Tuesday, April 16, 2024

Awargi

जन्मदिन पर विशेषः मजाज़ की शायरी में रबाब भी है और इंक़लाब भी

एक कैफ़ियत होती है प्यार। आगे बढ़कर मुहब्बत बनती है। ला-हद होकर इश्क़ हो जाती है। फिर जुनून और बेहद हो जाए तो दीवानगी कहलाती है। इसी दीवानगी को शायरी का लिबास पहना कर तरन्नुम से (गाकर) पढ़ा जाए...

Latest News

ग्राउंड रिपोर्टः गंगा क्षेत्र को कछुआ सैंक्चुरी घोषित कर मोदी सरकार ने छीन ली निषादों की रोजी-रोटी

भदोही। लोकसभा चुनाव से बेखबर भदोही के डीह इलाके में गंगा के किनारे 65 साल के साधुराम निषाद नदी...