Thursday, April 25, 2024

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कोरोना के दौर में हाउसफुल तख्तियों के साथ वैचारिक नाटक!

एक ऐसे समय जब विकार का बोलबाला है…विकार  आस्था, धर्म और राष्ट्रवाद का चोला ओढ़ विचार पर तांडव कर रहा है। संविधान सम्मत न्याय, अधिकार, समता की आवाज़ देशद्रोह है। लोकतंत्र की आत्मा प्रतिरोध देशद्रोह है। जब समाज एक...

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प्रधानमंत्री की भाषा: सोच और मानसिकता का स्तर

धरती पर भाषा और लिपियां सभ्यता के प्राचीन आविष्कारों में से एक है। भाषा का विकास दरअसल सभ्यता का...