Wednesday, April 24, 2024

jdi

क्या चुनाव ला पाएगा बिहार को बदहाली से बाहर?

‘‘हरे-भरे हैं खेत मगर खलिहान नहीं; बहुत महतो का मान मगर दो मुट्ठी धान नहीं। भरा है दिल पर नीयत नहीं; हरी है कोख-तबीयत नहीं। भरी हैं आंखें पेट नहीं; भरे हैं बनिए के कागज टेंट नहीं। हरा-भरा है देश रूंधा मिट्टी में ताप पोसता है विष-वट का मूल फलेंगे जिसमें...

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ग्राउंड रिपोर्ट: तपती गर्मी में खारे पानी की सज़ा

बीकानेर, राजस्थान। "जैसे जैसे गर्मी बढ़ रही है गांव में पानी की समस्या भी बढ़ती जा रही है। जो...