Friday, April 26, 2024

ज़ाहिद खान

बिस्मिल, रोशन और अशफ़ाक़ का शहादत दिवस: सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है..

19 दिसम्बर पंडित रामप्रसाद बिस्मिल, रोशन सिंह और अशफ़ाक़उल्लाह ख़ां जैसे वतनपरस्त इंक़लाबियों का शहादत दिवस है। मुल्क की आज़ादी के लिए जिन्होंने कम उम्र में ही अपनी जान क़ुर्बान कर दी। इन तीनों क्रांतिकारियों का क्रांतिकारी जीवन का...

अदीबों की नज़र में नेहरू: ऐ ला-फ़ानी जवाहरलाल नेहरू, रूहे इंसानियत का सजदा कुबूल कर

पंडित जवाहरलाल नेहरू एक अज़ीम सियासतदां, सुलझे हुए दानिश्वर और बेजोड़ स्पीकर ही नहीं, बल्कि एक बेहतरीन अदीब भी थे। दुनियावी इतिहास, साहित्य, सिनेमा, कला और संस्कृति की उन्हें अच्छी समझ थी। यही वजह है कि वे फ़न-शनास और...

अख़्तर-उल-ईमान, जिनकी नज़्मों में इश्क-मुहब्बत ही नहीं, ज़िंदगी की जद्दोजहद दिखाई देती है

अख़्तर-उल-ईमान अपने दौर के संज़ीदा शायर और बेहतरीन डायलॉग राइटर थे। अक्सर लोग उन्हें फ़िल्मी लेखक के तौर पर याद करते हैं, मगर यह भूल जाते हैं कि फ़िल्मों में आने से पहले वो एक नामचीन शायर थे, और...

राजिंदर सिंह बेदी स्मृति दिवस: क़लम और काग़ज का रिश्ता

दोस्तों, मैं तक़रीबन दो साल से बीमारी के मुख़्तलिफ़ मदारिज (पड़ाव) तय कर रहा हूं। अब पिछली सी शिद्दत मेरी बीमारी में बाक़ी नहीं है। फिर भी मेरे लिए लिखना कुछ ख़ासा दुश्वार मरहला है। क़ज़ा ने था मुझे चाहा,...

जौन एलिया स्मृति दिवस: ये तो बढ़ती ही चली जाती है मीयाद-ए-सितम

जौन एलिया, नौजवान नस्ल के पसंदीदा शायर हैं। वे न सिर्फ़ जौन की दिल-आवेज़ शख़्सियत के दीवाने हैं, बल्कि उनके कई मशहूर शे’र, मिसाल के तौर पर 'अपना ख़ाका लगता हूं/एक तमाशा लगता हूं' मुहावरों और कहावतों की तरह...

जन्मदिन पर विशेष: अदाकारी, इंसानियत और दरियादिली में बेमिसाल थे पृथ्वीराज कपूर

भारतीय सिनेमा में पृथ्वीराज उस बेमिसाल शख़्सियत का नाम है, जिनकी शानदार अदाकारी के साथ-साथ उनकी बेजोड़ इंसानियत और बेपनाह दरियादिली के भी कई क़िस्से मक़बूल हैं। पृथ्वीराज कपूर जब कामयाबी के उरूज पर थे, तब उन्होंने बॉम्बे में...

जन्मदिन पर विशेष: पारसी थियेटर से रंंगीन फिल्मों तक का सफर करने वाले फिल्मकार सोहराब मोदी

भारतीय सिनेमा में सोहराब मोदी उस हस्ती का नाम है, जिन्होंने अपने करियर का आग़ाज़ पारसी थियेटर से किया। देश भर के शहर-शहर, कस्बे-कस्बे थियेटर कर लोगों का मनोरंजन किया। और जब फ़िल्मों का दौर आया, तो टूरिंग टाकीज...

फ़िराक़ जैसा कोई दूसरा नहीं-मलिकज़ादा मंजूर अहमद

(मलिकज़ादा मंजूर अहमद, उर्दू हलक़े में किसी तआरुफ़ के मोहताज नहीं। 17 अक्टूबर, 1929 को अम्बेडकर नगर (उत्तर प्रदेश) में जन्मे मलिकज़ादा मंजूर एक उम्दा शायर, मुशायरों के जाने-माने नाज़िम (प्रबंधक) और लखनऊ से शाए होने वाले माहनामा 'इम्कान'...

जन्मदिवस पर विशेष: स्वतंत्रता आंदोलन के नायक विद्यार्थी ने लिखी थी पत्रकारिता की भी नई इबारत

हिंदी पत्रकारिता में गणेश शंकर विद्यार्थी की हैसियत शिखर पुरुष के तौर पर है, तो वहीं देश के स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी पहचान महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की है। लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के विचारों से प्रेरित विद्यार्थी, ‘जंग-ए-आज़ादी’...

साहिर की स्मृति दिवस पर विशेष: ‘आओ कि कोई ख़्वाब बुनें, कल के वास्ते’

साहिर लुधियानवी का शुरुआती दौर, देश की आज़ादी के संघर्षों का दौर था। लेखक, कलाकार और संस्कृतिकर्मी अपनी रचनाओं एवं कला के ज़रिए आज़ादी की अलख़ जगाए हुए थे। गोया कि साहिर भी अपनी शायरी से यही काम कर...

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इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धन के पुनर्वितरण की सोच को निशाने पर लिया है। वे तथ्यों का...