Friday, March 29, 2024

आवारगी

जन्मदिन पर विशेषः मजाज़ की शायरी में रबाब भी है और इंक़लाब भी

एक कैफ़ियत होती है प्यार। आगे बढ़कर मुहब्बत बनती है। ला-हद होकर इश्क़ हो जाती है। फिर जुनून और बेहद हो जाए तो दीवानगी कहलाती है। इसी दीवानगी को शायरी का लिबास पहना कर तरन्नुम से (गाकर) पढ़ा जाए...

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बीजेपी की वाशिंग मशीन में अब खनन माफिया जनार्दन रेड्डी भी धुल गए 

बीजेपी में फिर से खनन माफिया जनार्दन रेड्डी पहुँच गए हैं। जनार्दन रेड्डी की बीजेपी में फिर वापसी होने...