Friday, April 19, 2024

communal riots

लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार करा सकती है गोधरा जैसा कांड: संजय राउत

नई दिल्ली। शिवसेना (यूबीटी) नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने मंगलवार को भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा कि लोगों के मन में डर है कि अयोध्या में राममंदिर के उद्घाटन के दौरान जनता गोधरा कांड जैसी किसी...

मुजफ्फरनगर दंगा: रेप के दोषियों को 20 साल की जेल, बेटे की गरदन पर चाकू रखकर किया था गैंगरेप

मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान बेटे की गरदन पर चाकू रखकर मां के साथ गैंगरेप के मामले में कोर्ट ने दोषियों को 20-20 साल की जेल की सजा सुनाई है। मामला 2013 के मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक दंगों का है जब शामली...

कानपुर में सामने आया हिंदू तालिबान का घिनौना चेहरा, पड़ोसियों के झगड़े में परेड निकालकर मुस्लिम पक्ष के शख्स से जयश्री राम के नारे...

दो पड़ोसी महिलाओं के बीच बाइक को लेकर हुए झगड़े में बजंरग दल के दहशतगर्दों ने मुस्लिम पक्ष के एक रिक्शा चालक को मारते हुए उसका परेड निकाला और उससे 'जय श्री राम' के साम्प्रदायिक नारे लगाने को मजबूर...

गणेश शंकर विद्यार्थी की जयंतीः स्वराज के लिए जिये और सांप्रदायिकता से लड़ते दी जान

हिंदी पत्रकारिता में गणेश शंकर विद्यार्थी की हैसियत शिखर पुरुष के तौर पर है, तो वहीं देश के स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी पहचान महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की। लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के विचारों से प्रेरित विद्यार्थी, ‘जंग-ए-आजादी’ के...

दिल्ली दंगों पर ‘संविधान वॉच’ की रिपोर्टः अपराधियों को बचाने और पीड़ितों को फंसाने की मुकम्मल कोशिश

फरवरी 2020 में हुए दिल्ली फसाद के संदर्भ में ‘संविधान वॉच’ द्वारा जारी रिपोर्ट में दिल्ली पुलिस द्वारा पुष्ट जान-माल के नुकसान के आंकड़ों के हवाले से कहा गया है कि इसमें सबसे ज्यादा नुकसान मुसलमानों का हुआ। यहां...

दिल्ली दंगेः पुलिस ने जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद से की पूछताछ, मोबाइल भी किया गया जब्त

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद से दिल्ली पुलिस ने पूछताछ की है। उनसे यह पूछताछ फरवरी में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों की कथित साजिश के सिलसिले में की गई है। उनका मोबाइल फोन...

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लोकतंत्र का संकट राज्य व्यवस्था और लोकतंत्र का मर्दवादी रुझान

आम चुनावों की शुरुआत हो चुकी है, और सुप्रीम कोर्ट में मतगणना से सम्बंधित विधियों की सुनवाई जारी है, जबकि 'परिवारवाद' राजनीतिक चर्चाओं में छाया हुआ है। परिवार और समाज में महिलाओं की स्थिति, व्यवस्था और लोकतंत्र पर पितृसत्ता के प्रभाव, और देश में मदर्दवादी रुझानों की समीक्षा की गई है। लेखक का आह्वान है कि सभ्यता का सही मूल्यांकन करने के लिए संवेदनशीलता से समस्याओं को हल करना जरूरी है।