आज वक्त मजदूरों को आवाज़ दे रहा है!

सदियों दासता, सामंतवाद से संघर्ष करने के बाद दुनिया में मज़दूरों ने 1 मई 1886 को अपने अस्तित्व का परचम…

कोविड-19 भी पूंजीवाद से पैदा होने वाला एक संकट

जितने लोग दूसरे विश्वयुद्ध में मारे गये थे, उससे कहीं ज़्यादा लोग ‘तीसरे विश्वयुद्ध’ में मारे गये। यह तीसरा विश्वयुद्ध…

मोदी राज में अडानी-अंबानी मालामाल, गरीब हुए कंगाल

अगर यह सवाल, सरकार या नीति आयोग, जो उसका थिंकटैंक है, से पूछा जाए कि 2014 के बाद सरकार की…

किसानों का यह संघर्ष ही भारतीय अर्थव्यवस्था के तमाम संकटों की कुंजी है

भारत में ग्रामीण अर्थव्यवस्था के साथ पूंजीवाद का संबंध उपनिवेश और औपनिवेशिक शक्ति के बीच के संबंध का रूप ले…

ताकि भारत न बने पाखंडी-राष्ट्र!

तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में जारी किसान आंदोलन के शुरू से ही केंद्र की भाजपानीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन…

सत्ता ‘रंग-नुमाइश’ कराती है, ताकि रंगकर्म का विचार मर जाए!

रंगकर्म माध्यम है, यह सोचने या मानने वाले अधूरे हैं। वो रंगकर्म को किसी शोध विषय की तरह पढ़ते हैं…

किताबें मत जलाइए, ऐसा इंतज़ाम कीजिए कि लोग उन्हें पढ़ ही न पाएं!

‘आप भले मेरी किताबें और यूरोप के सबसे उन्नत मस्तिष्कों की किताबें जला देंगे, लेकिन उन विचारों का क्या जो…

पुण्यतिथिः मुंशी प्रेमचंद मानते थे- किसानों को स्वराज की सबसे ज्यादा जरूरत

हिंदी-उर्दू साहित्य में कथाकार मुंशी प्रेमचंद का शुमार, एक ऐसे रचनाकार के तौर पर होता है, जिन्होंने साहित्य की पूरी…

इलेक्टोरल बांड का रिटर्न गिफ्ट है निजीकरण

देश की अर्थव्यवस्था में हो रही गिरावट को समझने के लिए अर्थ सूचकांकों के अध्ययन करने की बहुत आवश्यकता नहीं…

संकटग्रस्त पूंजीवाद फटने को तैयार

संकटग्रस्त पूंजीवाद अब दुनिया के कुछ हिस्सों में फटने को तैयार है, और भारत जैसे देश में खुद को तैयार…