Wednesday, April 24, 2024

दिल्ली से भी ज्यादा खराब है पटना, मुजफ्फरपुर और भागलपुर की हवा

हवा दिल्ली की ही नहीं, पटना की भी खराब है। पटना ही नहीं मुजफ्फरपुर, भागलपुर समेत पूरी गंगा घाटी की हवा खराब से खतरनाक के बीच है। फर्क केवल यह है कि दिल्ली की खराब हवा के बारे में सुप्रीम कोर्ट संज्ञान ले रहा है, पटना व अन्य छोटे शहरों की स्थिति के बारे में कोई चर्चा नहीं हो रही।

हवा की गुणवत्ता सुधरती, बिगड़ती रहती है। इस बार पटना की हवा की गुणवत्ता कई बार दिल्ली की हवा से ज्यादा खराब हो गई है। हवा में धूल कण और धुआं की मात्रा बढ़ जाने से ऐसा हुआ है। इस रविवार 12 दिसंबर को पटना की हवा का एक्यूआई स्तर 304 हो गया जबकि उस दिन दिल्ली का एक्यूआई स्तर 254 था। उस दिन मुजफ्फरपुर का स्तर 333 और गया का 230 था। एक्यूआई स्तर के मामले में मुजफ्फरपुर उस दिन देश में सर्वोच्च स्तर पर था। औद्योगिक शहर नहीं होने के बावजूद मुजफ्फरपुर की हवा का यह स्तर चौंकाने वाला है।  

हवा में प्रदूषण की मात्रा अधिक होने से आम निवासियों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा। जैसे आंखों में जलन, सांस लेने में परेशानी, थकान आदि। दिसंबर के 12 दिनों में चार दिन इस शहर के लोगों को खतरनाक हवा का सामना करना पड़ा जबकि 8 दिन हवा खराब रही। इन परेशानियों का सामना हर दिन करना पड़ा। पटना में भी 4 दिसंबर को हवा 333 एक्यूआई के स्तर पर रही। वास्तव में देश के सर्वाधिक प्रदूषित 21 शहरों में बिहार के 13 शहर हैं। इसका कारण हवा में धूल-कण की मात्रा बढ़ जाना है। बिहार शरीफ की स्थिति सबसे खराब है जिसका एक्यूआई स्तर मंगलवार, 14 दिसंबर को 400 से अधिक आंका गया है।

असल में समूची गंगाघाटी की हवा में धूलकणों-पीएम10 और पीएम 2.5 की मात्रा सामान्य से बहुत अधिक है। इसलिए यह इलाका दुनिया के सर्वाधिक प्रदूषित इलाकों में आता है। वायु प्रदूषण की वैश्विक स्थिति के एक अध्ययन के अनुसार अगर यह स्थिति बनी रही तो गंगाघाटी के लोगों की जीवन प्रत्याशा में औसतन नौ वर्षों की कमी हो जाएगी।

इसका कारण मोटे तौर पर हवा में धूलकणों का अधिक होना है तो प्रश्न है कि धूलकणों की मात्रा कैसे अधिक हुई है। इसके लिए स्थानीय मिट्टी की बनावट को भी समझना होगा। यह गंगा की गाद से बना इलाका है। इस पर वनस्पतियों की परत बिछी होती है। जब से विभिन्न विकास योजनाओं खासकर चौड़ी सड़कें और आवासीय बस्तियां बसने लगी हैं, वनस्पतियों की परत हटती गई है। इससे नंगी धरती के धूल हवा में मिलती है, उसके साथ वाहनों से जीवाश्म ईंधनों के जलने से उत्पन्न धुआं भी शामिल हो जाता है और हवा, धूल व धुआं के महीन कणों से बोझिल हो जाती है। इस समस्या का कोई तुरंत समाधान भी नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट की लाख फटकार के बावजूद दिल्ली की हवा के प्रदूषण का मुकाबला इसलिए ही कारगर ढंग से नहीं किया जा पा रहा।

वायु प्रदूषण के लिहाज से गंगाघाटी देश का सबसे प्रदूषित इलाका बन हुआ है, लेकिन चिंताजनक यह है कि अब गंगा घाटी से अधिक तेजी से दक्षिण के राज्यों की हवा प्रदूषित हो रही है। गंगाघाटी तो पीएम 2.5 प्रदूषण के मामले में विश्व का सबसे अधिक प्रदूषित क्षेत्र माना जाता है। लेकिन केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के ताजा अध्ययन के अनुसार देश के दक्षिणी व पूर्वी इलाके में सन 2000 से 2019 के बीच प्रदूषण अधिक तेजी से बढ़ रहा है। इस साझा अध्ययन में दिल्ली आईआईटी के अध्येता भी शामिल थे।

अध्ययन में यह भी पता चला कि ग्रामीण इलाके में भी प्रदूषण शहरों की तरह ही बढ़ रहा है। उल्लेखनीय है कि वायु प्रदूषण की चर्चाओं में आमतौर पर इसे शहरी परिघटना माना जाता रहा है, ग्रामीण इलाकों की बात ही नहीं होती थी। उदाहरण के लिए दिल्ली में जहां पीएम 2.5 कणों की मात्रा 2001 से 2015 के बीच 10.9 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई, ग्रामीण क्षेत्रों में यह बढ़ोत्तरी 11.9 प्रतिशत रही।

सेटलाइट आंकड़ों के आधार पर हुए इस अध्ययन में पाया गया कि इस दौरान पूर्वी व दक्षिणी इलाके में पीएम 2.5 की मात्रा में वायु1.6 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई जबकि गंगाघाटी में यह बढ़ोत्तरी 1.2 प्रतिशत रही। अध्ययन ने पाया कि एक लाख से अधिक आबादी वाले 436 शहरों में वायु गुणवत्ता राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानदंड( एनएएक्यूएस) से अधिक था।

उल्लेखनीय है कि 2019 में भारत के 99 प्रतिशत जिलों की वायु विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित मानदंड को पूरा नहीं कर रही थी। गंगाघाटी की स्थिति सबसे खराब थी जहां पीएम 2.5 का स्तर राष्ट्रीय स्तर से दो गुना था। इस अध्ययन में शामिल आईआईटी दिल्ली के सांगनिक डे ने बताया कि 2020 के आंकड़े एकत्र किए जा रहे हैं और शीघ्र ही वायु-गुणवत्ता के बारे में अधिक स्पष्ट तस्वीर हमारे सामने होगी।

(अमरनाथ वरिष्ठ पत्रकार हैं और पर्यावरण मामलों के जानकार हैं। आप आजकल पटना में रहते हैं।)

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