Friday, March 29, 2024

उत्तराखंड में दलित युवक की हत्या से लोगों में रोष

अल्मोड़ा जिले में सल्ट क्षेत्र के दलित युवा द्वारा सवर्ण युवती से शादी करने से सवर्ण परिवार के सदस्यों द्वारा हत्या किए जाने की घटना के बाद उत्तराखंड में शोक की लहर है। सरकारी अमले ने इस मामले में जो अपराधिक लापरवाही की है उससे राज्य के समस्त सामाजिक कार्यकर्ता बहुत सदमे और रोष में हैं।

सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि उत्तराखंड में सरकार जिस मानसिकता से काम कर रही है, उससे जगदीश चंद्र जैसे हत्याकांड और दलित उत्पीड़न की घटनाओं को रोकने में मदद नहीं मिल सकती। बल्कि ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं और आशंका है ऐसी घटनाएं और बढ़ेंगी।

दलित जगदीश की बर्बर हत्या असंवेदनशील व्यवस्था का जीता जागता नमूना है। युवा जगदीश चंद्र अल्मोड़ा जिले में सल्ट क्षेत्र के पनुवाध्यौखन गांव के रहने वाले थे और वे सल्ट के प्रमुख बाज़ार भिक्यासैन में पेयजल आपूर्ति में सरकार को सहयोग करते थे। सरकारी भ्रष्टाचार का शिकार हो चुके दलित समाज का ऊर्जावान युवा अपने समाज और अपने इलाके की समस्याओं से बख़ूबी वाकिफ़ था, और इन समस्याओं को सुलझाने की लगातार कोशिश करता रहता था। इसी बीच क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टी उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के सम्पर्क में आकर और गहराई से समाज से जुड़े गया था। वह दो बार विधानसभा का चुनाव लड़ चुका था।

उधर इसी क्षेत्र में सवर्ण परिवार की एक युवती अपने सौतेले पिता के उत्पीड़न से बहुत दुखी थी। उसका परिचय जगदीश से हुआ और दोनों ने साथ रहने का निश्चय कर लिया जो कि इस ठाकुर परिवार को असहनीय हो गया।

यहां यह बताना ज़रूरी है कि सल्ट क्षेत्र परम्परागत रूप से जातीय श्रेष्ठता और पुरुष मानसिकता वाला बहुत ही दकियानूस क्षेत्र है। यहां दलित उत्पीड़न का लम्बा इतिहास रहा है। मंदिर के सामने से दलित दूल्हे की बारात न जाने के विवाद में चार दशक पहले कफल्टा में 14 दलितों की हत्या कर दी गई थी। पिछले दिनों दलित दूल्हे को घोड़ी से रोकने की घटना ‍भी इसी सल्ट क्षेत्र की है, इसके अलावा भी और घटनाएं भी हैं।

गीता और जगदीश के मेलजोल से गीता के सौतेले बाप और परिवार ने गीता के साथ मारपीट आरंभ कर दी जिसके फलस्वरूप गीता 7 अगस्त को जगदीश के घर आ गई। जगदीश ने परिवार और साथियों से विचार करने के बाद 21 अगस्त को अल्मोड़ा के एक मंदिर में शादी कर ली। शादी के बाद वो अपने इलाके भिकियासैंण लौट गए। अनहोनी की आशंका से गीता की ओर से 27 अगस्त को अल्मोड़ा पुलिस को एक पत्र दिया गया जिसमें गीता ने अपनी शादी का पूरा ब्यौरा देते हुए अपने परिवार से धमकी मिलने और जानमाल के ख़तरे को देखते हुए उसे और उसके पति को सुरक्षा प्रदान करने की मांग की थी।

लेकिन जैसा कि आमतौर पर होता है, और उत्तराखंड में यह अक्सर हो रहा है, पुलिस ने इस पत्र पर तवज्जो नहीं दी, यह कहा गया कि यह राजस्व क्षेत्र का मामला है, सुरक्षा भुगतान करके मिल सकती है या फिर कोर्ट से आर्डर कराओ। इस तरह सुरक्षा मांगने का पत्र रद्दी की टोकरी में चला गया। इधर हत्यारे जगदीश और गीता का सुराग लगा रहे थे, मौका देखते ही उन्होंने जगदीश का अपहरण कर लिया उसके साथियों ने पुलिस से उसे खोजने की गुहार लगाई, इस दौड़ भाग से बस इतना हुआ की इस खोज में जगदीश तो बचाया नहीं जा सका, गीता के सौतेले बाप भाई और मां को करीब-करीब लाश बन चुके जगदीश के साथ तब पकड़ा जब वो सबूत मिटाने के लिए वाहन से कहीं जा रहे थे।

बाद में जगदीश को अस्पताल में अधिकारिक रूप से मृतक बता दिया गया। जिसके बाद पुलिस प्रशासन हवा में लाठियां भाजने लगा। गीता के शिकायती पत्र के लिए किन्तु परन्तु के बहाने गढ़ने लगा।

जगदीश के शव का पोस्टमार्टम कराने के बाद पुलिस ने अपनी कार्यकुशलता दिखाते हुए अपने संरक्षण में सायं को उसका अन्तिम संस्कार करा दिया, पुलिस उसका शव लेकर उसके गांव नहीं गई, जहां उसकी मां और बहन का रो-रोकर बुरा हाल था।

