Friday, March 29, 2024

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समता, स्वतंत्रता, बंधुत्व और न्याय की भावना के सच्चे प्रतिनिधि थे रैदास

संत रैदास वाणीऐसा चाहूँ राज मैं जहाँ मिलै सबन को अन्न।छोट बड़ो सब सम बसै, रैदास रहै प्रसन्न।।जात-जात में जात हैं, जो केलन के पात।रैदास मनुष ना जुड़ सके जब तक जात न जात।।रैदास कनक और कंगन माहि जिमि...

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