खेती किसानी
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अधिकारों और न्याय के संघर्ष में परिवर्तित होता किसान आंदोलन
नीतियों के प्रति असंतोष संघर्ष के लिए प्रेरित करता है, ये तारीख इतिहास में दर्ज है। नीतियों के मूल में कारक और उद्देश्य जब सामूहिक उत्थान कल्याण के विपरीत महत्वकांक्षाओं व दोहन पर आधारित हों तो संघर्ष ही परिणाम...
बीच बहस
भारत में ‘गोदी मीडिया’ ही नहीं, ‘गोदी राजनीति’ भी अपने चरम पर
किसान संसार का अन्नदाता है, लेकिन आज की व्यवस्था में वह स्वयं प्राय: दाने-दाने को तरस जाता है। उसकी कमाई से कस्बों से लेकर नगरों में लोग फलते-फूलते हैं, पर उसके हिस्से में आपदाएं ही आती हैं। सूखे की...
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