी को देखते हुए यह साफ है कि पार्टी आने वाले चुनावों में एक नई ताकत के तौर पर सामने आना चाहती है और तमिलनाडु की राजनीति में बदलाव लाने की कोशिश कर रही है।
लेकिन बड़ी बात यह है कि थलपति विजय की पार्टी टीवीके ने पार्टी प्रमुख विजय को अगले सीएम उम्मीदवार के रूप में घोषित कर दिया है और विजय को ही किस पार्टी से गठबंधन करना है और किससे नहीं करना है इसका पूरा अधिकार भी दे दिया है। जाहिर है पार्टी के आधिकारिक फैसले के बाद अभिनेता से नेता बने विजय अपनी तमिलगा वेत्री कझगम यानी टीवीके के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हो गए हैं, जिससे तमिलनाडु में नंबर एक पद के लिए मुकाबला चतुष्कोणीय हो गया है।
शुक्रवार को चेन्नई के उपनगरीय पनैयूर में विजय की अध्यक्षता में टीवीके की आम परिषद की बैठक में इस आशय का प्रस्ताव पारित किया गया। इसके साथ ही यह स्पष्ट हो गया है कि टीवीके किसी अन्य पार्टी के साथ गठबंधन करने के लिए तैयार नहीं है। हालाँकि इस बात की सम्भावना बढ़ गई कि विजय राहुल गाँधी के साथ मिल सकते हैं। अभी कांग्रेस का गठबंधन डीएमके के साथ है। इस बात की भी उम्मीद की जा रही है कि विजय को इंडिया ब्लॉक से जोड़ा जा सकता है। लेकिन आगे क्या कुछ संभव हो पाता है इस पर कुछ नहीं कहा जा सकता।
पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए विजय ने जोर देकर कहा कि टीवीके का वैचारिक दुश्मनों और विभाजनकारी ताकतों के साथ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कोई संबंध नहीं होगा। उन्होंने कहा, “डीएमके और भाजपा दोनों से लड़ने पर कोई समझौता नहीं है और पार्टी इस पर बहुत दृढ़ और स्पष्ट है। टीवीके के नेतृत्व वाला गठबंधन हमेशा भाजपा और डीएमके दोनों का विरोध करेगा।”
उधर पूर्व मुख्यमंत्री और एआईएडीएमके महासचिव एडप्पाडी के पलानीस्वामी (ईपीएस), जो भाजपा और कुछ अन्य एनडीए घटकों के साथ सत्ता में वापसी करने के इच्छुक हैं; और नाम तमिलर काची (एनटीके) के अति-तमिल राष्ट्रवादी सीमान, जिनके पास 8 प्रतिशत वोट शेयर है, अकेले ही चुनाव लड़ रहे हैं। जाहिर है इस बार के तमिलनाडु चुनाव में किसी भी पार्टी और गठबंधन की राह उतना आसान नहीं है जैसा पहले हुआ करता था। कई जानकार तो यह भी कह रहे हैं कि आने वाले समय में कई दल एक साथ मिलकर गठबंधन तैयार कर सकते हैं और फिर तमिलनाडु के चुनाव में गठबंधन की राजनीति का अद्भुत खेल देखने को मिल सकता है।
बता दें कि पिछले साल अक्टूबर में टीवीके के पहले राज्य सम्मेलन में विजय ने भाजपा को पार्टी का वैचारिक दुश्मन और सत्तारूढ़ डीएमके को राजनीतिक दुश्मन घोषित किया था। हालांकि पार्टी की शुरुआत 2024 के लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले हुई थी, लेकिन इसने चुनाव से दूरी बनाए रखी और कहा कि इसका ध्यान 2026 के विधानसभा चुनाव पर है, जिसका मकसद बदलाव लाना है। पार्टी के पहले सम्मेलन में जुटी लाखों की भीड़ देखकर राजनीतिक दलों की आंखें चुंधिया गई थीं और तभी जानकार यह कहने लगे थे कि आगामी राजनीति में थलपति विजय की बड़ी भूमिका हो सकती है।
विजय का बहुप्रतीक्षित जन संपर्क अभियान सितंबर में शुरू होगा, जिसके बाद अगस्त में पार्टी का दूसरा राज्य सम्मेलन होगा, ऐसा आम परिषद ने तय किया है। अपनी फिल्मी प्रतिभा के साथ, विजय भीड़ को आकर्षित करने वाले नेता बने हुए हैं और उनके राज्यव्यापी दौरे का उद्देश्य पार्टी को लोगों के करीब ले जाना और टीवीके कार्यकर्ताओं को उत्साहित करना है।
हिंदी और संस्कृत थोपने के प्रयास के लिए केंद्र सरकार की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव में कहा गया कि तमिलनाडु को अपनी समय-परीक्षित दो-भाषा नीति, मातृभाषा तमिल और अंग्रेजी को जारी रखना चाहिए। आम परिषद ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह भारत और श्रीलंका के बीच पाक जलडमरूमध्य में स्थित चट्टानी टापू कच्चातीवु को पट्टे पर ले, ताकि भारतीय मछुआरों को द्वीपीय देश की नौसेना के हमलों से बचाया जा सके।
विजय ने साफ शब्दों में कहा कि उनकी पार्टी कभी भी भारतीय जनता पार्टी या डीएमके के साथ गठबंधन नहीं करेगी। न सार्वजनिक रूप से, न गुप्त रूप से ही। उन्होंने कहा, “बीजेपी चाहे कहीं और ज़हर बो दे, लेकिन तमिलनाडु में नहीं।” उन्होंने यह भी जोड़ा, “जो अन्ना और पेरियार का अपमान करता है, वह तमिलनाडु में कभी नहीं जीत सकता।
पार्टी ने दो करोड़ नए सदस्य जोड़ने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए विजय सितंबर से दिसंबर 2025 तक राज्यभर में दौरा करेंगे, जनता से मिलेंगे और पार्टी के लिए समर्थन जुटाएंगे।
थलपति विजय के ऐलान और टीवीके की चुनावी दुंदुभी की गूंज दिल्ली तक पहुँच गई है। बीजेपी के भीतर एक नयी मंत्रणा शुरू हो गई है तो कांग्रेस के भीतर भी नया मंथन शुरू हो गया है। जानकारी मिल रही है कि कांग्रेस की तमिलनाडु इकाई को सतर्क किया गया है और कहा गया है कि आगे की संभावित राजनीति को देखते हुए नयी रणनीति अपनाने की जरूरत हो सकती है। अभिनेता विजय का राजनीतिक धमकी तमिलनाडु की राजनीति में कितनी दमदार होगी यह तो चुनाव के बाद ही चलेगा लेकिन यह साफ़ हो गया है कि अगर सूबे के दस फीसदी वोटर भी टीवीके के साथ जुड़ जाते हैं तो तमिलनाडु की मौजूदा राजनीति में बड़ा फेरबदल हो सकता है। विजय की राजनीति से डीएमके की राजनीति भी प्रभावित होगी इतना तय माना जा रहा है।
(अखिलेश अखिल वरिष्ठ पत्रकार हैं।)