उधर पुलिस ने अपहरणकर्ताओं हत्यारों के न्यायालय से उनके पुलिस रिमांड की मांग नहीं करके अपनी दोहरी और प्रदूषित मानसिकता का परिचय दिया। इस दौर में जहां साधारण सी बात पर और सोशल मीडिया में सत्ता दल के खिलाफ लिखने वालों के लिए रिमांड मांगा जाता हो, अपहरणकर्ताओं और हत्यारों को पुलिस रिमांड में ना लेना यह दर्शाता है कि प्रदेश का पुलिस तंत्र किस तरह प्रदूषित कर दिया गया है।

गत 4 सितंबर को जगदीश के गांव पनुवाध्योखन में जगदीश को श्रद्धांजलि देने के लिए शोक सभा हुई, जिसमें बड़ी संख्या में गांव वाले और रामनगर अल्मोड़ा, रानीखेत पौड़ी हल्द्वानी काठगोदाम से श्रद्धांजलि देने के लिए सामाजिक कार्यकर्ता और उसके राजनैतिक सहयोगी पहुंचे, इस कार्यक्रम में जगदीश की बहन और दो भाई भी आए थे। उत्तराखंड सर्वोदय मण्डल की ओर से श्रद्धांजलि देते हुए मांग की कि जगदीश की क्रूर हत्या में होने में जिला प्रशासन और पुलिस की खुली लापरवाही सामने आई है। जिसका पश्चाताप डीएम, एसएसपी,कमिश्नर तथा मुख्यमंत्री को करना चाहिए। तथा सभी हत्यारों की गिरफ्तारी होनी चाहिए और हत्यारों को पुलिस रिमांड में लेकर उनसे कड़ी पूछताछ की जानी चाहिए थी।

इसके अलावा जगदीश के परिवार को एक करोड़ का मुआवजा देने और जगदीश की विधवा और बहन को आर्थिक स्थायित्व के लिए सरकारी नौकरी देने की मांग सरकार से की गई। शोक सभा के बाद सभी की सहमति से जगदीश की पत्नी और बहन को सरकारी नौकरी देने, परिवार को एक करोड़ का मुआवजा देने के अलावा लापरवाही करने वाले अल्मोड़ा जिले के डीएम एसपी के खिलाफ कार्रवाई करने और मुख्यमंत्री से माफी मांगने की मांग भी की गई।

इसके पहले रामनगर के साथियों ने पनुवाध्योखन जाने से पहले लखनपुर चौराहे पर सभा की थी जिसमें अल्मोड़ा प्रशासन और सरकार की जगदीश को सुरक्षा नहीं देने की भर्त्सना की गई थी। और हत्यारों को फांसी देने की मांग के साथ साथ अल्मोड़ा के पुलिस अधीक्षक और डीएम को इस काण्ड का दोषी बताकर उनको बर्खास्त करने की मांग की गई थी।

जगदीश की बर्बर हत्या के विरोध में पूरे उत्तराखंड के अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, हल्द्वानी, नैनीताल, गरुड़ देहरादून में प्रदर्शन करने, रोष प्रकट करने और ज्ञापन देने की खबरें हैं। उत्तराखंड में हाल के दिनों में पूरे प्रदेश में सद्भावना यात्रा आयोजित करने वाली संस्थाओं, उत्तराखंड सर्वोदय मण्डल व उत्तराखंड सद्भावना समिति सहित अनेक सामाजिक संगठनों ने इस घटना की निंदा करते हुए सरकार व प्रशासन से जवाब मांगा है। जगदीश की सहयोगी पार्टी उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी ने इस हत्या काण्ड के विरोध में अगले दिनों में प्रदेश भर में विरोध-प्रदर्शन करने का फैसला लिया है।

उधर प्रमुख राजनैतिक दलों ने इस विषय में कोई बयान नहीं दिया है और ना अपना कोई स्टैंड दिखाया है, कांग्रेस नेता हरीश रावत के सोशल मीडिया में एक बयान के अलावा कांग्रेस के स्थानीय नेताओं ने कोई संवेदनशीलता नहीं दिखाई जबकि कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष घटना स्थल के सबसे करीब शहर रानीखेत के निवासी हैं। दलितों की रहनुमा बनने वाली बसपा सिरे से गायब है।

सबसे निराशाजनक और निर्लज्ज प्रतिक्रिया सत्तारूढ़ दल भाजपा की रही है। चुनाव में तीन-तीन बार गांव का दौरा करने वाले स्थानीय विधायक और सांसद ने गांव में आने की बात तो दूर एक संवेदना व्यक्त करने की ज़रूरत महसूस नहीं की। इसीलिए जगदीश के गांव पनुवाध्यौखन में हुई शोक सभा के लगभग समाप्ति पर अपने कुछ दलित नेताओं के साथ पहुंचे कथित विधायक प्रतिनिधि के खिलाफ गांव वालों ने जमकर भड़ास निकाली गांव वालों के तीखे सवालों का इन दलित नेताओं के पास जवाब नहीं था। हत्या के चौथे दिन तक भाजपा की किसी भी स्तर की लीडरशिप से किसी तरह का बयान या संवेदना संदेश ना देने से गांव वालों विशेषकर युवाओं में बहुत रोष था। गांव वालों ने इन कथित भाजपा के दलित के खिलाफ जबरदस्त हूटिंग की और इनके खिलाफ वापस जाओ और इन्हें गांव से बाहर भगाओ के नारे लगाए।

(पनुवाध्यौखन गांव से लौटकर इस्लाम हुसैन की रिपोर्ट।)

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