Wednesday, April 17, 2024

शैलेंद्र चौहान

ये बच्चा कैसा बच्चा है!

इब्ने इंशा का जन्म पंजाब के जालंधर जिले के फिल्लौर कस्बे में हुआ था। इब्ने इंशा का असली नाम शेर मोहम्मद खान था। इब्ने इंशा ने 1946 में पंजाब यूनिवर्सिटी से बीए की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने...

भले ही कई दिन से भूखे हों, कभी भीख नहीं मांगते सहरिया जनजाति के लोग

मध्य प्रदेश के उत्तर-पश्चिम भाग में शिवपुरी, गुना, दतिया, मुरैना जिलों में सहरिया जनजाति निवास करती है। सहरिया जनजाति के लोग डामोर के समान ही प्रवासी हैं। इसके अतिरिक्त राजस्थान के हाड़ौती अंचल के बारां जिले की शाहबाद व...

भारत में हर स्तर पर सामाजिक न्याय की गारंटी बेहद ज़रूरी

इतिहास गवाह है कि शताब्दियों से मानव, सामाजिक न्याय प्राप्त करने के लिए निरंतर भटकता रहा है और इसी कारण दुनिया में कई युद्ध, क्रांति, बगावत, विद्रोह हुये हैं जिसके कारण अनेक बार सत्ता परिवर्तन हुए हैं। अगर भारत...

रोजमर्रा की ज़रूरतों की तरह ही पर्यावरण की भी करनी होगी चिंता

यह सही है कि हम सब लोग मिलकर इस दुनिया में उत्पादक और लाभप्रद काम कर रहे हैं, पर साथ ही साथ हम पर्यावरण के लिए खतरे भी पैदा कर रहे हैं। हमें खुद को आगे विकसित करते हुए...

नफरती मीडिया को विपक्ष का सबक

इंडिया गठबंधन द्वारा 14 न्यूज एंकरों का बहिष्कार करने का ऐलान भारत में चल रही पक्षपाती पत्रकारिता की समस्या को रेखांकित करने का काम किया है। विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' द्वारा जारी की गई इस सूची में अलग-अलग टीवी चैनलों...

मीडिया की प्राथमिकता में नहीं है अब जनसरोकार

आज मीडिया का स्वरूप और प्राथमिकताएं बदल गई हैं। मुख्यधारा के मीडिया में कहीं कोई बड़े मूल्य, आदर्श और जनप्रतिबद्धता अब चिराग लेकर ढूंढने पर भी नहीं दिखेगी। पूंजी, कारपोरेट हित और सत्ता सहयोग उसकी प्रवृत्ति बन चुकी है। इस...

जन्मदिवस पर विशेष: आधुनिक हिंदी के जनक भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने साहित्य को ‘जन’ से जोड़ा

भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (9 सितंबर 1850-6 जनवरी 1885) आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह कहे जाते हैं। इनका मूल नाम 'हरिश्चन्द्र' था। 'भारतेन्दु' उनकी उपाधि थी। उनका कार्यकाल युग की सन्धि पर खड़ा है। उन्होंने रीतिकाल की पतनशील सामन्ती संस्कृति की...

भारतीय संस्कृति के सड़ांध पक्ष को दर्शाती है सांप्रदायिकता

सांप्रदायिकता का मतलब संकीर्ण मनोवृत्ति होता है। सांप्रदायिकता की भावना के कारण व्यक्ति में अपने धर्म के प्रति अंधभक्ति उत्पन्न होती है, और दूसरे धर्मों के प्रति घृणा की भावना जागृत होती है। मौलिक रूप में संप्रदायवाद अंध आस्था...

जन्मदिवस पर विशेष: सामाजिक यथार्थ के अनूठे व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई

हरिशंकर परसाई हिंदी के पहले रचनाकार थे, जिन्होंने व्यंग्य को विधा का दर्जा दिलाया और उसे हल्के-फुल्के मनोरंजन की परंपरागत परिधि से उबारकर समाज के व्यापक प्रश्नों से जोड़ा। उनकी व्यंग्य रचनाएं हमारे मन में गुदगुदी ही पैदा नहीं...

‘विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा’ कैसे बना देश का झंडा गीत

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उत्प्रेरक झंडा गीत “विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा, इसकी शान न जाने पाए चाहे जान भले ही जाए” की रचना के लिए श्यामलाल गुप्त ‘पार्षद’ इतिहास में सदैव याद किए जाएंगे।...

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लोकतंत्र में चुनाव लघुता का पर्व और गर्व होता है, प्रभुता का पर्व और प्रसाद नहीं‎

लोकतंत्र में चुनाव सबसे बड़ा पर्व होता है, लोकतंत्र का पर्व। लोकतंत्र का पर्व असल में किस का पर्व...